अपराध

चुनाव आयोग के पत्र ने सीएम की नींद उड़ाई

शर्मनाकः

  • चुनाव आयोग ने झारखण्ड के मुख्य सचिव को लिखा पत्र
  • मुख्यमंत्री के तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार (वर्तमान में प्रेस एडवाइजर) अजय कुमार और एडीजी स्पेशल ब्रांच अनुराग गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश
  • दोनों पर पद का दुरुपयोग करने का आरोप
  • झाविमो सुप्रीमो बाबू लाल मरांडी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर लगायी थी गुहार, सौंपे थे इनसे संबंधित दस्तावेज
  • मुख्यमंत्री कार्यालय धर्मसंकट में
  • मामला 2016 में संपन्न हुए राज्यसभा चुनाव से संबंधित

2016 में झारखण्ड में राज्यसभा चुनाव संपन्न हुए थे। इसमें भारी गड़बड़ी और हार्स ट्रेडिंग की शिकायत विपक्ष ने की थी। राज्य सरकार से जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्ति और अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाया कि वे अपने पद का दुरुपयोग कर रहे है, और इसी से संबंधित पत्र भी मुख्य सचिव राजबाला वर्मा के पास पहुंच गये।

सर्विस रुलों का किया उल्लंघन

चुनाव आयोग, नई दिल्ली के प्रधान सचिव वीरेन्द्र कुमार द्वारा प्रेषित पत्र में स्पष्ट किया गया है कि इन दोनों अधिकारियों ने सर्विस रुलों के अनुरुप कार्य नहीं किया, इसलिए इनके खिलाफ सर्विस रुलों के प्रावधानों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाय।

मामला रिश्वत देने व भ्रष्टाचार से संबंधित

चुनाव आयोग का कहना है कि यह पूरा मामला वोटरों को रिश्वत देने और भ्रष्टाचार से सबंधित है, इसलिए इस पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा समेत आईपीसी की धारा 171बी और 171सी के तहत भी कार्रवाई की जाय। चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव को यह भी कहा कि इन दोनों पर कार्रवाई संबंधी सूचना भी प्रेषित की जाये।

कार्रवाई सुनिश्चित करें

चुनाव आयोग ने यह भी पत्र के माध्यम से बताया है कि प्रारंभिक जाच में विधायक चमरा लिंडा, और निर्मला देवी के लिखित बयान उन्हें प्राप्त हुए थे, उससे स्पष्ट होता है कि प्रथम दृष्टया इन दोनों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

दोनों सीटों पर भाजपा जीती थी

हम आपको बता दें कि पिछले साल राज्यसभा चुनाव में भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी और महेश पोद्दार निर्वाचित घोषित हुए थे। नकवी को 29, तो महेश पोद्दार को 26.66 वोट मिले थे। विपक्ष के दो विधायकों ने इसमें क्रास वोटिंग की थी, झामुमो के चमरा लिंडा और कांग्रेस के विट्टू सिंह ने वोट ही नहीं दिया। झामुमो, कांग्रेस और झाविमो ने उस वक्त राज्य सरकार पर आरोप लगाया था कि राज्यसभा चुनाव में स्वयं के प्रत्याशी को विजयी बनाने के लिए, झामुमो विधायक चमरा लिंडा, कांग्रेस विधायक निर्मला देवी और बिट्टू सिंह के खिलाफ वारंट जारी किया गया था, ताकि ये विधानसभा तक नहीं पहुंच सके और न वोट डाल सकें। इसे लेकर विपक्ष ने काफी हंगामा मचाया था।

बुद्धिजीवियों की राय

बुद्धिजीवियों का मानना है कि इन दोनों व्यक्तियों को, जिनके खिलाफ चुनाव आयोग ने कड़ी टिप्पणी करते हुए, अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात की है, इन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और अगर वे ऐसा नहीं करते तो राज्य सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए, साथ ही जल्द इस पर कार्रवाई करते हुए, इसकी जानकारी चुनाव आयोग को प्रेषित कर देनी चाहिए, ताकि चुनाव आयोग के सम्मान पर कोई आंच न आये।