12,500 स्कूलों को बंद कर शिक्षा का स्तर सुधारने का काम सिर्फ झारखण्ड के CM ही कर सकते हैं

“राज्य गठन के बाद से किसी सरकार ने शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए काम नहीं किया। पढ़ाई महंगी हो गई लेकिन शिक्षा का स्तर नहीं सुधरा, हमारी सरकार ने सबसे पहले स्थानीय नीति परिभाषित की और शिक्षकों की बहाली की” ये डायलॉग है झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास का। ये डायलॉग उन्होंने  राज्यस्तरीय स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार समारोह के अवसर के दौरान कहीं, यानी शिक्षा का स्तर सुधारने की बात वह व्यक्ति कर रहा है, जिसने झारखण्ड में शिक्षा की स्थिति बद से बदतर कर दी, जिसके शासनकाल में स्कूलों को सदा के लिए बंद करने का रिकार्ड बनने जा रहा है, जहां पारा शिक्षकों को पिछले चार-पांच महीने से मानदेय नहीं मिला है।

सच्चाई यह है कि राज्य में शिक्षा की बद से बदतर हो रही स्थिति को देखते हुए 11-12 जून को राज्य के दो पूर्व शिक्षा मंत्री उपवास पर बैठने जा रहे है। झारखण्ड विकास मोर्चा के नेताओं का साफ कहना है कि एक साजिश के तहत राज्य में स्कूल बंद किये जा रहे हैं, और ये काम राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास कर रहे हैं, जो गैर संवैधानिक और गैर कानूनी है। झारखण्ड विकास मोर्चा के नेता प्रदीप यादव तो साफ कहते है कि राज्य सरकार दरअसल गरीब, दलित और अल्पसंख्यक बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की बहुत बड़ी साजिश रच रही है, जो शर्मनाक है।

वे यह भी कहते है कि राज्य सरकार की इस नीति से 15 लाख 22 हजार बच्चे शिक्षा से वंचित हो जायेंगे और उनकी पार्टी ऐसा होने नहीं देगी, सरकार के इस निर्णय के खिलाफ वे सड़कों पर उतरेंगे। झाविमो नेता प्रदीप यादव कहते है कि सरकारी स्कूलों में ताला लगवाकर, यह रघुवर सरकार बड़े औद्योगिक घरानों को शिक्षा के क्षेत्र में आने के लिए रास्ता बना रही है, जो गलत है, इससे विषमताएं बढ़ेगी, सामाजिक ढांचा प्रभावित होगा।

इधर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार ने पूरे राज्य में साढ़े बारह हजार स्कूलों को बंद करने का फैसला ले लिया, आखिर सरकारी स्कूलों में किसके बच्चे पढ़ते है? उनके बच्चे पढ़ते है, जो आर्थिक रुप से सक्षम नहीं है, ऐसे बच्चों को जिन्हें स्कूल में लाने का प्रबंध करना चाहिए, स्कूल में उन्हें लाने का माहौल बनाना चाहिए, सरकार ऐसा न कर, सीधे स्कूलों को बंद करने का जो कुचक्र रच रही है, यह बर्दाश्त के बाहर है, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा सरकार के इस विध्वंसकारी निर्णय के खिलाफ जनांदोलन छेड़ेगी।