राजनीति

समन्वय समिति का एक प्रतिनिधिमंडल राजभवन पहुंचा, संविधान के अनुच्छेद 200 के अनुरुप संदेश के साथ तीनों विधेयकों को लौटाने संबंधी ज्ञापन सौंपा

सत्तारुढ़ झारखण्ड राज्य समन्वय समिति का एक प्रतिनिधिमंडल आज राजभवन जाकर राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को संविधान अनुच्छेद 200 के अनुरूप नहीं लौटाने को लेकर हैं। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से निवेदन किया है कि वो अनुच्छेद 200 के अनुरूप विधेयकों को लौटाये, ताकि सरकार अथवा सदन इस पर आगे अपना काम कर सकें। प्रतिनिधिमंडल ने इसके साथ पूर्व के राज्यपाल सैय्यद सिब्ते रजी व द्रौपदी मुर्मु के कार्यकाल में हुई कार्यों का दृष्टांत की एक-एक प्रति भी राजभवन को सौंपा है।

ज्ञापन के माध्यम से प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को सूचित किया है कि शिबू सोरेन ने महाजनों एवं सामन्तवादी व्यवस्था के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी, जिसके फलस्वरूप झारखण्ड अलग राज्य का गठन हुआ। उनके साथ इस लड़ाई में लाखों आंदोलनकारी शामिल हुए और सैकड़ों शहीद निर्मल महतो जैसे उनके साथियों ने प्राणों की आहुति दी। उनकी यह लड़ाई न केवल इस राज्य के आदिवासी-मूलवासी को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए था, बल्कि यह झारखण्डी अस्मिता एवं पहचान से भी जुड़ा था।

दिसम्बर 2019 में अपार जनसमर्थन पाकर झामुमो, कांग्रेस एवं राजद की गठबंधन सरकार ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में कार्य करना प्रारंभ किया। वर्तमान गठबंधन सरकार पहले दिन से ही आदिवासी, दलित, पिछड़ों एवं अल्पसंख्यक वर्ग के हितों को ध्यान में रखकर उनके समग्र विकास एवं कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं को अमलीजामा पहना रही है।

वर्तमान गठबंधन सरकार शिबू सोरेन एवं शहीद निर्मल महतो जैसे आंदोलनकारियों के सपनों को साकार करने के लिए कृतसंकल्पित है। इसी कड़ी में सरकार ने तीन महत्वपूर्ण विधेयकों जैसे 1. झारखण्ड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण संशोधन विधेयक 2022, 2. झारखण्ड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक 2022 एवं झारखण्ड (भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण) विधेयक 2021 विधानसभा से पारित कराकर राज्यपाल सचिवालय को अनुमोदन हेतु भेजा था।

इन विधेयकों से ना केवल यहां के लोगों की अस्मिता एवं पहचान जुड़ी हुई है, बल्कि यहां के पिछड़े, दलित एवं आदिवासियों के हक एवं अधिकार भी इनसे जुड़े हुए हैं। साथ ही जिस प्रकार से विगत आठ-नौ वर्षों में देश के सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ने का सुनियोजित प्रयास हुआ है। उसमें झारखण्ड (भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण) विधेयक 2021 अत्यंत ही महत्वपूर्ण हो जाता है।

राज्य सरकार ने इन सभी विधेयकों को भली-भांति एवं कानूनी तौर पर परखने के उपरांत ही विधानसभा से पारित कराकर राज्यपाल सचिवालय को अनुमोदन हेतु प्रेषित किया था, परन्तु राज्यपाल सचिवालय द्वारा कुछेक बिन्दुओं पर आपत्ति कर इन्हें सरकार को लौटा दिया गया। परन्तु यह खेदजनक है कि ऐसा करते वक्त भवदीय के सचिवालय द्वारा संवैधानिक प्र्क्रिया का पालन नहीं किया गया। एवं इसे बगैर आपके संदेश के वापस कर दिया गया। राज्यपाल सचिवालय द्वारा विधेयक को वापस करते समय भारत के संविधान अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल का संदेश संलग्न करना एक संवैधानिक जरुरत है, जिसके बगैर राज्य सरकार के द्वारा त्रुटियों का निराकरण कर पुनः विधानसभा में विधेयक को पेश करने में वैधानिक कठिनाई हो रही है।

प्रतिनिधिमंडल ने सूचित करते हुए लिखा है कि पूर्व में जो भी विधेयक त्रुटि निवारण हेतु लौटाये गये हैं, वे संविधान में निहित विहित प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत लौटाये गये हैं। इस पत्र के साथ तत्कालीन राज्यपाल सिब्ते रजी एवं द्रौपदी मुर्मु द्वारा लौटाये गये दो विधेयकों में संलग्न राज्यपाल सचिवालय के पत्रों की प्रति भी आपके सुलभ अवलोकन हेतु संलग्न की जा रही है।

प्रतिनिधिमंडल ने कहा है कि संविधान के संरक्षक होने के साथ-साथ आप दलित, आदिवासी, पिछड़े एवं अल्पसंख्यकों के प्रति भी विशेष स्नेह रखते हैं, जिनके उत्तरोतर कल्याण के निमित्त इन तीनों विधेयकों पर आपका सकारात्मक निर्णय अपेक्षित है। वर्तमान गठबंधन की सरकार आदिवासी, दलित, पिछड़ों एवं अल्पसंख्यक समुदाय के हित में इन विधेयकों को पुनः विधानसभा से पारित कराकर इन्हें कानूनी अमलीजामा शीघ्रताशीघ्र पहनाने के लिए कृतसंकल्पित है। इसके लिए आवश्यकता पड़ेगी तो विधानसभा का विशेष सत्र भी सरकार बुला सकती है।

अतः राज्य सरकार के अनुरोध के अनुरुप संविधान के अनुच्छेद 200 के अंतर्गत अपने संदेश के साथ उक्त विधेयकों को वापस करने की वे कृपा करें, ताकि सरकार इन तीनों विधेयकों को पुनः विधानसभा से पारित कराकर उनके समक्ष स्वीकृति के लिए उपस्थापित करा सकें। राजभवन को सौंपे गये ज्ञापन में राजेश ठाकुर, विनोद कुमार पांडेय, योगेन्द्र, फागु बेसरा व बंधु तिर्की के हस्ताक्षर है।