अपनी बात

रांची प्रेस क्लब के मार्गदर्शक मंडल को लेकर विवाद जारी, उधर प्रेस क्लब के अध्यक्ष के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी, मार्गदर्शक मंडल में ऐसे लोगों के भी नाम जो इसके योग्य ही नहीं

रांची प्रेस क्लब के मार्गदर्शक मंडल को लेकर विवाद जारी है। रांची प्रेस क्लब से जुड़े सदस्य इसको लेकर अंगूलियां उठा रहे हैं। लेकिन रांची प्रेस क्लब के पदधारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही हैं। शायद उन्हें इस बात का अभी से गुमान हो गया हैं कि वे तो दो वर्षों के लिए चून लिये गये हैं। ऐसे में भला उन्हें अब दो सालों तक कौन चुनौती दे सकता है। साथ ही उन्हें इस बात का भी घमंड हो चला है कि जिनकी बदौलत वे इस पद तक पहुंचे हैं, उन्हें वे अपनी ओर से मार्गदर्शक मंडल के सदस्य की रेवड़ियां थमा ही चुके हैं तो भला अब उन्हें किस बात का डर।

इधर रांची के पुराने पत्रकार नवेन्दु उन्मेष ने आज फिर अपनी बातों से रांची प्रेस क्लब के नये-नये पदधारी कुम्भकर्णों को नींद से जगने को कहा है। लेकिन ये नये पदधारी नींद से जगेंगे, इसकी संभावना दूर-दूर तक नहीं दिखती, क्योंकि कहा गया है कि अहंकार की चमड़ी बहुत मोटी होती है, उस पर किसी भी अच्छे बातों का असर नहीं होता। चाहे कोई कुछ भी क्यों न बोले अथवा कहें। जरा देखिये नवेन्दु उन्मेष ने आज क्या कहा? …

“रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष महोदय से अनुरोध …

मेरी आज भी व्यक्तिगत राय है कि आप गठित कमेटी में शामिल किये गये कतिपय लोगों के बारे में जानकारी हासिल करें। तब जाकर अच्छी कमेटी का निर्माण होगा और क्लब के विकास में चार चांद लगेगा। कमेटी की सूची को देखकर मुझे ऐसा लगता है शायद मैं भी जेल चला गया होता, अवांछित लोगों के साथ सांठगांठ करने में माहिर होता, एक संपादक के रूप में चमचे पालने में माहिर होता और अगर चमचा लिख देता कि बच्ची पैदी हुई तो कहता चमचे ने सही लिखा है कि बच्ची पैदी होती है।

तो एक सुयोग्य संपादक के रूप में मैं भी जाना और पहचाना गया होता। वैसे तो मैं भी कई दैनिक अखबारों का संपादक रहा और आज भी हूं, लेकिन मुझे झूठ बोलना और चमचे पालना नहीं आया। मैं जहां भी रहा पत्रकारों को प्रबंधन से वेतन दिलाया न कि पत्र पुष्प। यही कारण है कि चार दशक तक रांची की पत्रकारिता में सक्रिय रहने के बावजूद आपकी कमेटी में शामिल होने के योग्य नहीं माना गया। बाकी आपकी मर्जी।

नवेन्दु उन्मेष”

नवेन्दु उन्मेष के बार-बार झकझोरने से एक बात तो स्पष्ट हो गया कि मार्गदर्शक मंडल को लेकर रांची प्रेस क्लब के सदस्यों में एकमतता नहीं हैं और न ही कोई इसका समर्थन कर रहा है। आज भी ज्यादातर लोग यही कह रहे हैं कि मार्गदर्शक मंडल में ऐसे-ऐसे लोगों को जोड़ा गया हैं, जिनके उपर कई दाग हैं। लेकिन चूंकि उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करनी हैं, तो इससे बड़ा उपहार और क्या हो सकता हैं, इसलिए इन सबने मार्गदर्शक मंडल का सदस्य बनाकर इन सब को उपहार प्रदान कर दिया।

इसी बीच मार्गदर्शक मंडल में ही शामिल एक सदस्य ने विद्रोही24 को बताया कि रांची प्रेस क्लब के बाइलॉज की समीक्षा के लिए जो उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया गया है। उस पर उन्हें आपत्ति हैं। उनका कहना था कि इसकी आखिर जरुरत ही क्या है?

इसका मतलब है कि कुछ न कुछ घालमेल करने की तैयारी अभी से ही शुरु कर दी गई, जिसका अंदेशा था। इसका मतलब यह भी है कि ये लोग काम-धाम कुछ नहीं करेंगे, बस विवादों को जन्म देंगे और इसी विवाद में ये दो साल बिता देंगे। बाद में मार्गदर्शक मंडल में आये इनके खास लोग अपने हिसाब से नेक्सट रांची प्रेस क्लब के इलेक्शन में अपने लोगों को बिठाकर हमेशा की तरह अपना उल्लू सीधा करेंगे।