अपनी बात

जो इस कोरोना संक्रमण काल में किसी ने नहीं किया, वो जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन के अश्विनी ने रांची में कर दिखाया

श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 2, श्लोक संख्या 22, कहता है –

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय, नवानि गृह्णाति नरोsपराणि।

तथा शरीराणि विहाय, जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही।।

जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर, दूसरे नये वस्त्र धारण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्यागकर, दूसरे नये शरीरों को प्राप्त होता है।

और श्रीमद्भगवद्गगीता के इस श्लोक को जमीन पर उतारने का सही प्रयास किया है, रांची की एक संस्था – “जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन” ने। जिसके कर्ता-धर्ता है – अश्विनी राजगढ़िया, तथा जिन्हें इस प्रकार की अच्छे कार्यों को करने के लिए उत्प्रेरित करती है, उनकी भार्या खुश्बू राजगढ़िया। यानी जैसा नाम, वैसा काम, कई लोगों की जिंदगी में खुश्बू बिखेरे चुके ये दोनों पति-पत्नी से जब आप मिलेंगे तो इन्हें हर परिस्थितियों में मुस्कुराते हुए पायेंगे, सेवा करते पायेंगे।

अश्विनी राजगढ़िया, बताते है कि एक बार जब उन्होंने एक समाचार देखा, तब उनका मन बहुत ही उद्वेलित हुआ और फिर उन्होंने एक संस्था खोली और उसके माध्यम से उन गरीबों-वंचितों-उपेक्षितों के लोगों के लिए निःशुल्क एंबुलेंस सेवा शुरु कर दी, ताकि वे भी अपने परिवारों के शवों को ससम्मान जहां पाये, वहां ले जा सकें। उन्हें खुशी है कि अब तक 3500 शवों को उनके एंबुलेंसों ने अपनी सेवा दी और यह सेवा झारखण्ड, के साथ-साथ बिहार, ओड़िशा तथा उत्तरप्रदेश के लोगों ने भी प्राप्त की।

आपको आश्चर्य होगा कि अश्विनी राजगढ़िया इस कार्य के लिए गरीबों, वंचितों, उपेक्षितों से एक भी पैसे नहीं लेते, जबकि अन्य जो सामर्थ्यवान हैं, वे अगर इसकी सेवा लेना चाहते हैं तो सिर्फ उनसे पेट्रोल का भाड़ा लेकर ही काम चला लेते हैं, इनकी ये सेवा व भलमनसाहत से पूरा रांची गदगद है, सभी इनका दिल से सम्मान करते हैं।

अश्विनी राजगढ़िया की पत्नी खुश्बू राजगढ़िया ब्लडबैंक संभालती है और जिन्हें बल्ड चाहिये, उन्हें वे विदआउट डोनर ब्लड उपलब्ध कराने का प्रयास करती हैं, जो काबिले तारीफ है। इधर अश्विनी राजगढ़िया ने एक ऐसा काम अपने हाथों लिया है, जो भारत में किसी ने नहीं अब तक किया। जिसको लेकर वे इन दिनों चर्चे में हैं। विश्वव्यापी महामारी कोरोना के इस दौर में, वे कोरोना वॉरियर्स के लिए विशेष कार्यक्रम चला रहे हैं। वे कोरोना वॉरियर्स की गाड़ियों को पूरी तरह सेनिटाइज्ड कराने का काम कर रहे हैं, वो भी बिना किसी  पैसे के। इसकी शुरुआत उन्होंने पिछले दिनों 15 अप्रेल को की।

रांची के हरमू रोड स्थित विशाल मेगामार्ट के पास उनकी सेनिडाइज्ड करनेवाली आधुनिक गाड़ी प्रतिदिन सुबह दस से सायं छह बजे तक लगी रहती है, और जो भी मरीजों के एबुंलेंस, पुलिस वाहन, पत्रकारों के वाहन, सफाईकर्मियों के वाहन गुजरते हैं, उनके वाहनों को मुफ्त सेनिटाइज्ड करती है, ताकि ये सारे कोरोना वॉरियर्स का स्वास्थ्य हमेशा ठीक रहे, अब तक सात सौ से भी अधिक वाहनों को वे सेनिटाइज्ड करवा चुके हैं। उनका ये भी कहना है कि कोरोना वॉरियर्स के वाहनों के लिए सेनिटाइज्ड करने का काम तब तक चलता रहेगा, जब तक कोरोना संक्रमण रहेगा।

कमाल देखिये, रांची में बहुत सारे उद्योगपति रहते हैं, अनेक धन्ना सेठ है, पर दिल किसके पास है? गरीबों, वंचितों, उपेक्षितों के परिवारों के शवों को भी वहीं सम्मान मिले, ये सम्मान दिलाने का काम किसने किया और जब देश में कोरोना महामारी फैली तो कोरोना वॉरियर्स के वाहन भी सेनिटाइज्ड रहे, वे स्वस्थ रहे, इसके लिए काम करने का ध्यान किसका गया, तो वो नाम हैं – अश्विनी राजगढ़िया का। उनके फाउंडेशन – जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन का।

आम तौर पर ज्यादातर रांची या दूसरे  जगहों में बने फाउंडेशन करते क्या है? सिर्फ नाम की संस्था बनाकर, एनजीओ बनाकर धंधा चलाते हैं, और अश्विनी राजगढ़िया ने क्या किया? वो आप सबके सामने हैं। सचमुच अश्विनी राजगढ़िया और उनकी पत्नी खुश्बू राजगढ़िया को विद्रोही24 डॉट कॉम की ओर से बहुत-बहुत बधाई, ईश्वर आपसे इसी तरह अच्छा काम लेता रहे, आप दीन-दुखियों की इसी प्रकार सेवा करते रहे।