अपनी बात

आज “हाथी उड़ावन दिवस” है, इसी दिन होनहार EX-CM रघुवर दास ने झारखण्ड में हाथी उड़ाओ अभियान का श्रीगणेश किया था

आज का दिन बड़ा ही पवित्र और झारखण्ड के लिए ऐतिहासिक भी। आज ही के दिन झारखण्ड भाजपा में एक ऐसे नेता हुए, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से प्रभावित होकर तथा अपने कनफूंकवों की मदद से झारखण्ड में हाथी उड़ाने की योजना का शुभारम्भ किया था। कोई ज्यादा समय भी नहीं बिता है, पर लगता है कि लोग भूल रहे हैं।

आज से ठीक तीन साल पहले यानी 16 फरवरी 2017 को राज्य के अब तक के सर्वाधिक होनहार माने जानेवाले पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मोमेंटम झारखण्ड का शुभारम्भ किया था और हाथी उड़ाने के लिए जोरों का दम लगाया था, पर वह हाथी उड़ने के बजाय ऐसा धम्म से गिरा कि तीन साल बाद स्वयं मुख्यमंत्री के पद पर विराजने वाले पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी ऐसे धम्म से गिरे कि आज उन्हें कोई पूछनेवाला नहीं।

सच्चाई यह है कि उनकी राजनीतिक कैरियर ही समाप्त हो गई और राज्य में भाजपा में कल फिर से भाजपा के ही पुराने नेता बाबू लाल मरांडी भाजपा के उद्धार के लिए भाजपा में कदम रख रहे हैं, यानी एक महीने के अंदर झारखण्ड की राजनीति में अगर किसी नेता की दुर्गति हुई तो वह नेता रहे झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, जिन्हें भाजपा कार्यकर्ताओं पर कम, अपने कनफूंकवों पर ज्यादा विश्वास था, उन्हें लगता था कि जो कनफूंकवे हैं, वहीं सर्वाधिक बुद्धिमान है, पर आज स्थिति यह है कि वे कनफूंकवे ही उनके सत्यानाश के कारण बन गये।

हाथी उड़ाने के चक्कर में ये इतने अहंकारी हो गये कि ये किसी को समझ ही नहीं रहे थे, जनाब मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानी नमक का दारोगा के पं. अलोपीदीन बन गये थे, वह अलोपीदीन जिसे विश्वास था कि जैसे स्वर्ग में लक्ष्मी का राज चलता है, ठीक उसी प्रकार यहां भी वे जैसे पैसों से खरीदकर अखबारों व चैनलों को अपना गुलाम बना रखा है, सभी को चुनाव के समय में भी ऐसा ही करेंगे और फिर सत्ता पा लेंगे,पर राज्य की जनता ने तो कुछ दुसरा ही सोच रखा था, उसने संकल्प कर लिया था कि उसे हाथी उड़ानेवाला दंभी मुख्यमंत्री नहीं चाहिए।

जरा पूछिए, उस पूर्व मुख्यमंत्री  रघुवर दास से कि जब उन्होंने मोमेंटम झारखण्ड वैश्विक निवेशक सम्मेलन का उद्घाटन किया था, तो उस दिन कौन-कौन से वायदे किये थे और सत्ता में रहते उन वायदों को क्यों नहीं पूरा किया? आपने कहा था कि 28,29 एवं 30 नवम्बर 2018 को प्रवासी झारखण्डी सम्मेलन तथा 2019-20 में अगला वैश्विक निवेशक सम्मेलन होगा, इन दोनों सम्मेलनों को कराने में वे क्यों विफल रहे? क्या हुआ उस डायलॉग का कि ‘मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है।’

दरअसल यह डायलॉग उसके लिए हैं, जो खुद तथा बुद्धिमानों व परोपकारियों पर विश्वास करता है, न कि केवल डायलॉग बोलनेवाले, अहंकारियों से घिरे होने, खुद को ही सर्वस्व समझ लेनेवालों के लिए हैं। दरअसल मोमेंटम झारखण्ड के नाम पर मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके चहेतों ने जमकर मौज उडाएं, खुब विदेशों में जाकर चक्कर कांटे और जनता के पैसों को पानी की तरह बहाया।

अखबारों-चैनलों यहां तक की विदेशी अखबारों-चैनलों पर भी जमकर पैसे बहाएं। मोमेंटम झारखण्ड के नाम पर राज्य की जनता को ठेंगे पर रखा और मोमेंटम झारखण्ड में आये मेहमानों के भोज-भात पर जमकर करोड़ो लूटाएं, पर इस आयोजन से राज्य को क्या लाभ हुआ? सभी को पता है। न हाथी उड़ा, न झारखण्ड में निवेशक आये, न राज्य की जनता व बेरोजगारों को लाभ हुआ, पर इसके नाम पर कनफूंकवों की बन आई।

आज रघुवर दास के सत्ता से हटने के बावजूद उन कनफूंकवों को कही कोई दिक्कत नहीं हैं, वे जमकर ऐश कर रहे हैं, क्योंकि वे जानते थे कि ऐसे लोग फिर सत्ता में नहीं आते, इसलिए जितना वक्त हैं, उसका सदुपयोग करों ताकि बाद में काम करने की जरुरत ही नहीं पड़े। चलिए तीन साल पूर्व में जिसने हाथी उड़ाने का अभियान चलाया, जो खुद प्रोजेक्ट बिल्डिंग में प्रेस कांफ्रेस में कहा था कि वह खुद उड़ रहा है, राज्य की जनता उसके साथ उड़ रही हैं, झारखण्ड उड़ रहा है तो चलिए, उसे फिर से ऐसे होनहार रहे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री को आज के हाथी उड़ावन दिवस की शुभकामनाएं दे दें।