अपनी बात

युवाओं ने कृषि मंत्री रणधीर को दी भद्दी-भद्दी गालियां, की हाथापाई, अपमानित कर मंच से उतारा

भाजपाइयों के लिए स्थिति ठीक नहीं है, उनके लक्षण ठीक दिखाई नहीं पड़ रहे, उनके विधायक अब अपमानित भी होने लगे हैं, उनके साथ अब हाथापाई भी हो रही हैं, गाली- गलौज तो सामान्य बात हो गई है, मुर्दाबाद के नारे भी लग रहे हैं, यहां तक अपमानित करते हुए उन्हें मंच से भी नीचे उतारा जा रहा हैं, इन मंत्रियों के साथ गये सुरक्षाकर्मी भी हालात को देखकर सिहर जा रहे हैं, अगर स्थिति यही रही तो आनेवाले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में कमल खिलने की संभावना तो नहीं, पर उसके सूख कर बिखरने की संभावना बलवती हो गई है।

स्थिति यह है कि जानकार बताते है कि कल देर रात पारबाद गांव में जिस प्रकार कृषि मंत्री रणधीर सिंह को बेइज्जत कर मंच से उतारा गया, वो बताता है कि अब स्थानीय युवा कृषि मंत्री को अपने सारठ विधानसभा से विधायक के रुप में देखना पसन्द नहीं करना चाहते, अगर भाजपा ने सारठ से टिकट दे भी दिया, तो कृषि मंत्री रणधीर सिंह की जमानत बचनी मुश्किल है।

ऐसे भी जिस गांव में ये घटना घटी, वह ब्राह्मण-भूमिहार इलाका है, कृषि मंत्री रणधीर सिंह स्वयं भूमिहार हैं, ऐसे में कृषि मंत्री रणधीर सिंह के साथ दीपावली के पूर्व हुई ये घटना भाजपाइयों को सकते में डाल दिया है। जानकार बताते है कि कृषि मंत्री रणधीर सिंह का व्यवहार ही, इस घटना के लिए ज्यादा जिम्मेवार है।

बताया जाता है कि सारठ विधानसभा के पारबाद गांव में स्थित काली मंदिर के एक कार्यक्रम में मंच बनाया गया था, जिस कार्यक्रम में कृषि मंत्री रणधीर सिंह पहुंचे थे, वे जैसे ही मंच पर पहुंचे, आक्रोशित युवाओं ने उन्हें घेर लिया, और उनके साथ अशोभनीय व्यवहार करने लगे, गाली-गलौज और हाथापाई भी शुरु हो गई, मौके की नजाकत को समझते हुए उनके साथ गये सुरक्षाकर्मियों ने कृषि मंत्री को घेरे में लेने की कोशिश की, पर सफलता नहीं मिल रही थी।

इधर आक्रोशित युवाओं ने कृषि मंत्री को मंच से उतारा और कृषि मंत्री वहां से निकल जाने में ही बुद्धिमानी समझी। इस घटना से संबंधित विडियो में कृषि मंत्री के साथ गाली-गलौज होता साफ सुनाई दे रहा है, हाथा-पाई के स्वर भी सुनाई दे रहे हैं, हाथा-पाई के दौरान, एक का कहना कि हाथ मत छोड़ों, नहीं तो अंजाम बहुत बुरा होगा साफ सुनाई दे रहा है।

जानकार बताते है कि पारबाद की ये घटना बता रही है कि इस इलाके से भाजपा का सफाया हो गया है, सारठ से जुड़े करीब दस विधानसभा में भाजपा का खाता भी नहीं खुलेगा, लोकसभा में तो भाजपा का बंटाधार ही हैं, क्योंकि युवाओं का जनाक्रोश सिर्फ पारबाद गांव में ही नहीं है, ये तो यहां यत्र-तत्र-सर्वत्र दिखाई पड़ रहा है।