अपनी बात

जब तक भाजपा की ओर से टिकट फाइनल नहीं हो जाये, तब तक भाजपा के प्रदेश चुनाव समिति के सभी सदस्यों को टिकटार्थियों से शॉल, चुनरी ओढ़ने व स्मृति चिह्न लेने का प्रयास करते रहना चाहिए

आप जिन्हें उपर फोटो में देख रहे है। वे हैं प्रदेश भाजपा चुनाव समिति के वयोवृद्ध सदस्य श्याम नारायण दूबे। जनाब पलामू के रहनेवाले हैं। भाजपा में इनका बहुत सम्मान है। तभी तो चुनाव समिति के सदस्य है। जनाब अचानक ये पहुंचते हैं, रांची के बहुचर्चित व्यक्ति रमेश सिंह के घर। रमेश सिंह अपने घर में उन्हें पाकर, उन्हें अंगवस्त्र ओढ़ाकर और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित करते हैं।

जब से रमेश सिंह ने भाजपा में कदम रखा है। भाजपा में बड़े पदों पर बैठनेवाले चाहे श्याम नारायण दूबे हो या दीपक प्रकाश हो या कर्मवीर सिंह हो या असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ही क्यों न हो। सबकी चाहत रही हैं कि वे किसी न किसी रुप में, उनके घर जाकर या बाहर में ही किसी के घर पर पहुंचकर उनसे प्यार बढ़ाये, ताकि उनका जीवन भी रमेश सिंह के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर आलोकित हो।

रमेश सिंह भी, भाजपा के प्रदेश महामंत्रियों की तरह बहुत जल्दी तरक्की करना चाहते हैं। जैसे प्रदीप वर्मा व आदित्य साहू देखते ही देखते राज्यसभा पहुंच गये। यह भी व्यक्ति चाहता है कि वो राज्यसभा या लोकसभा तो नहीं पहुंच पाया, पर विधानसभा जरुर पहुंच जाये। इसकी महत्वाकांक्षा भी यही हैं। लोग बताते है कि ये चाहते है कि इन्हें रांची विधानसभा से इस बार टिकट मिल जाये ताकि इनका जीवन कृतार्थ हो जाये।

शायद यही कारण है कि रमेश सिंह कभी पत्रकारों को सम्मानित करने के लिए हर मीडिया हाउस में जाकर लाल-लाल चुनरी उन्हें थमा आते हैं, ओढ़ा आते हैं तो कभी अपने ही घर में कुछ न कुछ लोगों को बुलाकर शाल/चद्दर/चुनरी आदि ओढ़ाते रहते हैं। रमेश सिंह फिलहाल भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य है। उन्हें प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बनानेवाले भी कोई साधारण पुरुष नहीं हैं। वे भी भाजपा नेताओं की कृपा से काफी तरक्की कर चुके हैं।

इधर रांची विधानसभा से कई लोग दांत पिजाये हुए हैं कि उन्हें इस बार टिकट मिले, पर टिकट किसको मिलेगा, ये तो चुनाव समिति ही तय करेगी। ऐसे भी चुनाव समिति में जो लोग मौजूद हैं, उनमें से रमेश सिंह, हिमंता बिस्वा सरमा को एक के घर पर जाकर उन्हें सम्मानित कर ही चुके हैं और श्याम नारायण दूबे भी कल सम्मानित हो ही चुके हैं। जो अब तक सम्मानित नहीं हुए हैं, वे भी आज न कल सम्मानित हो ही जायेंगे।

जो बाकी बचे हैं, रमेश सिंह के एहसानों के तले पूर्णतः या अंशतः दबे हुए हैं ही। इसलिए रमेश सिंह रांची के विधानसभा का भाजपा की ओर से टिकट प्राप्त करने के लिए कम प्रयास नहीं कर रहे और उतना ही प्रयास चुनाव समिति के सदस्य भी इस बार उनके लिए करने में लगे हैं। परिणाम तो उस वक्त आयेगा, जब टिकट की घोषणा हो जायेगी। तब तक के लिए चुनरी/चद्दर ओढ़ने और ओढ़ाने का काम जारी रहना चाहिए। क्यों, कैसी रही?

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