अपनी बात

रांची के सभी प्रमुख अखबारों ने कहा, CS शरणं गच्छामि, IAS शरणं गच्छामि, रघुवरं शरणं गच्छामि

रांची के प्रमुख अखबारों का हाल देखिये, इनके संपादकों के कार्य देखिये और इनकी पत्रकारिता का भी अवलोकन करिये। कल राज्य के मुख्य सचिव की बेटी की शादी की रिसेप्शन पार्टी थी, और इस शादी के रिसेप्शन को सभी अखबारों ने कलरफुल ढंग से किसी ने पांच, तो किसी ने चार कॉलम में, खबर बना दिया और उसे जनता के बीच परोस दिया।

अब सवाल उठता है कि क्या अब अखबार ये सब भी छापेंगे, क्या अखबार में अब छपने के लिए कुछ भी नहीं बचा, उनके पास खबर के रुप में यहीं हैं कि किस आइएएस के बेटे व बेटियों की शादी/रिसेप्शन कहां हो रही हैं और उनके रिसेप्शन में कौन-कौन जा रहा हैं? और अगर यही खबर हैं तो फिर खबर क्या हैं? क्या लोग पांच-छः रुपये खर्च कर, अखबार को इसीलिए खरीदते है कि वह यह पढ़े कि किस आइएएस के बेटे-बेटियों की रिसेप्शन पार्टी में क्या हो रहा है?

पटना के वरिष्ठ पत्रकार एल के मिश्र कहते है कि अखबारों को इस प्रकार की फालतू खबरों से बचना चाहिए, पटना में भी हर दिन आइएएस के बेटे-बेटियों की शादियां/रिसेप्शन पार्टियां होती है, उसमें कभी-कभार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी भाग ले लेते हैं, पर उन पर तो यहां खबर कभी बनती नहीं, और न ही बननी चाहिए, संपादकों को इस प्रकार के समाचार को अखबार में जगह देने से बचना चाहिए।

पटना के ही वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेन्द्र नाथ कहते हैं कि भला ये भी कोई खबर हैं, खबर वहीं हैं जो जनसरोकार से जुड़ी हैं। ये खबरें तो आजतक पटना के अखबारों में नहीं छपी और न ही छपनी चाहिए। जो अखबार ऐसी खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित करते हैं, वो साफ खुद बता रहे हैं कि वे ऐसे लोगों की चमचई कर रहे हैं, ठकुरसोहाती में लगे हैं या सारा मामला विज्ञापन से जुड़ा हैं, वे चाहते है कि ऐसे अधिकारियों की उन पर कृपा बनी रहें, वे अखबारों पर खुश रहे, अपनी कृपा लूटाते रहे, जो पूर्णतः गलत हैं, ऐसी सोच से जितनी जल्द रांची के अखबार मुक्त हो जाये, उतना ही झारखण्ड की जनता और खुद के लिए भला होगा।