सरकार रघुवर की हो या हेमन्त की, चाहे महामारी से पत्रकारों की जान ही क्यों न चली जाये, पत्रकारों को अंततः लटकना ही हैं
शर्मनाक, एक ओर झारखण्ड के कई पत्रकारों व उनके परिवार के सदस्यों को कोरोना ने निगल लिया। कई पत्रकार व उनके परिवार के सदस्य ऐसे भी हैं, जो आज भी कोरोना पोजिटिव होकर, अपने घरों में कैद हैं, तथा भगवान का नाम लेकर अपना घर में इलाज करा रहे हैं। इसी बीच राज्य में पत्रकारों के साथ ऐसी भी घटनाएं घट रही हैं, जिसे देख व सोचकर सिर शर्म से झूक जा रहा हैं, पर आश्चर्य हैं कि सरकार में शामिल लोगों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा,
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