अपनी बात

धनबाद के भाजपा नेता रमेश पांडेय प्रकरण ने भाजपा के जिला व प्रदेशस्तर के नेताओं की करतूतों की खोली पोल, उधर कांग्रेस और झामुमो ने भाजपा पर बोला धावा, भाजपा की बोलती बंद

सचमुच ये भाजपा में हो क्या रहा है? जिले की ‘ना’ और प्रदेश की ‘हां’ मतलब कुछ न कुछ तो गड़बड़ है, या तो जिले के नेता गलत है या प्रदेशस्तर के नेता, पर ये गलत और सही का निर्णय करेगा कौन? सवाल यही आकर उलझ जा रहा है, क्योंकि जिनको सही या गलत का निर्णय करना है, वे भी इसके शिकार हैं, और गलत को प्रश्रय दे रहे हैं, और इसी का परिणाम है कि भाजपा नेता रमेश पांडेय ने भाजपा पर ऐसा दाग लगाया है, कि भाजपाइयों की बोलती ही बंद हैं।

धनबाद के जिलास्तरीय भाजपा नेता तो इस बात को लेकर हैरान है कि जिस रमेश पांडेय को जिला भाजपा के लोगों ने कोई भाव नहीं दिया और न ही पार्टी में प्रवेश करने दिया, उस व्यक्ति को प्रदेशस्तरीय नेताओं ने कैसे और किन बातों से प्रभावित होकर स्वीकार कर लिया और जब प्रदेशस्तरीय नेताओं ने इसे स्वीकार कर लिया तो अब वे ही बताएं कि वर्तमान संकट से कैसे बचा जाये?

सूत्र बताते है कि कभी भाजपा के जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह रमेश पांडेय को लेकर सांसद पीएन सिंह के पास गये थे कि रमेश पांडेय को पार्टी में शामिल कर लिया जाये, पर वहां ठीक उलटा हो गया। पीएन सिंह ने चंद्रशेखर सिंह की क्लास ले ली। उसके बाद किसी की हिम्मत नहीं हुई कि रमेश पांडेय को पार्टी में शामिल करने की बात तो दूर उसके नाम की चर्चा भी कोई कर सकें।

इधर रमेश पांडेय ने अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए जुगत लगाई और सीधे प्रदेशस्तर के नेताओं से संपर्क साधा। प्रदेशस्तर के नेताओं ने पता नहीं रमेश पांडेय में क्या देखा। आनन-फानन में उसे प्रदेश कार्यालय में भाजपा की सदस्यता प्रदान कर दी। फिर क्या था? रमेश पांडेय के नाम के आगे भाजपा नेता जुड़ गया। जबकि यही रमेश पांडेय जब गलती से सरयू राय की पार्टी में शामिल हुआ और सरयू राय को रमेश पांडेय के बारे में पता लगा तो उन्होंने रमेश पांडेय के साथ खड़ा रहना भी स्वीकार नहीं किया। पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया और इधर भाजपा के प्रदेशस्तर के नेताओं ने उसे हाथो-हाथ लपक लिया, जैसे उन्हें कोई मुंहमांगा वरदान मिल गया हो।

इधर आपको पता ही होगा कि दो दिन पहले यानी 20 सितम्बर को धनबाद के बरवाअड्डा में क्या हुआ? गोरक्षा दल के सदस्यों ने गोवंशियों से लदा ट्रक पकड़ा और उसे पुलिस को सौंपनी चाही तभी भाजपा नेता रमेश पांडेय और उनके समर्थक वहां पहुंचे और कंटेनर को अपने साथ लेते गये। ये समाचार प्रभात खबर को छोड़कर, हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर के लिये लीड खबर बनी। दैनिक जागरण ने तो इस अपने यहां प्रथम पृष्ठ पर प्रमुखता से छापा।

जैसे ही ये खबर छपी। धनबाद में 21 सितम्बर को यह खबर आग की तरह फैली। भाजपा के खिलाफ सारे प्रमुख दलों ने प्रेस कांफ्रेस कर भाजपा को घेरना शुरु किया। गांधी सेवा सदन में झामुमो के नेताओं ने प्रेस कांफ्रेस कर भाजपा नेता रमेश पांडेय पर लगे गो-तस्करी की जांच कर कार्रवाई करने की मांग कर डाली। साथ ही यह भी कह डाला कि गो-तस्करों को भाजपा के बड़े नेता संरक्षण दे रहे हैं। इस प्रेस कांफ्रेस में झामुमो के जिलाध्यक्ष लखी सोरेन, सचिव मन्नू आलम व कंसारी मंडल भी मौजूद थे।

दूसरी ओर धनबाद जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष संतोष सिंह ने कांग्रेस जिला कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा और उनसे जुड़े लोग जीटी रोड पर मवेशी लदे वाहनों से पैसे की उगाही करते हैं, जो शर्मनाक है। इधर गोरक्षा दल के प्रदेश अध्यक्ष ने भाजपा नेता रमेश पांडेय व उसके अंगरक्षकों के खिलाफ बरवाअड्डा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने रमेश पांडेय के खिलाफ मारपीट करने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया है। इधर बरवाअड्डा की घटना से दुखी आम जनता का भाजपाइयों के प्रति गहरी नाराजगी देखी जा रही है।