राजनीति

कुर्मी-तेली रैली के विरोध में आदिवासी आक्रोश महारैली, पूरी रांची अस्त-व्यस्त

पूरे झारखण्ड के विभिन्न इलाकों से आये आदिवासियों ने राज्य की रघुवर सरकार को चेताया कि अगर सरकार ने कुर्मी और तेली समुदाय को आदिवासी समुदाय में शामिल किया तो उसकी खैर नहीं।आज की स्थिति पूरे रांची की यह है कि यहां का पूरा जन-जीवन प्रभावित हैं, रांची के विभिन्न गलियों-मुहल्लों से आदिवासियों का समूह अपनी परंपरागत वेष-भूषा तथा हथियारों से लैस हरमू मैदान की ओर जाते देखे गये, सभी पंक्तिबद्ध और सभी अनुशासित थे।

सभी का कहना था कि जैसे ही तेली और कुर्मी जाति के लोगों को आदिवासी समुदाय में शामिल किया जायेगा, आदिवासियों का अस्तित्व ही मिट जायेगा। कई लोगों का यह भी कहना था कि जिन विधायकों ने कुर्मी जाति को आदिवासी समुदाय में शामिल करने के लिए एक प्रपत्र पर हस्ताक्षर किया है, उन्हें नहीं पता कि वे उन्हीं की वोट से आज इस स्थिति में आये है कि वे हस्ताक्षर कर रहे हैं, पर अपने अस्तित्व को समाप्त करने की इस चुनौती को वे बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है।

दूसरी ओर इस आदिवासी आक्रोश महारैली में शामिल लोगों का यह भी कहना था कि न तो उन्हें तेली और न ही उन्हें कुर्मी समुदाय से विरोध हैं, पर राज्य सरकार की आदिवासी विरोधी नीतियों से उन्हें जरुर ऐतराज हैं, सरकार यह समझने को तैयार नहीं कि राज्य में आदिवासियों की क्या स्थिति हैं? और वे किस हाल में जी रहे हैं? एक तो आदिवासियों के अस्तित्व पर संकट हैं और दूसरे खुद राज्य के मुख्यमंत्री अपनी जाति की रैली में शामिल होकर, ऐसी चीजों को हवा देते हैं, जहां तेली समुदाय को आदिवासी में शामिल करने की बात चल रही होती है।

आदिवासी आक्रोश महारैली में शामिल लोगों का यह भी कहना है कि तेली और कुर्मी जाति का आदिवासियों की परंपरा और संस्कृति में काफी भिन्नता हैं, ये तो पूरा देश ही जानता हैं, इसलिए आदिवासी आक्रोश महारैली के द्वारा, आदिवासी समुदाय राज्य सरकार को ये बताना चाहता हैं कि पूरा आदिवासी समुदाय इस मत पर एक है कि तेली और कुर्मी समुदाय को आदिवासी समुदाय में शामिल करने का कोई ऐसा प्रयास न करें, नहीं तो स्थिति बिगड़ेगी और इसकी जिम्मेदार सरकार होगी, दूसरा कोई नहीं।