लेकिन ये भी गांठ बांध लीजिये कि आगामी विधानसभा चुनावी मैदान के पिच पर आप खड़े होनेलायक ही नहीं रहियेगा CM हेमन्त जी, चौका-छक्का क्या मारियेगा

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जी, आप जिस प्रकार झारखण्डी युवाओं को धोखा दे रहे हैं, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, उन्हें कही का नहीं छोड़ रहे हैं, ऐसे में तो मैं साफ देख रहा हूं कि आनेवाले विधानसभा चुनाव में आप पिच पर खड़े रहनेलायक नहीं रहेंगे, चौके-छक्के क्या मारेंगे? ये ध्रुव सत्य है। ये कृष्ण बिहारी मिश्र की राजनीतिक भविष्यवाणी है, उस कृष्ण बिहारी मिश्र (विद्रोही24 डॉट कॉम) की जिसकी राजनीतिक भविष्यवाणी कभी फेल नहीं होती, जिसका अनुभव तो आपको भी हैं।

याद है कि भूल गये, झारखण्ड/देश की सारी मीडिया जब रघुवर भजन गा रही थी, उस वक्त मैंने भविष्य देख लिया था, आपको आपके ही घर पर कह दिया था कि अगले मुख्यमंत्री आप होने जा रहे हैं, और आज मैं कह रहा हूं कि आप दुबारा मुख्यमंत्री बनने नहीं जा रहे, इतना तो तय हो गया, क्योंकि जिस प्रकार से कल यानी बुधवार को आपने झारखण्ड विधानसभा में ये कह दिया कि “अभी हम बैंटिंग कर रहे हैं, किस बॉल में चौका और छक्का मारेंगे, यह हम तय करेंगे” ये बात ही इस बात को सिद्ध करती है कि हेमन्त अब आगामी चुनाव के बाद सत्ता में नहीं दिखेंगे।

क्योंकि ये वक्तव्य अहंकार का प्रतीक है। ये वक्तव्य करोड़ों झारखण्डियों के सीने पर वज्राघात है। ये उन सारे युवाओं के सीने पर शूल बरसाने के बराबर है, जिन युवाओं ने आपको अपना नेता माना। आपके ही नेता विधायक लोबिन हेम्ब्रम, आपके ही नेता विधायक सुदिव्य सोनू, आपके ही नेता मंत्री जगरनाथ महतो उर्फ टाइगर जनता के सामने और मीडिया के भोपूं के सामने चिल्लाते हैं, कि आपकी पार्टी को 1932 से कम मंजूर नहीं और जब आपकी ही पार्टी के इस सिद्धांत को सुर में सुर मिलाकर आदिवासी छात्र संघ, भाषा खतियान संघर्ष समिति और आजसू जैसी राजनीतिक दलों ने आपकी पार्टी को घेरने की कोशिश करनी शुरु की, तो आपकी सही मायनों में बोलती बंद हो गई और विधानसभा में डॉयलॉगबाजी कर दी।

आपको तो पता ही नहीं कि आपके इस 1932 खतियान ने आपकी पार्टी की, जनता के सामने क्या दुर्दशा कर दी है और न ही आपके विधायकों को पता हैं, पर इस आपके बयान ने भाजपा के खेमें में कितनी खुशियां बिखेरी हैं, उसका अनुमान तो भाजपा वालों को भी नहीं हैं। झूठ उतना ही बोलना चाहिए, जितना पच सकें पर यहां तो झूठ का साम्राज्य ही स्थापित हो गया, भला झारखण्ड के युवा क्या करेंगे, आज तो 1932 के नाम पर जो युवा आपको गले लगाने को तैयार थे, जाकर पूछिये कि वे कल के आपके विधानसभा में दिये गये बयान के बाद आपके बारे में क्या सोच रहे हैं?

पहले तो आपने 1932 के नाम पर अपने लिये कई राजनीतिक भस्मासुर तैयार लिए और अब आप चाहते है कि उन भस्मासुरों पर आप नियंत्रण कर लेंगे तो मुझे तो फिलहाल दूर-दूर तक ऐसा नजर नहीं आता। जो राजनीतिक पंडित हैं, वे आप पर दूर से नजर टिकाये हुए हैं। आपने कमाल कर दिया है। 1932 के नाम पर खूब राजनीति की है। कौन विधानसभा तक आयेगा और कौन विधानसभा से कई किलोमीटर दूर पर ही रोक लिया जायेगा, वाह रे आपका कुशल प्रबंधन। इतना आप जनता को बेवकूफ समझ रहे हैं। कभी यही बेवकूफी रघुवर दास ने की थी, आज क्या हाल है, पार्टी भले ही उन्हें ढो रही हैं, लेकिन जनता उन्हें अब ढोने को तैयार नहीं।

हमें याद है कि पिछले दिनों विधानसभा में जब निर्दलीय विधायक सरयू राय ने 1932 को लेकर सवाल उठाया कि क्या सरकार 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाना चाहती है या नहीं। संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने न तो इसे स्वीकार किया और न ही अस्वीकार किया। उसी दिन राजनीतिक पंडितों ने स्वीकार कर लिया था कि 1932 के खतियान को लेकर सरकार की नीयत ठीक नहीं, सरकार ढुलमूल रवैया अपना रही है, पर 1932 खतियान को लेकर भस्मासुर की तरह पनपे खुद को क्रांतिकारी कहलानेवालों को क्या, उन्होंने तो समझ लिया था कि बस अभी नहीं तो कभी नहीं, बस एक फर्लांग की दूरी तय करनी है और 1932 को ले लेना है।

पर उन्हें नहीं मालूम कि उनके इस आंदोलन की डोर तो किसी ओर के पास है, जितनी डोर को वो ढील देकर छोड़ेगा, ये नाचेंगे, गायेंगे। उसके बाद डोर कसेंगे, सारा आंदोलन काफूर। लेकिन जब जनता के अदालत की बारी आयेगी तो उसमें तो भस्मासुर भी नपेंगे और नपेंगे वे चालाक नेता, जिन्होंने 1932 की खिचड़ी खूब पकाई, पर इस 1932 की बनी खिचड़ी को खायेगा कौन? अभी मैं नहीं बताउँगा, वक्त का इंतजार करिये, हालांकि जो खानेवाला हैं, उसे मैं बता चुका हूं कि अगली बारी, आपकी हैं, बधाई।