एक साल हो गये, CM बताएं कि झारखण्ड देश का पहला कैशलेस राज्य किस दिन बना?

याद करिये, 2 दिसम्बर 2016, रांची के नगड़ी का प्रखण्ड कार्यालय, पूर्वाह्ण 11 बजे का समय। झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास कैशलेस झारखण्ड अभियान की शुरुआत कर रहे हैं। पूरा महकमा लगा है। इस कार्यक्रम का बड़ा-बड़ा विज्ञापन विभिन्न अखबारों में निकाला गया है। इस विज्ञापन में बताया गया है कि कैशलेस खरीदारी में ही समझदारी है।

ऑनलाइन लेन-देन करें। मोबाइल एप्प, डेबिट या केडिट कार्ड का इस्तेमाल करें। ऑनलाइन टैक्स व अन्य शुल्क जमा करें। यहीं नहीं विज्ञापन में यह भी लिखा है कि बेहतर अर्थव्यवस्था से जुड़े, स्वयं स्मार्ट बने और झारखण्ड को स्मार्ट बनाएं। अब सवाल मुख्यमंत्री रघुवर दास से कि क्या लोग स्मार्ट बन गये? झारखण्ड स्मार्ट बन गया? क्योंकि भाई पूरे एक साल बीत गये। कैशलेस झारखण्ड अभियान के।

याद करिये, मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा था, झारखण्ड को देश का पहला कैशलेस राज्य बनाना हैं, क्या मुख्यमंत्री रघुवर दास बता सकते है कि झारखण्ड देश का पहला कैशलेस राज्य कब और किस दिन बना? जनता जानना चाहती है। इन्हीं के एक मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा था कि कैशलेस योजना को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना उनका लक्ष्य है। क्या उन्होंने अपने लक्ष्य को पा लिया?  अगर लक्ष्य पा लिया तो वे दिन और तिथि बता दें, जनता जानना चाहती है।

रघुवर सरकार ने दावा किया था कि 25 दिसम्बर 2016 तक वे प्रत्येक जिले के एक – एक प्रखण्ड को कैशलेस कर देंगे। क्या रघुवर सरकार उन प्रखण्डों के लिस्ट जारी कर सकती है, कि कौन-कौन से प्रखण्ड कब और किस दिन कैशलेस हो गये?

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उस दिन कहा था कि 2017 तक सारे विभाग पेपर लेस कर दिये जायेंगे। मुख्यमंत्री रघुवर दास जी दिसम्बर बीतने को आया, बताइये कि आपका कौन-कौन सा विभाग पेपरलेस हो गया?  आपने और भी बड़ी-बड़ी बातें कही थी?  राज्य को भ्रष्टाचार और कालाधन से मुक्त करायेंगे, क्या राज्य भ्रष्टाचार और कालाधन से मुक्त हो गया?

कुल मिलाकर देखा जाये, तो राज्य सरकार ने अपने बड़बोलेपन से पूरे राज्य ही नहीं, अपनी सरकार का भी साख गिरा दिया हैं। इनके कामचोर अधिकारियों और कर्मचारियों तथा लूटेरों की फौज ने राज्य की जनता के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। करोड़ों रुपये इस अभियान में फूंक दिये गये, प्रचार-प्रसार के नाम पर, पर जनता को क्या मिला?  राज्य को क्या मिला?  वहीं, ना पूछो-ना पूछो हाल, नतीजा ठन-ठन गोपाल, नतीजा ठन-ठन गोपाल…