अपनी बात

भास्कर ने ओडीएफ पर उठाए सवाल, प्रभात खबर ने बताया पूरा झारखण्ड ओडीएफ, नगर विकास मंत्री का इनकार

वाह रे रांची के अखबार, रांची से प्रकाशित ‘प्रभात खबर’ एक ओर लिखता है ‘पूरा झारखण्ड हो गया ओडीएफ एक वर्ष पहले ही लक्ष्य हासिल’ ‘चार साल में 40 लाख शौचालय बनाये गये’ और खुद ही बताता है कि ‘जिन घरों में शौचालय नहीं, 15 नवम्बर तक पूरा करने का निर्देश’ आखिर ये सब क्या है?  कही ये फिल्म ‘संघर्ष’ का गाना ‘मेरे पैरों में घुंघरु बंधा दें, तो फिर मेरी चाल देख लें’ वाली बात तो नहीं। कही फिल्म ‘पाकीजा’ का वह गीत ‘बोले छमाछम, पायल निगोरी रे, मैं तो कर आई सोलह श्रृंगार रे ठारे रहियो’ वाली बात तो नहीं। गजब की पत्रकारिता है रे भाई, अब अखबारों का समूह, सरकार के आगे ठुमरी तक गाने पर उतर आया है…

रांची से ही प्रकाशित एक अखबार ‘दैनिक भास्कर’ हेडिंग देता है कि ‘2 अक्टूबर तक रांची को करना था ओडीएफ, जिला प्रशासन फेल’ ‘सभी बीडीओ को अब 15 नवम्बर को ओडीएफ करने का मिला निर्देश’ यानी रांची के दो प्रमुख अखबार, एक दैनिक भास्कर और दूसरा प्रभात खबर, आमने-सामने हैं, एक सरकार की आरती उतार रहा है, यह कहकर कि अच्छी खबर और दूसरा बता रहा है कि नहीं, रांची ने रुकावट खड़ी कर रखी है।

ऐसे तो सच पूछा जाये तो ये सब कागजों पर ही दिखाई देता है, सच्चाई तो यह है कि आज भी आप रांची के किसी भी इलाके में निकल जाये अथवा स्लम एरिया में निकल जाये, तो उसके आस-पास बड़ी संख्या में प्लास्टिक के बोतल हाथ में लिए, महानुभावों को विभिन्न स्थानों पर बैठकर मल परित्याग करते हुए देख सकते हैं।

जब आज के एक अखबार में छपे यह समाचार कि ‘पूरा झारखण्ड हो गया ओडीएफ एक वर्ष पहले ही लक्ष्य हासिल’ पर विद्रोही 24.कॉम ने राज्य के नगर विकास मंत्री सी पी सिंह से बातचीत की, तब उनका कहना था कि वे कतई इस बात को मानने को तैयार नही है कि पूरा राज्य ओडीएफ हो चुका है या अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है। उनका कहना था कि आज भी बहुत सारे इलाकों में शौचालयों का बनना जारी है, और इस लक्ष्य को पाने के लिए राज्य सरकार प्रयत्नशील है। ओडीएफ होने में कुछ बाधाएं आ रही है, उन बाधाओं को दूर करने का प्रयास जारी है।