दलबदलूओं व हत्या-दुष्कर्म के आरोपियों को साथ लेकर झारखण्ड में भाजपा लायेगी 65+ सीटें

झारखण्ड में लगता है कि भाजपा के पास ऐसा कोई नेता नहीं, जो उसे 65 प्लस तक पहुंचा दें, इसलिए उसने इधर एक विशेष अभियान चला रखा हैं, और ऐसे ऐसे जनप्रतिनिधियों पर उसकी नजर हैं, जो हैं तो दूसरे दलों में, पर इन दिनों अपनी नैया पार कराने के लिए, वे भाजपा का सहारा चाहते हैं, और भाजपा भी उनके अंदर चल रही इस प्रकार की हिलोरों को देख, उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए ज्यादा रुचि दिखा रही हैं।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो भाजपा को अनुमान हो गया है कि उनके पार्टी के अंदर ज्यादातर ऐसे विधायक हैं, जिन्हें इस बार टिकट दे भी दिया गया तो वे जीत नहीं पायेंगे। भाजपा को ये भी पता है कि उनकी जगह पर अगर वे अपनी पार्टी के ही किसी नेता को टिकट देते हैं, तो भी वे कुछ खास नहीं कर पायेंगे, और रही बात कार्यकर्ताओं की, तो इस बार भाजपा का कोई शीर्षस्थ नेता उन पर कोई दांव लगाना नहीं चाहता, क्योंकि दांव अगर उलट गया तो झारखण्ड से भाजपा हाथ धो बैठेगी, और भाजपा के केन्द्र के नेता किसी भी हालत में झारखण्ड को हाथ से गंवाना नहीं चाहते, क्योंकि उनके लिए झारखण्ड आर्थिक मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण राज्य हैं।

इधर राज्य में दलबदलू टाइप के जो नेता हैं, उन्हें पूरा विश्वास हो गया है कि राज्य में भाजपा ही इस बार फिर आयेगी, इसलिए वह भाजपा का टिकट पाने के लिए बेचैन है, क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य के अखबारों चैनलों के संपादकों/मालिकों की वो हालत कर दी है कि इन दिनों कोई चैनल खोलिए या अखबार पढ़िये, आपको रघुवर ही नजर आयेंगे, क्योंकि राज्य के सभी अखबारोंचैनलों के संपादकों मालिकों को राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास में खुदा का नूर नजर रहा है।

इधर राज्य में जितने भी दुष्कर्मी हत्या के आरोपी हैं, उनकी सोच में भी काफी परिवर्तन आया हैं, उन्होंने भी सोच बदली है तथा भाजपा को अपना ठिकाना बनाना शुरु कर दिया हैं, हाल ही में सुचित्रा मिश्रा हत्याकांड का मुख्य आरोपी शशिभूषण मेहता का मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिलना और तीन अक्टूबर को बाजेगाजे, लावलश्कर के साथ भाजपा प्रदेश मुख्यालय में आकर भाजपा में शामिल होना और प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा का मुस्कुराकर उसे गले लगाना, उधर कोयला चोरी के दर्जनों मामले का आरोपी मैनेजर राय को गणेश मिश्र द्वारा गले लगाना, साबित करता है कि भाजपा के लिए अब ऐसे लोग अछूत नहीं। 

क्योंकि भाजपा को भरोसा है कि ऐसे ही लोग आज समय की मांग हैं और इनके द्वारा ही भाजपा सत्ता को प्राप्त कर सकती हैं। हाल ये है कि भाजपा का ही बाघमारा विधायक ढुलू महतो जिस पर मुख्यमंत्री रघुवर दास का वरदहस्त प्राप्त है, उस पर तो प्राथमिकी तक दर्ज करने की जुर्रत धनबाद क्या, पूरे झारखण्ड में किसी पुलिस अधिकारी का नहीं है, जान लीजिये उस विधायक पर पुलिस की वर्दी फाड़ने तक का आरोप हैं, उसके बावजूद पुलिस उसकी आरती उतारने में सबसे आगे रहती हैं।

इधर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के विधायक जेपी पटेल को भाजपा के लिए प्रचार करने पर मजबूर करना और अब लातेहार में प्रकाश राम का भाजपा में शामिल करना, इस बात का संकेत हैं कि भाजपा को दलबदलूओं पर पूर्ण विश्वास है और यह ऐसे लोगों को टिकट भी देगी। ऐसे भी झारखण्ड का इतिहास हैं, जो जितना बड़ा दलबदलू वो उतना बड़ा नेता। आप जरा झारखण्ड के इतिहास का पन्ना उलटिये, जिसने जितना ज्यादा पलटी मारा, वो उतना करिश्माई नेता हो गया, वो मुख्यमंत्री तक बन गया, यहीं नहीं फिलहाल तो वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विशेष विश्वासी भी हो गया, नाम अर्जुन मुंडा।

जिस भाजपा ने मधु कोड़ा का टिकट काटा और मधु कोड़ा ने भाजपा छोड़ी, लीजिये वह राज्य का मुख्यमंत्री बन गया। रघुवर दास के इशारे पर झाविमो के छः विधायक, चुनाव जीतने के बाद तनिक देर नहीं किये, और सीधे भाजपा में जाकर मिल गये, जरा देखिये इनकी तरक्की, और एक बचे थे प्रकाश राम, इन्होंने भी दल बदलने का रिकार्ड बना ही दिया तथा झारखण्ड की इस परम्परा को और मजबूत किया।

राजनैतिक पंडितों की माने तो जो लोग दलबदल करते हैं, उन्हें पता है कि संवैधानिक पदों पर रह रहे लोग, उसकी मदद करेंगे, क्योंकि इसमें उनकी भी भलाई निहित हैं, इसलिए वे जो भी फैसले देंगे, उनके विरुद्ध नहीं देंगे, यहीं कारण है कि यहां के जनप्रतिनिधि जनता के प्रति कम और सत्तारुढ़ दल के प्रति विशेष निष्ठा रखते हैं, और झारखण्ड के बर्बाद होने का यहीं विशेष कारण हैं।

शायद यही कारण है कि वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास, जो खुद डबल इंजन की सरकार हर सभा में बकता है, उसने हाथी उड़ाने की योजना तक बना डाली, जबकि एक पांच साल का बच्चा चाहे वह किसी राज्य अथवा किसी अन्य देश का निवासी ही क्यों हो, उसे पता है कि भारी भरकम जीव हाथी नहीं उड़ता है, पर उसने हाथी उड़वा दिया और आश्चर्य है कि ऐसे लोगों की सभा में लोग अपनी दुर्दशा का आनन्द लेने के लिए भी पहुंच ही जाते हैं।