अपनी बात

हद है, जिसका राजनीति का सूर्य सदा के लिए अस्त हो गया, वो कह रहा कांग्रेसियों से कि वो पीएम का कैंडिडेट नहीं

जिंदगी भर वैशाखियों के सहारे बिहार के मुख्यमंत्री पद पर विराजमान, कुर्मियों के नेता, कभी तेजस्वी व तेज प्रताप द्वारा पलटू राम व कुर्सी कुमार के नाम से विभूषित नीतीश कुमार को शुरु से ही एक बात की गलतफहमी रही हैं कि वे बिहार के एकमात्र चरित्रवान नेता हैं, ऐसे ये गलतफहमी या खुशफहमी उस हर नेता को होती हैं, जिसके पास न तो जनता की ताकत होती हैं और न ही चरित्र। लेकिन वो हांकता ऐसा है कि सबसे ज्यादा दौड़ लगाने की ताकत उसी में हैं।

अब जरा देखिये न, कल नीतीश कुमार का एक बयान आया है, उस बयान में उन्होंने कांग्रेस विधायकों से कहा है कि अपने नेता (आखिर उनके नेता कौन है, सभी जानते हैं, सोनियां गांधी व राहुल गांधी) को बताइये, हम पीएम की दौड़ में नहीं। अरे भाई, पहले तो आप पीएम पद के लिए बहुत उछल रहे थे, अब ये दिव्य ज्ञान कहां से आ गया, जाहिर हैं जो राजनीतिक पंडित हैं, वे वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों और आपके चाल चलन व आपके बयान को देख मुस्कुरा रहे हैं। राजनीतिक पंडित साफ जानते है कि गोपालगंज और कुढ़नी विधानसभा के चुनाव परिणाम ने आपके दीपक को सदा के लिए बुझा दिया हैं, और बुझे दिये किस काम आते हैं, वो नीतीश कुमार को पता ही होगा।

तेजस्वी जन्मजात नेता, नीतीश को हर हाल में ‘तेजस्वी शरणम् गच्छामि’ मंत्र’ का जाप करना ही होगा

अब नीतीश का दूसरा बयान देखिये 2025 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ेंगे, अरे भाई अभी भी आपको लगता है क्या कि बिहार की जनता आपको अपने माथे पर बिठाने को तैयार है, आखिर इतनी गलतफहमी या आपके शब्दों में खुशफहमी कहां से आ जाता है। आप तेजस्वी को नेता माने या न माने कुर्सी कुमार जी, तेजस्वी जन्मजात नेता है, उसे आपके सहारे की जरुरत नहीं। आप चाहकर भी उसे नजरदांज नहीं कर सकते।

आपको हंस या रोकर तेजस्वी शरणम् गच्छामि का मंत्र पढ़ना ही हैं, क्योंकि आपके सामने चट्टान की तरह खड़ा नरेन्द्र मोदी हैं, जो आपको अपनी राजनीतिक ताकत से जब चाहे मसल कर रख देगा। शायद आपको पता होगा कि जब 2014 के चुनाव में नरेन्द्र मोदी को पीएम कैंडिडेट के रुप में प्रस्तुत किया गया था, तो आप शी जिनपिंग की तरह खुब उछल-कूद मचाये थे, पर परिणाम क्या निकला, बिहार में भी नरेन्द्र मोदी की धूम रही, बिहार की जनता ने उन्हें हाथों-हाथ लिया और आप अपने बिहार में मुंह लटकाकर/फुलाकर पीएम नरेन्द्र मोदी से मिलने का इंतजार करते रहे।

नीतीश बिहार ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति से भी समाप्त, हरिवंश ने भी दूरियां बनाईं

इसमें कोई दो मत नहीं कि आप बिहार की राजनीति ही नहीं, बल्कि अपनी हरकतों से राष्ट्रीय राजनीति से भी समाप्त हो चुके हैं और जो आपको जिंदा रखे हुए हैं, वैसे पत्रकार तो पैसे मिलने पर दूसरों को भी अपने कंधे पर बिठाकर उसकी स्तुति करने लगेंगे, इसमें कौन सी बड़ी बात हैं। एक बात और बड़ी आप फुदकते थे, हरिवंश को लेकर, लगातार दो-दो बार राज्यसभा में भेजे, हरिवंश ने क्या किया?

अपनी कलाबाजी से वे राज्यसभा के उप-सभापति हो गये और आपको ही अपने दिल से बाहर कर दिया, नहीं तो 2 दिसम्बर को पटना पुस्तक मेला में हरिवंश उद्घाटन सत्र में मौजूद थे, आखिर क्यों नहीं हरिवंश आपके आवास पर चाय पीने पहुंचे गये, पहले तो खुब जाया करते थे, मैंने तो रांची में ही देखा था कि वे आपके लिए घंटों इंतजार भी करते थे।

शायद हरिवंश को भी पता चल गया है कि आप कितने महान हैं और आपकी महानता का राज क्या हैं, तभी तो आप को वो भाव नहीं दे रहे, और इसके लिए उनके पास बहानों की भी कोई कमी नहीं। अतः ले-देकर आप इस बात को मानिये, ज्यादा दिमाग मत लगाइये, बिहार की जनता को जितना आपने मूर्ख बनाया हैं, वो मूर्ख बनी जनता का भी हाथ बहुत दिनों से खुजला रहा हैं, वो बस लोकसभा व विधानसभा चुनाव का इंतजार कर रही हैं, ताकि आपकी सारी जातिवादी विचारों और आपकी कुढ़न व आपके अंदर चल रही खुराफातों का सूर्य सदा के लिए अस्त कर दें।