धर्म

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असली जीवन का आनन्द वहीं लेता है, जिसका जीवन आध्यात्मिकता से प्रेरित है, जो ध्यान को अपने जीवन में प्रमुख स्थान देता है, जिसने अपने जीवन को आंतरिक आनन्द में डूबो दिया है – स्वामी श्रद्धानन्द

योगदा सत्संग मठ में चल रहे चार दिवसीय साधना संगम के समापन अवसर पर योगदा भक्तों को संबोधित करते हुए

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योगदा सत्संग सोसाइटी मना रहा अपना वर्षगांठ, आज बड़ी संख्या में योगदा सत्संग मठ में जुटे योगदा भक्त, ध्यान-भजन व पुष्पांजलि के माध्यम से अपने गुरुओं के प्रति ज्ञापित की कृतज्ञता

आज योगदा भक्तों के लिए कोई सामान्य दिन नहीं, बल्कि असाधारण व अविस्मरणीय दिवस है। आज ही के दिन परमहंस

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चार दिवसीय साधना संगम का समापनः अगर हम ईश्वर को पाने के लिए आधे-अधूरे मन से प्रयास करेंगे तो वे भी आधे-अधूरे मन से ही हमें प्राप्त होंगेः स्वामी आद्यानन्द

अगर हम ईश्वर को पाने के लिए आधे-अधूरे मन से प्रयास करेंगे, तो ईश्वर भी आधे-अधूरे मन से ही हमें

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एम्स ऋषिकेश में ब्रह्मचारी सौम्यानन्द ने कहा – जिस खुशी को हम सब संसार में ढूंढ रहे हैं, वह वास्तव में ईश्वर का अनंत आनन्द है और याद रखिये उसी आनन्द को हमारी आत्मा तलाश रही है

योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाईएसएस) के संन्यासी ब्रह्मचारी सौम्यानंद की एम्स ऋषिकेश में ध्यान-योग विषय पर आध्यात्मिक सभा का

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सांसारिक चेतना में रहना नर्क और ईश्वरीय चेतना में रहना ही स्वर्ग है, स्वर्ग या नर्क अन्यत्र नहींः स्वामी शुद्धानन्द

रांची स्थित विश्वस्तरीय आध्यात्मिक केन्द्र योगदा सत्संग मठ में आयोजित रविवारीय सत्संग को संबोधित करते हुए वरीय संन्यासी स्वामी शुद्धानन्द

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महाशिवरात्रि के अवसर पर पहाड़ी मंदिर परिसर में आयोजित “शिव बारात” में सम्मिलित हुए CM चम्पाई सोरेन, झारखंडवासियों की सुख, समृद्धि और उन्नति की कामना की

महाशिवरात्रि के अवसर पर मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन आज ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर परिसर में आयोजित “शिव बारात” में सम्मिलित हुए। मुख्यमंत्री

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ईश्वर जहां रखें, जिस अवस्था में रखें, उसी में आनन्द को ढूंढने का प्रयास करिये, आनन्द को सांसारिक वस्तुओं में ढूंढने की कोशिश करेंगे तो कभी लक्ष्य को प्राप्त नहीं करेंगेः गौतमानन्द

ईश्वर आपको जहां रखें, जिस अवस्था में रखें, उसी में आनन्द को ढूंढने का प्रयास कीजिये। अगर आप आनन्द को

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शरीर के अंदर विद्यमान चक्रों को खोलने की एकमात्र कुंजी है ध्यान, नियमित रुप से ध्यान करें और ईश्वर की अनुभूतियों का आनन्द लेः स्वामी स्मरणानन्द

हमारे शरीर के अंदर जितने भी चक्र हैं। उन चक्रों को खोलने की एकमात्र कुंजी है -ध्यान। अगर आप नियमित

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योगदा सत्संग मठ आप आध्यात्मिक उन्नति के लिए आते हैं, याद रखें कि ग्रूप मेडिटेशन का कोई विकल्प नहीं होता, इसका लाभ हमेशा उठाएं – ब्रह्मचारी अतुलानन्द

आखिर आप योगदा सत्संग मठ हमेशा क्यों आते हैं? यह सवाल था – ब्रह्मचारी अतुलानन्द का, योगदा सत्संग के साप्ताहिक

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प्रत्येक व्यक्ति को अपनी कुरुक्षेत्र की लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है, लेकिन इस लड़ाई को जीतता वही है, जिसके पास श्रीकृष्ण जैसा गुरु हो – स्वामी चैतन्यानन्द

प्रत्येक व्यक्ति को अपनी कुरुक्षेत्र की लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है। लेकिन इस कुरुक्षेत्र की लड़ाई में जीतता वही है,

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