आखिर शर्म आई, भाजपा के प्रदेशस्तरीय नेताओं को, ढुलू और रवीन्द्र को भेजा शो कॉज

पिछले कई दिनों से मुख्यमंत्री रघुवर दास के खासमखास भाजपा विधायक ढुलू महतो के कारस्तानी से धनबाद के अखबार पटे पड़े हैं, एक महिला कमला कुमारी, जो भाजपा की जिला मंत्री है, उसने ढुलू महतो के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाया और जैसे ही ढुलू महतो पर यौन शोषण का आरोप लगा, ढूलु महतो ने गिरिडीह के भाजपा सांसद रवीन्द्र पांडे पर आरोप लगा दिया कि ये सब सांसद रवीन्द्र पांडे के इशारे पर हुआ है।

ऐसे में बाघमारा के भाजपा विधायक ढुलू महतो भी कहा चुप बैठनेवाले थे, उन्होंने भी कच्ची गोली थोड़े ही खेली है। जल्द ही एक महिला, गिरिडीह के भाजपा सांसद के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगा दी और उस आरोप में यौन शोषण की पीड़िता कमला कुमारी के पति राजीव कुमार को भी इसमें आरोपी बना दिया, ऐसा क्यों हुआ, इसके बारे में ज्यादा जानने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि धनबाद की जनता, इस मामले में खूब बेहतर जानती है।

इधर ढुलू और रवीन्द्र पांडे के बीच यौन शोषण को लेकर शीतयुद्ध चलता रहा, पर भाजपा के स्थानीय नेताओं की इस मुद्दे पर गजब की चुप्पी देखते बनी, धनबाद के भाजपा सांसद पीएन सिंह हौ या धनबाद के विधायक राज सिन्हा या जिला अध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह, किसी ने भी एक शब्द इस पर बोलने की जहमत नहीं उठाई, आश्चर्य यह भी है कि यौन शोषण की शिकार कमला कुमारी, एक-दो बार भाजपा जिलाध्यक्ष से मिली भी, पर जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह ने कोई मदद नहीं की।

इधर मीडिया में लगातार आ रही खबर और भाजपा की हो रही बदनामी तथा छीछालेदर से भाजपा के प्रदेशस्तरीय नेताओं की कुम्भकर्णी निद्रा टूटी, वे शो कॉज का सुदिन देखने लगे, आज सुदिन बन गया और इन दोनों को शो कॉज भेज दिया गया। इस शो कॉज का जवाब इन दोनों नेताओं को सात दिनों के अंदर देने को कहा गया है। ये शो कॉज भाजपा के प्रदेश महामंत्री सह प्रदेश मुख्यालय प्रभारी दीपक प्रकाश के हस्ताक्षर से जारी किये गये है। जिसकी प्रतिलिपि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा, मुख्यमंत्री रघुवर दास तथा संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह को भी भेजा गया है।

पत्र में दोनों को कहा गया है कि ‘अखबार एवं मीडिया में छप रहे आपके बयानों एवं आपकी गतिविधियों से संबंधित खबरों से पार्टी की छवि धूमिल हुई है। प्रदेश नेतृत्व आपके इस कृत्य को घोऱ अनुशासनहीनता की श्रेणी का अपराध मानता है। पार्टी संविधान की धारा 25 (10) (घ) एवं (च) के अनुसार आपका उक्त कृत्य घोर अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। पत्र प्राप्ति की तिथि से एक सप्ताह के अंदर अपना स्पष्टीकरण प्रदेश अध्यक्ष को सुपुर्द करें।’