अपनी बात

सावधान झारखण्ड के CM रघुवर दास, सावधान BJP, अब पप्पू पास हो रहा है

जब राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे भाजपा शासित राज्यों में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की बिजली गुल हो गई तो झारखण्ड की स्थिति क्या होगी?  इसे समझने की जरुरत हैं, क्योंकि यहां न तो वसुंधरा राजे सिंधिया, न ही शिवराज सिंह चौहान और न ही रमन सिंह जैसा शख्स शासन कर रहा हैं, यहां तो शत प्रतिशत् झारखण्ड की जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करनेवाले शख्स के हाथों में नरेन्द्र मोदी ने शासन की बागडोर थमा दी है, जिसे हर जगह पत्थर की दीवारों को खड़ा करने में ज्यादा मन लगता है, ताकि उसके जैसे राजनीतिज्ञ, न्यायाधीश, कथित पत्रकार, ठेकेदार, प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों एवं पुलिस पदाधिकारियों का समूह शानो-शौकत की जिंदगी जी सकें, रही बात जनता की तो उसकी जिंदगी, तो पहले भी कीड़े-मकोड़े की तरह थी, कल भी रहेगी तो क्या फर्क पड़ता है, इसलिए चार्वाक के सिद्धांत को अपनाओ और चलते चलों।

आखिर चार्वाक ने कहा क्या था – यावत् जीवेत् सुखं जीवेत्,ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत्। भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः। त्रयोवेद्स्य कर्तारौ भण्डधूर्तनिशाचराः। अर्थात् आप जब तक जीवित रहे, तब तक सुखपूर्वक जिये, ऋण करके भी घी पिये, अर्थात् सुख-भोग के लिए जो भी उपाय हो सकें, उसमें कोताही न बरते। हो सके तो दूसरों से उधार लेकर भी भौतिक सुख-साधन जुटाने में संकोच न करें, क्योंकि परलोक, पुनर्जन्म और आत्मा-परमात्मा जैसी बातों की परवाह करना मूर्खता के सिवा कुछ भी नहीं, भला जो शरीर अंत में भस्मीभूत ही हो जाना है, उसके लिए पुनर्जन्म का सवाल ही कहां उठता? इस दुनिया में जो भी हैं, शरीर की सलामती तक हैं और उसके बाद कुछ बचने का सवाल ही नहीं उठता, इसलिए जमकर सुखभोग करें, क्योंकि तीनों वेदों के रचयिता धूर्त प्रवृत्ति के मसखरे निशाचर रहे हैं, जिन्होंने लोगों को मूर्ख बनाने के लिए आत्मा-परमात्मा, पाप-पुण्य, नर्क-स्वर्ग आदि बातों को बड़ी चतुराई से इस दुनिया में फैला रखा है, और लोग उसके शिकार बनते जा रहे हैं।

अब जरा बताइये, जिस राज्य का मुख्यमंत्री भारी-भड़कम हाथी उड़ाने में विश्वास रखता हो, जहां के आईएएस/आइपीएस उस भारी भड़कम हाथी को आकाश में उड़ाने के लिए तिकड़म लगाते हो, और अंत में सिद्ध भी कर देते हो, कि हाथी उड़ रहा हैं और इस मानसिक दिवालियेपन पर जब पत्रकार सवाल उठा देते हैं, तो मुख्यमंत्री स्पष्ट रुप से ये कह देते हो कि हां झारखण्ड उड़ रहा हैं, हम उड़ रहे हैं, राज्य का मुख्यमंत्री उड़ रहा हैं, तो इसे आप क्या कहेंगे – मूर्खता या विद्वता, पर करेंगे क्या? लोकतंत्र हैं – झेलते रहिये।

राज्य में भूख से मौत, सीएनटी-एसपीटी विवाद, बढ़ती बेरोजगारी, किसानों की आत्महत्या, गिरती शिक्षा व्यवस्था, गिरती स्वास्थ्य सेवा, औद्योगिक निवेश का ठप हो जाना, महिलाओं के सम्मान के साथ खेलना, यहां तक कि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में कार्यरत महिलाओं को भी न्याय नहीं दिलवा पाना, राज्य में लड़कियों-महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटना सरेआम होना, तथा प्रभावित परिवारों द्वारा न्याय मांगने पर मुख्यमंत्री द्वारा ही जलील करना, क्या बताता है कि झारखण्ड में यहां फिर से भाजपा आ जायेगी?

