मोदी सरकार के 11 साल: आम जनता को संकट, औद्योगिक घरानों को छूट और लोकतंत्र को चोट पहुंचानेवाला” – आलोक दूबे
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव आलोक कुमार दूबे ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के 11 वर्षों के कार्यकाल को भारत के लोकतंत्र और आर्थिक विकास के लिए सबसे विफल दौर बताया है। उन्होंने कहा कि देश आज कई गहरे संकटों से गुजर रहा है और इन 11 वर्षों में मोदी सरकार ने न केवल संवादहीनता का परिचय दिया बल्कि देश की सुरक्षा, आर्थिक स्थिति और सामाजिक ताने-बाने को भी पूरी तरह चौपट कर दिया है।
आलोक दूबे ने कहा, “मोदी सरकार ने 11 सालों में संवाद से दूरी बनाकर लोकतंत्र की बुनियाद को ही हिला दिया है। एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस न करना, सवालों से भागना और संवादहीन रहना, लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत हैं। जब देश की जनता सवाल पूछती है, तो सरकार चुप रहती है। यह साफ़ दर्शाता है कि मोदी सरकार जवाबदेही से डरती है।”
उन्होंने कहा देश में बेटियों की सुरक्षा नाकाफी और चिंता का विषय है। “महिलाओं पर अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार के पास न तो कोई ठोस नीति है और न ही कोई कारगर कदम। चौकीदार सोया हुआ है और जनता असुरक्षित महसूस कर रही है।”
आलोक कुमार दूबे ने महंगाई को लेकर कहा कि आज देश के नागरिक रोजाना की जरूरतों को भी मुश्किल से पूरा कर पा रहे हैं। गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतों ने आम परिवारों की परेशानी बढ़ा दी है। “तेल के दाम बढ़े, गैस सिलेंडर महंगा हुआ, और रोज़मर्रा की वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। आम आदमी की जेब दिन-ब-दिन खाली होती जा रही है।” उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की नीतियां गरीब और मध्यम वर्ग के हितों के खिलाफ हैं।
आलोक दूबे ने कहा, “मोदी सरकार ने देश की प्रमुख संस्थाओं को बेचकर देश की संप्रभुता को खतरे में डाल दिया है। रेलवे, तेल कंपनियां, हवाई अड्डे और अन्य महत्वपूर्ण संसाधन बिक गए। ये देश की विरासत हैं, जिन्हें सरकार ने निजीकरण के नाम पर बेच दिया। जनता की आर्थिक सुरक्षा खतरे में है।” उन्होंने कहा कि गिरता रुपया, बढ़ती आर्थिक असमानता और बढ़ती बेरोजगारी मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की असफलता का प्रमाण है। “देश की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है और इसके लिए जिम्मेदार नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार हैं।”
आलोक कुमार दूबे ने कहा, “पिछले साल चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने मीडिया इंटरैक्शन को एक शो की तरह प्रस्तुत किया था, जिसमें उन्होंने खुद को ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ बताने का दावा किया, लेकिन असली संवाद और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का साहस कभी नहीं दिखाया। जनता को जवाब नहीं देना और सवालों से भागना लोकतंत्र के लिए खतरा है।”
उन्होंने कहा कि देश के संवेदनशील मुद्दों जैसे अग्निवीर योजना, मणिपुर हिंसा और पुलवामा-पहलगाम आतंकी हमलों के बाद भी सरकार न केवल चुप रही, बल्कि जनता की चिंता को समझने में असफल रही। आलोक कुमार दूबे ने स्पष्ट किया कि यह 11 साल का शासनकाल भारत के लोकतंत्र के इतिहास में संवादहीनता, जवाबदेही से परहेज, बढ़ती असुरक्षा, आर्थिक विषमता और जनविरोधी नीतियों के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह जनता के प्रति जिम्मेदार बने, सवालों का जवाब दे, संवाद स्थापित करे और देश की मूलभूत सुरक्षा तथा आर्थिक स्थिरता को प्राथमिकता दे।