अपनी बात

विपक्ष को बहस की चुनौती देने के बाद भाग खड़े होने की कला कोई भाजपा से सीखे

याद करिये, 6 अप्रैल, भाजपा का प्रदेश कार्यालय। इसी दिन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने संपूर्ण विपक्ष को चुनौती दी थी कि विपक्ष आये और विकास के मुद्दे पर उनसे बहस करें। उन्होंने स्थान तक मुकर्रर कर लिया था, वो स्थान था –  मोराबादी मैदान, पर आज तक तिथि तय नहीं कर पाये कि बहस कब और किस दिन होगी? जबकि संपूर्ण विपक्ष आज भी बहस करने के लिए तैयार और बेकरार है, पर मुख्यमंत्री आज भी चुनौती देने के बाद, खुद भागे-भागे फिर रहे हैं।

मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा विपक्ष को बहस के लिए चुनौती देने के बाद इधर एक और नये भाजपा नेता का जन्म हुआ हैं, जो विपक्ष को बहस की चुनौती दे रहा है, यानी बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां सुभान अल्लाह। नाम है – प्रतुल शाहदेव। जनाब भाजपा के प्रवक्ता है। इन्होंने अपने बड़े नेता से सीखा है कि बहस की चुनौती दो और जब कोई बहस के लिए तैयार रहे तो भाग खड़े हो। इन्होंने भी ताल ठोक कर विपक्ष को चुनौती दे दी, आज सारे के सारे अखबारौं में उनके बयान भरे पड़े हैं।

जनाब ने भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल पर विपक्ष को सार्वजनिक बहस करने की चुनौती दे दी है। इनकी इस सार्वजनिक बहस करने की चुनौती को कई विपक्षी दलों ने स्वीकार किया है। जिसमें कांग्रेस पार्टी, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, झारखण्ड विकास मोर्चा के कई बड़े नेता तैयार हो गये, सार्वजनिक बहस के लिए, इसके बावजूद भाजपा के नेता सार्वजनिक बहस कब करेंगे? कहां करेंगे? इसका जवाब न तो भाजपा प्रवक्ता के पास है और न ही उसके किसी कार्यकर्ता के पास।

दरअसल भाजपा के नेता समझ चुके है, कि विकास हो या पत्थलगड़ी या भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक, हर मुद्दे पर उनकी मिट्टी पलीद होनी तय है, इसलिए ये चुनौती देते है, और चुनौती देने के बाद उलटे पांव भाग खड़े होते हैं, क्योंकि उन्हें परिणाम का अंदाजा बहुत अच्छी तरह होता है। अब भाजपा के ही नेता या प्रवक्ता अपने मुख्यमंत्री रघुवर दास से पुछ कर बताये कि उनकी उस चुनौती का क्या हुआ? जो उन्होंने विपक्ष को दी थी कि वो आये और विकास को लेकर उनके साथ बहस करें?

इसलिए भाजपा के नेता व कार्यकर्ता, अच्छा रहेगा कि वे विपक्ष को चुनौती देने से बाज आये, और स्वयं पर ज्यादा ध्यान दें, क्योंकि अब 2019 आने में ज्यादा दिन नहीं, अब वे चाहे कितना भी कूद-फांद कर लें, झारखण्ड की जनता उन्हें इस बार पटखनी देने के लिए तैयार है, सिल्ली और गोमिया विधानसभा चुनाव का परिणाम, तो उसका ट्रेलर पहले ही दिखा चुका है। …और, अंत में भाजपा के नेता वहीं बोले, जो वे कर सकें, नहीं तो बेकार में विपक्ष को बैठे-बैठाये मुद्दे नहीं दें, नहीं तो विपक्ष को तो कुछ नहीं होगा, पर खुद की मिट्टी पलीद होनी तय है।