अपनी बात

बूथ बाद में, पहले सरयू राय के सवालों का हल ढूंढिये, नहीं तो समझ लीजिये, गइल भइसिया पानी में…

भाजपा के अंदर सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा, एक बार फिर जमशेदपुर में वह चीज दिखा जो आम तौर पर चुनाव के समय भाजपा के अंदर दिखना नहीं चाहिए। इधर रांची में मंत्री सरयू राय के खिलाफ उन लोगों ने भी आग उगलना शुरु कर दिया, जिनकी औकात सरयू राय के आगे कुछ भी नहीं, पर वो कहा जाता है कि जब पीछे से कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति हाथ रख देता है तो जिसकी कोई औकात नहीं, वह भी उछलने लगता है, पर उनके उछलनइ का जवाब भी सरयू राय ने अपने तरीके से दे दिया हैं, शायद उक्त उछलनेवाले भाजपाइयों को पता चल भी गया होगा।

इधर जमशेदपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं का शक्ति केन्द्र सम्मेलन चल रहा था, जिसमें सरयू राय, अर्जुन मुंडा जैसे दिग्गज पहुंचे हुए थे, सरयू राय ने इस सम्मेलन को संबोधित भी किया, पर जैसे ही सभा में ये घोषणा हुई कि मुख्यमंत्री रघुवर दास कुछ पल के अंदर पहुंचनेवाले हैं, सरयू राय सभास्थल से निकल पड़े, सरयू राय का अचानक सभास्थल से निकल जाना, इस बात का संकेत है कि पार्टी में अभी भी सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा।

यह घटना भाजपा में आनेवाली तूफान का संकेत दे रहा है, या हो सकता है कि सरयू राय भाजपा के लिए झारखण्ड में दूसरे बाबू लाल मरांडी साबित हो जाये, हालांकि राजनीतिक जानकार बताते है कि सरयू राय को छेड़ना, भाजपा के सेहत के लिए ठीक नहीं हैं, इसलिए अच्छा रहेगा कि भाजपा में शामिल लोग, अगर उनका सम्मान नहीं कर सकते तो कम से कम छेड़ने का दुस्साहस तो नहीं ही करें।

इधर सरयू राय की नाराजगी पर पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने भी बातें रखी, उन्होंने कहा कि सरयू राय की बातों को संगठन के भीतर सुना जाना चाहिए, नहीं तो इससे नुकसान संगठन को ही हैं, ये सभी को समझ लेना चाहिए।

इधर सरयू राय के अचानक सभास्थल से उठकर चले जाने पर प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा भी बिदके, उन्होंने कहा कि उन्हें इस तरह सभास्थल से नहीं जाना चाहिए था, सीएम से नाराजगी अपनी जगह हैं और पार्टी का कार्यक्रम अपनी जगह, इसलिए सीएम के आगे पार्टी को नजरंदाज करना सही नहीं माना जा सकता, जबकि सरयू राय और उनके समर्थकों का कहना कि सरयू राय अपनी जगह ठीक हैं, भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं को चाहिए कि उनके द्वारा उठाये गये सवालों पर ध्यान दें, हीं तो पार्टी की छवि का जो होना है, वो सभी देख ही रहे हैं, आनेवाले समय में घटने के सिवा बढ़ने की कोई उम्मीद नहीं दीख रही।