अपनी बात

विज्ञापन रुपी चांदी के जूतियों का असर, अखबार-चैनल बनें BJP कार्यकर्ता, बनायेंगे रघुवर सरकार

झारखण्ड के सभी प्रमुख तथाकथित राष्ट्रीय क्षेत्रीय अखबारों/चैनलों के मालिकों संपादकों ने अपना जमीर बेच दिया है। राजनीतिक पंडित तो यह भी कह रहे हैं कि, इन्होंने इन दिनों रघुवर सरकार द्वारा उदारता पूर्वक दिये जा रहे विज्ञापन रुपी चांदी के जूतियों के कारण अपना जमीर ही नहीं, बल्कि पूरा शरीर तक बेच दिया है, जिसके कारण झारखण्ड की जनता के दिमाग में इस प्रकार भाजपाभाजपा और रघुवररघुवर भरने का काम किया जा रहा है, जैसे लगता हो कि अन्य विपक्षी पार्टियां झारखण्ड की सबसे बड़ी शत्रु हैं और झारखण्ड की उद्धारक सिर्फ और सिर्फ भाजपा तथा इसके तारणहार सिर्फ और सिर्फ रघुवर है।

बड़े ही सुनियोजित ढंग से भाजपा के साधारण कार्यक्रमों को भी अखबारों/चैनलों में प्रमुख एवं ज्यादा से ज्यादा स्थान दिये जा रहे हैं, जबकि विपक्षी नेताओं को बीच के किसी पन्नों में दो कॉलमों में समेट दिया जा रहा है ताकि जनता को उनके कार्यक्रमों और उनसे संबंधित समाचारों का पता ही चलें तथा जनता अपनी मूलभूत समस्याओं और रघुवर सरकार के कारण जिस प्रकार झारखण्ड की इज्जत पूरे विश्व में धूल में मिल गई, उन सारी घटनाओं को चुनाव तक जनता सदा के लिए भूल जाये।

राजनीतिक पंडित बुद्धिजीवियों की मानें, तो झारखण्ड से प्रकाशित अखबार एवं प्रसारित चैनल द्वारा किया जा रहा यह षडयंत्र, झारखण्ड की गरीब जनता के साथ क्रूरता है, जिसकी जितनी निन्दा की जाय कम है, जब अखबारचैनल के मालिक/संपादक, कागज के टूकड़ों और चांदी के जूतियों पर बिकने लगेंगे, तो फिर आम जनता की आवाज कौन बनेगा?

जरा आज का रांची से प्रकाशित प्रभात खबर उठाइये, आपको रांची से प्रकाशित सारे अखबारों/चैनलों के कुकर्म पता लग जायेंगे, कि ये कैसे झारखण्ड की भूख से मर रही जनता एवं मॉब लिंचिंग की शिकार जनता एवं उनके परिवार के पीठ पर छुरा भोंक रहे हैं। आज यानी 22 सितम्बर को रांची से प्रकाशित प्रभात खबर का पेज नं. 12 और 13 देखिये, दो पृष्ठों का पेड न्यूज की तरह समाचार के रुप में रघुवर सरकार का विज्ञापन छापा गया है, जिसमें पीआर नंबर नहीं दिया गया है। 

और इसका प्रभाव देखिये, रघुवर सरकार के जनआशीर्वाद यात्रा को प्रथम पृष्ठ पर प्रमुखता से लीड खबर बनाकर छापा गया और झामुमो के बदलाव यात्रा को पेज नंबर 11 पर दो कॉलमों में चेप दिया गया, जबकि कल की झामुमो की डालटनगंज की बदलाव यात्रा जनाब रघुवर दास की सभा से कम नहीं थी, यहीं नहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव के न्यूज को भी दो कॉलम में चेप दिया गया, जबकि उसी पेज पर झारखण्ड के भाजपा प्रभारी का ओम प्रकाश माथुर की खबर चार कॉलम में प्रमुखता से दिया गया, क्या ये पत्रकारिता धर्म के खिलाफ नहीं है।

यहीं नहीं, आइपीआरडी के द्वारा पलामू ले जाये गये प्रभात खबर के संवाददाता बिपिन सिंह (खुद को घोर वामपंथी बतानेवाले) इन दिनों खुब रघुवर भक्ति में लगे हैं, इन दिनों खुब इनकी खबरें पलामू से लौटकर विपिन सिंह छप रहा है। जरा देखिये, प्रभात खबर की बेशर्मी। अच्छी खबर है इंजीनियर बना किसान। आज ही के पेज नं. आठ पर छः कॉलम में छापा गया है।

इस खबर को देख बुद्धिजीवियों का कहना है कि ये खबर तो इस प्रकार छापी गई है, जैसे आइपीआरडी द्वारा हाल ही में छापी गई विज्ञापन, कि जिसमें पत्रकारों को पन्द्रहपन्द्रह हजार रुपये मिलेंगे और बाद में सरकारी सोवनियर में प्रकाशित होने पर पांचपांच हजार रुपये सम्मान राशि अलग से दिये जायेंगे, उसी के लिए यह खबर छापी गई है। अच्छा है, जब तक ऐसे पत्रकारों का जन्म नहीं होगा, रघुवर की सरकार पुनः सत्ता में आयेगी कैसे?

राजनैतिक पंडितों का कहना है कि इन अखबारों/चैनलों को आज संतोषी नहीं याद रही, जो भूख से मर गई। वो किसान याद नहीं रहा, जो सरकार की गलत नीतियों के कारण आत्महत्या कर बैठा, मुख्यमंत्री का वो बयान नहीं याद आया, जो बारबार झूठा साबित हुआ, बिजली दिसम्बर 18 तक 24 घंटे दी जायेगी, नहीं दे पाया तो वोट मांगने नहीं आउंगा, इन्हें तबरेज अंसारी नहीं याद रहा, जिसके कारण यह मामला संयुक्त राष्ट्र संघ में उठ गया और पूरे झारखण्ड की नाक कट गई, पर जिसे देखिये फिलहाल रघुवर भक्ति में जूट गया, उनके आगे ठुमरी गा रहा हैं, यहां तक की नाचने को तैयार है, पर विपक्ष की बातों को उतनी तरजीह नहीं दे रहा, क्या यह लोकतंत्र के लिए काला धब्बा नहीं हैं।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जिस प्रकार से राज्य के अखबारोंचैनलों के मालिकोंसंपादकों ने रघुवर भक्ति दिखाना शुरु किया है, वो बता रहा है कि इन लोगों ने विज्ञापन रुपी चांदी के जूतियों को पाकर, भाजपा कार्यकर्ता के रुप में काम करने का संकल्प ले लिया हैं, जो झारखण्ड के लिए खतरा है, झारखण्डियों को चाहिए कि ऐसे अखबारों/चैनलों के प्रति अपना नजरिया बदलें, नहीं तो एक दिन ऐसा भी आयेगा कि ये अपने किस्मत पर रो रहे गरीब झारखण्डियों की छाती पर नृत्य करने से भी नहीं चूकेंगे।