सच्चाई तो यह है कि 2019 में जब कभी झारखण्ड में विधानसभा के चुनाव होंगे, रघुवर दास और उनके साथ रहनेवाले कनफूंकवें, जिन्होंने राज्य की दुर्दशा कर दी है, कहां फेकायेंगे पता ही नहीं चलेगा। अहं में घिरे रघुवर दास ने तो मर्यादा की वह सीमाएं पार कर दी है, जिसको बर्दाश्त करने के लिए यहां जनता तैयार ही नहीं, आखिर पारा महिला शिक्षकों को जेल भेजना ये कहां का पुरुषार्थ है। स्कूलों को बंद करना और मदिरालय को सरकारी स्तर पर बेचने का सर्वसुलभ अभियान चलाना ये कहा का पुरुषार्थ है? पत्रकारों और छायाकारों को अपने पुलिस अधिकारियों द्वारा लतियाना कहां का पुरुषार्थ है?

अपने विरोधियों को गाली देना, भाजपा के किस बड़े नेता ने, मुख्यमंत्री रघुवर दास को सिखाया है, अपने विरोधियों का अपमान करना, तथा जो उनके खिलाफ बोले, उसे देशद्रोह के मुकदमें में फंसा देना, उनके सम्मान के साथ खेलना, किसने सिखाया है, आप गलत करते जाये, आप हाथी उड़ाते जाये, आप गरीब किसानों के खेतों में लहलहाती फसलों पर बुलडोजर चला दें और कोई बोले नहीं, भाई ये तो हद हो गई, क्या कोई जनता किसी राजनीतिक दल को इस लिए वोट करती है, कि वह उसी की छाती पर बुलडोजर चलायेगा, और अगर ऐसा हैं तो फिर उस नेता को भी मान लेना चाहिए कि उसके उपर भी कोई महाशक्ति हैं, जो उसे सही अंजाम तक पहुंचाने के लिए तैयार बैठा है।

आश्चर्य की बात है कि रघुवर दास के सामने अनेक घटनाएं रांची में ही चीख-चीखकर बोल रही हैं, पर जनाब को पता ही नहीं चल रहा, ये तो लगता है कि 2019 की तैयारी में बैठे है, जब जनता इन्हें बाह पकड़कर सत्ता से उतारेगी, और अपने किसी नये चहेते को इनके जगह पर रखने की प्रयास करेगी।

जनाब हर बात में बहुमत की बात करते हैं, सच्चाई तो यह है कि जनता ने इन्हें बहुमत दिया ही नहीं था, इन्होंने तो सत्ता संभालते ही, अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए झाविमो विधायक पर डोरे डाले और उसे प्रलोभन देकर, अपने में मिला लिया और इधर चूंकि झारखण्ड विधानसभाध्यक्ष दिनेश उरांव, उन्हीं की पार्टी के हैं तो दिनेश उरांव ने भी बहुत अच्छे ढंग से इस मामले को चार साल तक खींच दिया और अब रही एक साल तो इसे भी खींच ही देंगे, तब तक पांच साल पूरा हो जायेगा। जहां इस प्रकार की सोच काम करती है, उस राज्य में संविधान की मर्यादा को कैसे ताक पर रखकर काम किया जा रहा है, इसे समझने की जरुरत हैं।

पूरे राज्य में रघुवर सरकार के कुछ विधायकों और मंत्रियों ने कोहराम मचा दिया है, एक मंत्री तो जीते जी भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दिया और जब पत्रकारों ने सवाल दागा तो अपनी बातों को सही करने के बजाय, रोना-धोना शुरु कर दी, एक विधायक तो हाथी पर बैठकर, इन्द्र बनने की कोशिश कर रहा है, ये अलग बात है कि उसी विधायक को उसी की जनता ने हाल ही में बेइज्जत कर मंच से उतारा था, कभी यहीं हाल मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ भी सरायकेला-खरसावां की जनता ने किया था, जब वह सीएनटी-एसपीटी के उनके बयानों से अतिखफा थी, खफा तो यहां की जनता आज भी हैं, बस उसे मौके की तलाश है, क्योंकि अब कल वाली बात नहीं रही, क्योंकि अब जिसे लोग पप्पू कह रहे थे, वो पप्पू अब पास होने जा रहा है।