Author: Krishna Bihari Mishra

राजनीति

ई-पास को लेकर कांग्रेस नाराज, डा. इरफान ने कहा जन-विरोधी फैसले वापस ले सरकार, इस मुद्दे पर CM हेमन्त से कल मिलेंगे कांग्रेसी

हेमन्त सरकार द्वारा राज्य में किसी भी तरह के आवागमन के लिए, ई-पास अनिवार्य कर दिये जाने को लेकर, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता डा. इरफान अंसारी गुस्से में हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला पूर्णतः जन-विरोधी है और इसे किसी भी प्रकार से सही नहीं ठहराया जा सकता। डा. इरफान अंसारी इस मुद्दे को लेकर अपने नेता आलमगीर आलम से भी बात कर चुके हैं, संभावना है कि कल वे इस मुद्दे पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से भी मिले।

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अपनी बात

कल तक मंत्रियों को कूटने की बात करनेवाले डाक्टर ने आज मांगी माफी, साथ ही कुछ सवाल भी दागे, जो प्रासंगिक भी है

जमशेदपुर के आदित्यपुर में स्थित 111 सेव लाइफ हास्पिटल के संचालक डा. ओ पी आनन्द ने स्वयं द्वारा किये गये गलतियों के लिए सार्वजनिक रुप से माफी मांग ली। ज्ञातव्य है कि डा. ओ पी आनन्द ने गत् 15 मई को झारखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग किया था, जो पूरे देश में वायरल हुआ। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि ऐसे लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटते, कूटते।

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अपनी बात

मैं 19 मई को पत्रकारों पर आई संकट को लेकर राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए एक दिवसीय भूख हड़ताल करुंगा

यह मेरा प्रण है – “हेमन्त सरकार की हठधर्मिता, मीडिया संस्थानों की क्रूरता तथा पत्रकार हित रक्षार्थ, मैं 19 मई को अपने घर पर एक दिवसीय भूख हड़ताल पर रहुंगा।” घर पर इसलिए, क्योंकि राज्य सरकार ने लॉकडाउन लगा रखा है, और सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करना एक जिम्मेवार नागरिक व पत्रकार का प्रथम कर्तव्य है। आप पुछेंगे कि यह एक दिवसीय भूख हड़ताल क्यों? तो मैं यही कहुंगा कि बस सरकार जागे और ईमानदारी पूर्वक ऐसे निर्धन पत्रकारों और उनके परिवारों के लिए अपने दायित्वों का निर्वहण करें,

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अपनी बात

e-pass, मतलब हेमन्त अपने सलाहकारों से सावधान नहीं रहे, तो उनकी लोकप्रियता व साख दोनों मिट्टी में मिल जायेगी

कल यानी 15 मई की ही बात है। बिहार के सरयू राय जो जमशेदपुर पूर्व से विधानसभा चुनाव लड़कर झारखण्ड विधानसभा पहुंचे हैं। जिनके बारे में कहा जाता है कि वे बहुत ही ईमानदार है। उन्होंने सोशल साइट फेसबुक पर एक बात लिखी, वो बात थी – “कोरोना की दूसरी लहर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की साख घटी है, पर लोगों में विश्वास नहीं घटा है। दूसरी ओर राज्य में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की साख पूर्व की तुलना में बढ़ी है। इस अनुपात में उन्हें लोगों के बीच विश्वास भी बढ़ाना होगा।”

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अपनी बात

कौन है वो डाक्टर, जो मंत्रियों और विधायकों तक को कूटने का साहस रखता है, सरकार के लोग उससे थर-थर कापंते हैं

“जो भी लोग डा. ओ पी आनन्द को जानते है, उनको पता है कि वे मरीज के सामने किसी भी कानून-नियम, चीज को नहीं मानते। मैं लिहाज कर गया वरना इस जांच कमेटी को दौड़ा-दौड़ा कर पीटता। मेरे सात मरीज कोविड और दो वेंटिलेटर पर है, इसलिए मैं लिहाज करके छोड़ दिया, वरना ऐसे मंत्री और ऐसे अधिकारियों को कूटके रख दूंगा।” ये संवाद है जमशेदपुर के 111 सेव लाइफ हास्पिटल के संचालक डा. ओ पी आनन्द के।

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अपनी बात

ये तो एक ट्विट का कमाल है, नहीं तो जमशेदपुर का ग्रीन इण्डेन सर्विस वाला प्रेम को 1965 रुपये थोड़े ही लौटाता

