सर्वोच्च न्यायालय का फैसला – तीन तलाक अमान्य-असंवैधानिक

आज पूरे देश की नजर सर्वोच्च न्यायालय पर थी, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय तीन तलाक पर अपना फैसला सुनानेवाला था। लीजिये सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आ चुका है। सर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक को अमान्य और असंवैधानिक करार देते हुए, केन्द्र सरकार को कहा है कि वह तीन तलाक को लेकर 6 माह के भीतर कानून बनायें।

सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आते ही केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी का बयान आया, जिसमें उन्होंने इस फैसले की तारीफ करते हुए कहा कि यह महिलाओं के समानता और न्याय दिलाने के लिए एक बहुत बड़ा कदम है।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जब इस्लामिक देशों में तीन तलाक का प्रावधान नहीं है, तो फिर भारत में ऐसा प्रावधान क्यों?  सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि अगर केन्द्र सरकार छह महीने में कानून नहीं बना पाती तो ऐसे हालात में कोर्ट का यह आदेश जारी रहेगा।

 सर्वोच्च न्यायालय ने भरोसा जताया कि केन्द्र सरकार जो इस संबंध में कानून बनायेगी, उसमें मुस्लिम संगठनों तथा शरिया कानून संबंधी चिंताओं का भी ध्यान रखेगी। न्यायालय ने सभी राजनीतिक दलों से अपने मतभेद भुलाने और तीन तलाक के संबंध में कानून बनाने में केन्द्र की मदद करने को कहा।

तीन तलाक को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला ऐतिहासिक है। कुछ लोगों का मानना है कि केन्द्र सरकार को इस फैसले से बड़ा बल मिला है, अब वह इस संबंध में कानून बनाकर, ऐसी महिलाओं को न्याय दिलाने में कामयाब होगी, जो बेवजह तीन तलाक की शिकार होती रही है। अब चूंकि सर्वोच्च न्यायालय ने इसे असंवैधानिक करार दिया है, तथा केन्द्र को 6 महीने के अंदर कानून बनाने का आदेश दिया है।

अब यह माना जाना चाहिए कि सभी पक्ष सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का सम्मान करेंगे और भारतीय संविधान के प्रति आस्था रखते हुए, अब इस पर बेवजह विवाद उत्पन्न नही करेंगे। सचमुच इस फैसले ने उन लाखों-करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के चेहरे पर रौनक लायी है, जो इस तीन तलाक के कारण गंभीर मानसिक यातनाओं की शिकार होती रही हैं, अब इन्हें नये तरीके से जीने का मौका मिलेगा, अब कोई तीन तलाक का बहाना बनाकर उन्हें अपना शिकार नहीं बना पायेगा।