अपनी बात

अमित शाह का गोड़्डा दौरा रद्द, रघुवर सरकार ने ली राहत की सांस, पारा टीचरों ने बढ़ा दी थी धड़कन

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का 19 जून को गोड्डा आनेवाला दौरा अब रद्द हो गया है। इस बात की जानकारी पाकुड़ में संवाददाता सम्मेलन के दौरान भाजपा प्रवक्ता प्रतुल ने दी, हालांकि ये गोड्डा दौरा रद्द होगा, इसकी जानकारी करीब-करीब सभी को कल ही हो गया था, जब अमित शाह को स्वाइन फ्लू होने की शिकायत मिली तथा वे इसके इलाज के लिए दिल्ली एम्स में भर्ती हो गये।

इन दिनों ऐसे भी भाजपा के कई वरीय नेताओं पर लगता है कि शनि, राहु, केतु हाथ धोकर पड़ गये हैं, इनके तीन धाकड़ नेता अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद और अब अमित शाह विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित है, जिसे भाजपा के लिए शुभ नहीं माना जा सकता, क्योंकि आनेवाले लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं को बेहतर स्वास्थ्य की विशेष आवश्यकता है।

इधर जैसे ही अमित शाह के गोड्डा दौरे का समाचार स्थानीय प्रशासन को मिला है, उपर से लेकर नीचे तक सभी ने राहत की सांस ली है, क्योंकि पारा टीचरों ने राज्य सरकार और उच्चाधिकारियों से लेकर नीचे के अधिकारियों तक के होश उड़ा दिये थे। पारा टीचरों ने ताल ठोककर कह दिया था कि वे गोड्डा में अमित शाह के कार्यक्रम का जमकर विरोध करेंगे, काला झंडा दिखायेंगे तथा अपना आक्रोश प्रकट करेंगे। इधर पारा टीचरों के इस आह्वान से विचलित प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गये थे, क्योंकि पारा टीचरों ने पहले भी पन्द्रह नवम्बर झारखण्ड स्थापना दिवस के दिन अपनी ताकत दिखा दी थी, इधर पारा टीचरों द्वारा गुपचुप तरीके से इस योजना को अमल में लाने का कार्यक्रम भी शुरु कर दिया गया, जबकि प्रशासन भी अपनी ओर से पारा टीचरों पर लगाम लगाने का कार्यक्रम शुरु कर दिया था, एक तरफ मनुहारी तो दूसरी तरफ ताकत का इस्तेमाल भी शुरु कर दिया गया।

इधर मनुहारी में शिक्षा मंत्री नीरा यादव के साथ तीसरी बार की वार्ता भी प्रारम्भ करने की बात कही गई, जिसका क्या नतीजा निकलेगा? सभी जानते है, राज्य सरकार की माने तो उसका कहना है कि वह पारा टीचरों के वेतन में पच्चीस फीसदी बढ़ोत्तरी, आंदोलन के दौरान मृत पारा टीचरों के परिवारों को एक-एक लाख रुपये का मुआवजा, छत्तीसगढ़ की तर्ज पर वेतनमान देने के लिए नियमावली बनाने, आंदोलन के दौरान पारा शिक्षकों पर हुए मुकदमों को कानूनी सलाह लेने के बाद उसे वापस लेने को तैयार हैं, पर पारा शिक्षकों का कहना है कि वेतनमान के नियमावली बनने तक पैब की अनुशंसा पर पारा शिक्षकों को 18 हजार, 20 हजार और 22 हजार रुपये मानदेय, आंदोलन के दौरान जिन पारा टीचरों की मौत हुई उनके परिवारों को दस-दस लाख रुपये मुआवजा तथा सरकारी नौकरी, आंदोलन के दौरान पारा शिक्षकों पर जो भी कार्रवाई हुई है, उन कार्रवाईयों को वापस ली जाये।

पारा शिक्षकों की हड़ताल दो महीने से ज्यादा हो गई,  पूरे राज्य में शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है, पर पारा टीचरों और मुख्यमंत्री रघुवर दास की मूंछ की लड़ाई में आम गरीबों के बच्चे पीसते चले जा रहे हैं, इधर भले ही अमित शाह का गोड्डा दौरा रद्द हो गया हो, पर ऐसा नहीं कि पारा टीचरों का आंदोलन शांत पड़ गया है, ये नये तरीके से विधानसभा के बजट सत्र में अपनी आंदोलन को और पैनी करते दीख रहे हैं, उनका कहना है कि उनकी मांगे जायज हैं और वे सरकार के दमनकारी नीतियों के आगे फिलहाल झूकने को तैयार नहीं है