आज की भाजपा मतलब पदों की खरीद-फरोख्त कर समर्पित कार्यकर्ताओं और जनता को मुंह चिढ़ानेवालों का गिरोह, अगर नहीं सुधरी तो इसका हश्र कांग्रेस से भी बदतर होना तय

आप गलत है या सही। इससे उन्हें कोई मतलब नहीं। आपके पास अकूत धन-संपत्ति हैं। परिक्रमा करने में डिग्री हासिल कर रखी है। यही आपकी सबसे बड़ी पहचान है। आप इसके बल पर वर्तमान में भाजपा में कोई भी बड़ा पद पा सकते हैं। ज्यादा अगर तेज हैं तो देखते ही देखते भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं के साथ बैठकर फोटो भी खिंचवा सकते हैं। अगर आप किस्मत के साढ़ निकले तो राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य भी बन सकते हैं।

इसलिए आप किधर घूम रहे हैं। बहती गंगा में हाथ धोइये। फिर मौका नहीं मिलेगा। 2024 में लोकसभा के साथ-साथ झारखण्ड विधानसभा के भी चुनाव होंगे। इसलिए ‘कर्मवीर के साथ चले, भाजपा के शीर्षस्थ पद पर शोभायमान होइये’ के नारों में फिट होइये। अभी भाजपा में प्रदेश संगठन मंत्री कर्मवीर की इतनी चल रही है कि उसके एक इशारे पर बैठे दिल्ली के नेता भी बम-बम कर रहे हैं और कर्मवीर को खूली छूट देकर प्रदेश भाजपा को इस शिशिर ऋतु में आम के पेड़ पर लटकाने का अच्छा खासा प्रबंध कर चुके हैं।

बेचारे पुराने व समर्पित कार्यकर्ता अपनी नंगी आंखों से बेबस होकर चुप्पी साधे हुए सब कुछ देखते हुए विवश हैं। जो लोग, जिन भाजपा कार्यकर्ता को जमकर पहले कोसते थे, आज उन्हीं कार्यकर्ताओं पर सवारी के मजे ले रहे हैं। लेकिन बेचारे समर्पित भाजपा कार्यकर्ता उफ्फ तक नहीं कर रहे। एक कार्यकर्ता ने तो विद्रोही24 को गुस्से में कहा कि भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं को झारखण्ड के लिए अलग से चुनाव चिह्न की मांग चुनाव आयोग से कर ही लेनी चाहिए। जिसमें सारे दल के चुनाव चिन्ह के उपर कमल खिला हो, ताकि भाजपा कार्यकर्ताओं को अपने मतदाताओं को समझाने में ज्यादा दिमाग लगाना नहीं पड़ें।

भाजपा के ही एक समर्पित कार्यकर्ता ने विद्रोही24 को बताया कि धोखाधड़ी के एक मामले में दिल्ली में जेल की हवा खा चुके एक शख्स – प्रकाश सिंह, बेरमो, को कर्मवीर की ‘विशेष कृपा’ से भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने भेज दिया गया जबकि उसी बेरमो में दशकों से पार्टी के लिए कई समर्पित ईमानदार चेहरे अधिवेशन से वंचित कर दिए गए। गौरतलब है कि सभी वैसे लोगों पर कर्मवीर की विशेष कृपा रहती है जो येन केन प्रकारेण अकूत धन अर्जित किए हुए हैं।

भाजपा के ही एक अन्य समर्पित कार्यकर्ता ने सबूत के साथ विद्रोही24 को बताया कि बोकारो जिले का ही एक शख्स जो कि कभी समरेश सिंह के साथ संपूर्ण क्रांति दल में रहा। फिर झामुमो में गया और फिर हवा का रुख देखकर भाजपा की शोभा बढ़ाने के लिए रातोरात भाजपाई हो गया – जिसपर जिलाध्यक्ष रहते कुख्यात बांग्लादेशी लोहा तस्कर इलियास चौधरी से सांठ गांठ कर बोकारो स्टील प्लांट से लोहा तस्करी कराने के गंभीर आरोप लगे थे। तत्कालीन बोकारो एसपी कुलदीप द्विवेदी ने उक्त शख्स को रडार पर ले लिया था, लेकिन तत्कालीन अर्जुन मुंडा सरकार के चलते व बच गया था, वह आज एक जिले का प्रभारी, साथ ही एक लोकसभा का सह-संयोजक भी बना दिया गया है।

