CM हेमन्त की विधानसभा सदस्यता रद्द होने की आशंका से भयभीत हुई UPA, बन्ना गुप्ता ने निशिकांत दूबे को बताया-गोपीचंद जासूस

आज फिर रांची के मुख्यमंत्री आवास में यूपीए विधायक दल की बैठक हुई। जिसमें झारखण्ड कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय मौजूद रहे। आज की बैठक में जहां कल तक माननीयों के चेहरे पर प्रसन्नता झलक रही थी, वहीं आज सभी गंभीर दिखे, कुछ तो डरे भी दिखे कि पता नहीं राजभवन में बैठे राज्यपाल रमेश बैस क्या फैसला सुना दें? बैठकोपरांत जो मंत्रियों ने संवाददाताओं को संबोधित किया। उसमें सभी का लब्बोलुआब यह था कि राजभवन अब देर न करें, उस सीलबंद लिफाफे के रहस्य से पर्दा उठाएं।

झामुमो के वयोवृद्ध नेता स्टीफन मरांडी ने तो संवाददाता सम्मेलन में साफ कहा कि वे लोग डरनेवाले नहीं हैं, पर सच ये भी है कि उनके चेहरे पर आनेवाले अज्ञात भय का भय साफ दिख रहा था, वे बार-बार राज्यपाल से गुहार लगा रहे थे कि वे सीलबंद लिफाफे पर से पर्दा उठाएं ताकि राज्य में जो संशय की स्थिति बनी हैं, वो दूर हो।

दूसरी ओर कांग्रेस कोटे से बने मंत्री बन्ना गुप्ता ने तो कुछ अजब-गजब बातें कह दी। गोड्डा के भाजपा सांसद और वर्तमान माहौल में भाजपा की ओर से सुर्खियों में रहे निशिकांत दूबे को उन्होंने गोपीचंद जासूस की संज्ञा दे दी। बन्ना गुप्ता ने यह भी कहा कि पता नहीं निशिकांत दूबे ज्योतिषाचार्य है कि क्या हैं, उन्हें हर बात का पता पहले लग जाता है।

बन्ना गुप्ता ने तो सीधे-सीधे केन्द्र को धमकी भी दी कि जब उन्हें लगता है कि ये सरकार ही गड़बड़ हैं, तो फिर वे धारा 356 का इस्तेमाल क्यों नहीं करते। मतलब कुछ तो निर्णय लें, ये क्या उधेड़-बून लगा रखी हैं, जिससे सारा काम-काज ही ठप पड़ गया है। वे निर्णय लेंगे तभी हम भी संवैधानिक व लोकतांत्रिक तरीकों का इस्तेमाल करेंगे, बतायेंगे कि हम यहां किस स्थिति में हैं? बन्ना गुप्ता ने यह भी कहा कि भाजपा के लोग जान लें आज भी महागठबंधन को पचास सीटें प्राप्त हैं, जिसमें कोई किन्तु-परन्तु नहीं है।

मंत्री चम्पई सोरेन, वहीं आदिवासी-मूलवासी, पिछड़ा, अल्पसंख्यक, दलित का राग अलापते रहे, हेमन्त को अपना नेता बताते रहे, और राज्य में विकास कार्य ठप होने के लिए केन्द्र को जिम्मेवार ठहराते रहे। इधर राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अब हेमन्त सरकार कुछ भी बहाना बना लें, वो लाख कहें कि वो डरे नहीं हैं, पर सच्चाई है कि जब से चुनाव आयोग से राजभवन को पत्र आया हैं, वो डरे हुए हैं और लोगों को तथा मीडिया के लोगों को बुद्धू बनाने में लगे हैं।

माहौल छत्तीसगढ़ का होता हैं और लतरातू पहुंच जाते हैं। पिछले तीन दिनों से राज्य में काम-काज ठप है। सभी जगह राजनीतिक घटनाक्रम की बातें चल रही हैं। जब सरकार ही स्थिर नहीं हैं। जब सरकार में शामिल लोगों को ही डर बना हुआ हैं और इस डर को वे डैम में जाकर खत्म करने का नाटक करेंगे तो ऐसा थोड़े ही है, कि जनता को कुछ मालूम नहीं।

राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को चाहिए कि बहुत हो गया यूपीए के बैठक का दौर। वो सीधे अपना काम करें। जो होगा, सो देखा जायेगा, ऐसे भी सरकार पर कोई संकट नहीं हैं, राजभवन भी कुछ ऐसा फैसला नहीं लेने जा रहा, जिससे सरकार को कोई दिक्कत हो, पर जब सरकार खुद ही दिक्कत रुपी आसन्न संकट को मान लें तो इस संकट से भला सरकार को कौन उबारेगा?