धिक्कार है, ऐसी सरकार और उसके उच्चाधिकारियों पर जो भ्रष्टाचारियों के आगे नाक रगड़ते हैं

जब झारखण्ड प्रशासनिक सेवा संघ के लोग एंटी करप्शन ब्यूरों के खिलाफ आंदोलन करके अपनी शर्ते मनवा सकते हैं, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को नाक रगड़ने पर मजबूर कर सकते हैं, तो अन्य संगठनों और संघों के पदाधिकारी ऐसा क्यों नहीं कर सकते?  उन्हें भी चाहिए कि वे अपने विभागों के अंतर्गत भ्रष्टाचार में लिप्त और घूस लेते गिरफ्तार अधिकारियों/कर्मचारियों के समर्थन में आंदोलन पर उतरें तथा अपने लोगों को बाइज्जत बरी कराने के लिए अभी से जुट जाये। सरकार पर दबाव डाले कि उनके संगठनों/संघों से जुड़े अधिकारी/कर्मचारी भी दूध से धूले है, उनकी गिरफ्तारी भी एक साजिश की तरह एंटी करप्शन ब्यूरो न की है, इसलिए एंटी करप्शन ब्यूरो को ही खत्म कर दिया जाय, क्यों कैसी रही?

भाई, हमारे मुख्यमंत्री रघुवर दास और राज्य की मुख्य सचिव जैसा तो पूरे देश में किसी राज्य का मुख्यमंत्री नहीं होगा, और न कोई ऐसा मुख्य सचिव, जो भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए शुरु हुए आंदोलन के आगे झूक जाता है, और उनकी सारी शर्तें मान लेता है, मैं कहता हू कि जब ऐसा ही करना है तो क्या जरुरत है, एंटी करप्शन ब्यूरो की, बंद कर दो इसे। पूरे राज्य में ऐलान कर दो, कि भ्रष्टाचार में लिप्त सारे अधिकारी आपस में भाई-भाई हैं, सभी झारखण्ड को लूटकर अपना पेट भर लें, क्योंकि फिर ऐसा मौका आये या न आये। आखिर मुख्यमंत्री हर महीने सूचना भवन में जो भ्रष्टाचार और पारदर्शिता का बार-बार मंत्रोच्चार करते हैं, उससे किसका फायदा हो रहा है? मुख्यमंत्री ही बताएं।

हद हो गई, झारखण्ड राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले, राज्य में आंदोलन हुआ और बरकट्ठा के थाना प्रभारी का तबादला तक कर दिया गया। यहां तक कि सरकार के प्रधान सचिव निधि खरे ने लिखित वक्तव्य जारी कर दिया, कि झारखण्ड राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के पदाधिकारियों की सारी बातें मान ली गई है, अब उनसे अनुरोध है कि वे काम पर वापस लौट आये। मेरा सवाल है कि इसी आधार पर कल राज्य के सारे पुलिसकर्मी सामूहिक अवकाश पर चले जाये, तो क्या आप उनसे भी इसी प्रकार का करवद्ध प्रार्थना करेंगी, क्योंकि झारखण्ड पुलिस एसोसिएशन ने तो कह डाला है कि आनेवाले समय में वे आरक्षी से लेकर उपाधीक्षक तक सामूहिक अवकाश पर जा सकते हैं।

कल ही जमशेदपुर में जिस जिला अंकेक्षण पदाधिकारी एस पी सिंह को घूस लेते गिरफ्तार किया गया है, क्या उसके परिवार का भी कोई सदस्य ये कहेगा कि उन्हें एसीबी ने गलत तरीके से गिरफ्तार किया हैं, उन्हें फंसाया गया है, तो क्या सरकार की प्रधान सचिव निधि खरे, उस पर भी कृपा लूटायेंगी, जैसा कि बरकट्ठा के अंचलाधिकारी को लेकर उठे तूफान को शांत करने की उन्होंने कोशिश की, क्योंकि जिस प्रकार की हरकत राज्य सरकार और उनके उच्चाधिकारियों ने की है, वह बताता है कि यह राज्य के लिए शुभ संकेत नहीं, इससे भ्रष्टाचारियों व घूसखोंरों का मनोबल बढ़ेगा और राज्य की जनता एक बार फिर स्वयं को लूटवाने के लिए बाध्य होगी। धिक्कार है, ऐसी सरकार और उसके उच्चाधिकारियों पर।