गिरिडीह में ही एक सिंह जी है, जो आजकल कर्मवीर के अत्यंत लाडले बने हुए हैं। इसकी पृष्ठभूमि यह है कि यह आदमी पूर्व में सरकारी अधिकारी था। दो तीन साल पहले जब रिटायर हुआ तो भाजपा में घुसा। आज कर्मवीर की कृपा से एक जिले और प्रदेश ओबीसी मोर्चा के मंचों को सुशोभित करता है। वो भी पुराने समर्पित कार्यकर्ताओं को ठेंगा दिखाते हुए।

स्थिति ऐसी है कि वो दो दिन पहले कर्मवीर की कृपा से दिल्ली के राष्ट्रीय परिषद सम्मेलन में भाग लिया, जबकि उसी गिरिडीह में लक्ष्मण स्वर्णकार और चंद्रमोहन प्रसाद जैसे पुराने जनसंघी समेत अनेकों लोग इससे वंचित रख दिये गये। इसी जिले में गावां का एक व्यक्ति जिसने अकूत संपत्ति कमाया और आज कर्मवीर की कृपा से एक लोकसभा का प्रभारी बनाया गया है जबकि उसे बूथ पर भी संगठन कार्य का कोई अनुभव नहीं है। यही हाल गांडेय, गिरिडीह के उस वर्मा जी का है जिसने कर्मवीर को पटाकर प्रदेश का मंत्री बन गया।

धनबाद, झरिया के सरोज सिंह जो उस वक्त जबकि बाबूलाल मरांडी ने भाजपा तोड़कर जेवीएम बनाया था, हर मोर्चे पर भाजपाइयों को अपमानित करने में अगुआ होता था। बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा सरकार में मंत्री रहे बच्चा सिंह तथा उस समय महत्वपूर्ण भूमिका में रहे लोहरदगा के प्रवीण सिंह की कृपा से स्वयं को हर प्रकार से मजबूत किया। आज कर्मवीर का हनुमान बनकर प्रदेश मंत्री बन गया। इसकी वाचालता और अब तक के कार्यों को देख भाजपा नेताओं का समूह कहता है कि इसकी बातों को सुन हर कोई अनुमान लगा सकता है कि इसमें दल की कोई योग्यता और संस्कार नहीं है।

डालटेनगंज के मनोज सिंह जो रात-दिन कर्मवीर की विशेष सेवा में रहता है, उसे ‘प्रदेश महामंत्री’ के पद से नवाजा गया है, उसकी कुल योग्यता यही रही है कि गत सत्र में प्रदेश का ‘प्रशिक्षण प्रमुख’ रहते हुए बुरी तरह फ्लॉप रहा। पार्टी के सिद्धांतों और विचारों पर पांच मिनट भी बोल नहीं सकता। लेकिन धन-धान्य से परिपूर्ण हैं, कर्मवीर की परिक्रमा करने में स्वयं को लगा दिया, लीजिये इनकी भी मनोकामना पूरी हो गई।

पूरे झारखंड में आज जितने भी धूर्त्त – अवसरवादी, भ्रष्ट और पैसे से पद प्रतिष्ठा खरीदने की क्षमता रखनेवाले तत्व रहे, उन्होंने संगठन मंत्री कर्मवीर की परिक्रमा कर और ‘खुश’ करते हुए संगठन को कब्जा लिया है। इसमें मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक गोपाल शर्मा की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। जो दल के दीनदयाल उपाध्याय प्रणीत विचारधारा और अटलजी द्वारा पंचनिष्ठा के ‘क ख ग’ नहीं जानते और जो निकृष्टतम क्रिया कलापो में रमे हुए हैं। वे ही आज कर्मवीर-बाबूलाल की कृपा से भाजपा के कर्ता-धर्त्ता बन बैठे हैं।

प्रदेश भाजपा में कुल मिलाकर यही स्थिति है कि दल के पुराने समर्पित लोग बुरी तरह उपेक्षित-अपमानित हैं। सबका यही मानना है कि यह भाजपा न तो श्यामा प्रसाद मुखर्जी की है, न ही दीनदयाल या अटल-आडवाणी की। यह तो मानो बाजार में बिकने वाले भाजपाई पदों की खरीद-फरोख्त कर समर्पित कार्यकर्ताओं और जनता को मुंह चिढ़ानेवालों का गिरोह बन गई है, जिसका वही हस्र होना है जो कांग्रेस का हो चुका है।