बच्चा बेचने के मामले में केन्द्र भी गंभीर, सभी राज्य सरकारों को जांच के आदेश

लगता हैं मिशनरीज ऑफ चैरिटी की साख पर लगा दाग फिलहाल धूलने नहीं जा रहा, नया समाचार ये है कि रांची शाखा से बच्चे बेचे जाने के समाचार आने के बाद, केन्द्र सरकार ने देश की इसकी सभी शाखाओं के जांच के आदेश दिये हैं तथा एक महीने के अंदर सभी बाल देखभाल केन्द्रों के निबंधन करने और सेन्ट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) के साथ जोड़ने के आदेश भी दिये हैं।

केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया है तथा राज्य सरकारों को इसकी जांच के आदेश दिये हैं। ज्ञातव्य है कि नये संशोधित जुवेनाइटल जस्टिस एक्ट के तहत सभी बाल देखभाल केन्द्रों को कारा के साथ जोड़ना अनिवार्य कर दिया गया हैं। पूरे देश में वर्तमान में करीब चार हजार ऐसे केन्द्रों को कारा के साथ जोड़ना शेष बचा है।

इधर रांची से जुड़े मामले में निर्मल हृदय संस्था की सिस्टर कौसीलिया और वहां कार्यरत महिलाकर्मी अनिमा इंदवार ने बच्चा चोरी कर बेचने के मामले में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है, जबकि संस्था में दाखिल हुई अन्य 120 महिला और उनके जन्मे बच्चों के बारे में पूछा गया तो वे खामोश हो गई, और न ही इस सबंध में किसी अन्य की संलिप्तता की जानकारी ही दी।

इधर झारखण्ड सरकार ने केन्द्र के आदेश के पूर्व ही मिशनरीज ऑफ चैरिटी से जुड़े मामले में वरीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इस संबंध में पुरी तरह से जांच करें, हो सके तो अपनी जांच का दायरा बढ़ाएं ताकि सच्चाई सामने आ सके, मुख्यमंत्री रघुवर दास का यह भी कहना था कि ऐसी कोई भी संस्थाएं जो बच्चों का देखभाल करती है, उनकी भी जांच करें ताकि इस प्रकरण में लगे लोगों की गड़बड़ियां पकड़ी जा सकें।

इसी बीच मिशनरीज ऑफ चैरिटी को लेकर दो खेमा आमने-सामने हैं, एक खेमा है जो मिशनरीज ऑफ चैरिटी को समर्थन दे रहा है तो दूसरा इसके विरोध में आ खड़ा हुआ हैं। मिशनरीज ऑफ चैरिटी को समर्थन दे रहा खेमा मीडिया ट्रायल पर सवाल खड़ा कर रहा हैं, जबकि दूसरा खेमा मिशनरीज ऑफ चैरिटी के साख पर ही सवाल खड़ा कर दे रहा हैं, जो खेमा इसके साख पर सवाल खड़ा कर रहा हैं, उसमें भाजपा और उससे जुड़े लोग शामिल हैं।