प्रेम दीक्षित एक जागो संस्था नामक एनजीओ से जुड़े हैं। उन्होंने अपनी पत्नी गीता देवी के नाम से एक गैस कनेक्शन लेना चाहा और इसके लिए वे जमशेदपुर के डिमना सुमन होटल के नजदीक इण्डेन गैस एजेंसी चला रहे ग्रीन इण्डेन सर्विस के कार्यालय पहुंच गये। उन्होंने इस संदर्भ में ग्रीन इण्डेन सर्विस के कार्यालय में कार्यरत प्रतिनिधियों से बातचीत की। प्रतिनिधियों से बातचीत के क्रम में प्रेम दीक्षित ने कहा कि उनके पास चुल्हा मौजूद है, इसलिए उन्हें चुल्हा नहीं चाहिए, केवल गैस कनेक्शन चाहिए,

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अपनी बात

सीखिये, जमशेदपुर के युवाओं से – जमशेदपुर में कोरोना पीड़ितों के लिए IPL की तर्ज पर PPL का आयोजन, प्लाजमा व रक्तदान करनेवाले बनायेंगे स्कोर, जिला प्रशासन, नेता व क्रिकेटर आये साथ-साथ

सचमुच सीखिये सीखना हैं तो जमशेदपुर के युवाओं से सीखिये। कुणाल षाड़ंगी से सीखिये। उनकी संस्था ने वो कर दिया है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाय कम है। उन्होंने आईपीएल की तर्ज पर पीपीएल आयोजित करवा दिया है। मूल उद्देश्य कोरोना पीड़ितों को बेहतर सुविधा प्रदान करना, उनकी जानें बचाना हैं। उनके इस मुहिम में जिला प्रशासन और सुप्रसिद्ध क्रिकेटरों ने भी साथ देने का फैसला ले लिया हैं, किसी ने ठीक ही कहा है कि अगर युवा सोच लें कि हमें बेहतर करना हैं तो उन्हें रोका किसने हैं,

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अपनी बात

पत्रकार मर गया, वो कहां का था ये बतायेंगे पर किस संस्थान से जुड़ा था? नहीं बतायेंगे, वाह रे दैनिक भास्कर, तू भी वहीं निकला

कल यानी 13 मई को रांची से प्रकाशित होनेवाले एक अखबार “दैनिक भास्कर” ने अपने “राजकाज” पृष्ठ पर पत्रकारों से जुड़ी समस्याओं को लेकर एक खबर छापी, जो झारखण्ड के सभी संस्करणों में दिखाई दी। हेडिंग थी – “झारखण्ड सरकार पत्रकारों को फ्रंटलाइन वॉरियर घोषित करे, बिहार, ओडिशा, बंगाल समेत छह राज्यों ने पत्रकारों को फ्रंट वारियर्स माना”। सब हेडिंग थी – “राज्य के 22 पत्रकारों की अब तक कोरोना संक्रमण से हो चुकी है मौत”।

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अपनी बात

शादी में 11 से ज्यादा पर पाबंदी और टीकाकरण के उद्घाटन मात्र में बिना सोसल डिस्टेंसिंग के 17,  क्या ऐसे आप कोरोना से लड़ लेंगे?

जब आप लोगों को बोलने का मौका देंगे। विपक्ष को बोलने का मौका देंगे तो वे सवाल दागेगें ही, क्योंकि उनका तो विशेषाधिकार है, आपकी गलतियों पर अंगूली उठाने का, और ये अधिकार झारखण्ड की ही जनता ने उन्हें दिया हैं, क्योंकि जनता ने उन्हें विपक्ष में बैठाया है, फिर आप कहेंगे कि वे बाल का खाल निकाल रहे हैं, तो यहां तो आप गलत है। अखबारों/चैनलों का क्या है? वे तो अपना कर्तव्य निभा नहीं रहे, उन्हें तो जैसे ही पता चलता है कि एक पृष्ठ का विज्ञापन आ रहा हैं तो उछल पड़ते हैं, और जिन्हें नहीं मिलता है,

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अपनी बात

पत्रकारों के हित में इन्दर सिंह नामधारी ने CM हेमन्त को किया ट्विट, कहा पत्रकारों को फ्रंट वॉरियर घोषित करे सरकार

झारखण्ड के पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए राज्य के प्रथम विधानसभाध्यक्ष इन्दर सिंह नामधारी भी कूद पड़े हैं। इस कोरोना काल में पत्रकारों की हो रही मृत्यु तथा उनके परिवारों की दयनीय दशा देख वे आजकल बहुत दुखी है, साथ ही जो पत्रकार कोरोना पोजिटिव होकर विभिन्न अस्पतालों में इलाजरत हैं, वे चाहते है कि वे जल्द शीघ्र स्वस्थ हो, पत्रकारिता की मुख्यधारा में आकर समाज व राज्य के हित में कार्य करें।

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