CM हेमन्त के सोशल साइट देखनेवाले इतने शातिर है कि वे कबीर के दोहे का भी ऑपरेशन कर स्वहित में फायदा उठाने में शर्म महसूस नहीं करते

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के सोशल साइट को देखनेवाले इतने शातिर है कि वे कबीर के दोहे का भी ऑपरेशन कर स्वहित में फायदा उठाने में शर्म महसूस नहीं करते। वे भारत के महानतम् महात्माओं में से एक कबीर की लिखी पंक्तियों पर भी कैंची चला देते हैं। उनके दोहों में प्रयुक्त हरि को गुरु में परिवर्तित कर देते हैं। राजनीतिक फायदा उठाने/उठवाने का प्रयास करते हैं और धन्य है, वे लोग भी कि इस प्रकार की नासमझ कृत्यों को लोग लाइक भी कर देते हैं, कमेन्ट्स भी करते हैं और ऐसे लोगों की जय-जय कर बैठते हैं।

आप कहेंगे कि मैं ऐसा क्यों लिख रहा हूं। भाई बात ही ऐसी है। आज गुरु पूर्णिमा है। इस गुरु पूर्णिमा के दिन देखिये मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के सोशल साइट देखनेवालों ने क्या किया हैं? आप स्वयं देखिये। स्वयं पढ़िये। ये है राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का फेसबुक साइट। क्या लिखा है?

“सब धरती कागद करौं, लेखनि सब बनराय

सात समंद की मसि करौं, गुरु गुन लिखा न जाय

मेरे गुरु

मेरे मार्गदर्शक

मेरे बाबा आदरणीय दिशोम गुरु शिबू सोरेन

गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं और जोहार”

इतना लिखने के बाद, इसके ठीक नीचे राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का अपने पिता शिबू सोरेन संग एक चित्र छपा है। जिसमें वे अपने पिता को बूके दे रहे हैं। मैंने फेसबुक का यह कथित सुंदर वर्णन और फोटो आपके समक्ष रख दिया है, आप भी देखिये।

इसे देखकर कौन ऐसा संवेदनशील पिता या संवेदनशील पुत्र पुलकित नहीं होगा, हो सकता है कि ऐसा पेश करनेवाले महाशय को फोन भी आया होगा, वाह आपने गजब कर डाला है। आप महान है। पर किसी को यह मालूम ही नहीं कि इसे पेश करनेवाला, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का सोशल साइट देखनेवाला कितना बड़ा अपराध कर डाला है। उसने कबीर के दोहे के साथ अन्याय कर दिया है। ऑपरेशन कर डाला है। कबीर के दोहे की ऐसी-तैसी कर दी है।

सच्चाई यह है कि कबीर ने जो यह दोहे लिखे हैं, वो गुरु को समर्पित नहीं हैं, बल्कि परम-पिता परमेश्वर श्रीहरि जिसे आप कुछ भी कहले, भगवान, ईश्वर, गॉड, उनको ही समर्पित है। बोल है –

सात समद की मसि करौ, लेखनि सब बनराई।

धरती सब कागद करौ, हरिगुण लिखा न जाई।।

मतलब, सात समुद्रों की स्याही बना ली जाये, धरती पर जितने जंगल हैं, उन्हें कलम का रुप दे दिया जाये, जितनी धरती है उन सब को कागज बना दिया जाय, फिर भी जो हरि के गुण हैं, उन गुणों को कोई लिख ही नहीं सकता। अब मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के सोशल साइट देखनेवाले क्या वे हमारी इस आलेख को चुनौती दे सकते हैं कि हमने गलत लिखा है, और जब नहीं तो आप इस प्रकार की हरकतें क्यों करते हैं? आप अपनी बातें लिखें, आप अपनी बातें परोसे, उसमें खुब नून-तेल-मिर्चाई लगाये।

लेकिन कबीर जैसे महान आत्मा के दोहे से खेलने की इजाजत किसने आपको दे दी? और वह भी गुरु पूर्णिमा के दिन, जिस दिन कबीर के बताये मार्ग पर चलनेवाले कई लोग उनके आगे अपना शीश झूकाते हैं, उन्हें अपना गुरु मानते हैं। याद रखिये, कबीर जो इस दुनिया में नहीं हैं, फिर भी उनकी कृति अमर है, ऐसे में उनकी दोहों को तोड़-मरोड़ कर स्वहित में पेश करना अपराध ही नहीं, महापाप है।