अपनी बात

धनबाद पुलिस प्रशासन का दबाव काम आया, एक ही दिन में व्यवसायियों का गुस्सा काफूर, कल खुलेंगे दुकान, कृष्णा अग्रवाल ने भाजपाइयों की भूमिका पर उठाए सवाल, दिया इस्तीफा

धनबाद में रंगदारी और बद से बदतर होती कानून-व्यवस्था के खिलाफ जिला चेंबर द्वारा बुलाई गई अनिश्चितकालीन धनबाद बंद सिर्फ एक ही दिन में दम तोड़ दिया, हालांकि आज से शुरु होनेवाले अनिश्चितकालीन धनबाद बंद का पहले दिन इतना बड़ा प्रभाव पड़ा था कि पिछले कई सालों के रिकार्ड टूट गये। लेकिन ये रिकार्ड ज्यादा देर तक टिक नहीं सके। पुलिस प्रशासन व जिला प्रशासन के आगे चेंबर के लोग नतमस्तक होकर, उनकी सारी बातें मान ली और कल से सामान्य दिनों की तरह काम-काज शुरु करने का जिला व पुलिस प्रशासन को भरोसा दिलाया।

इधर चेंबर के द्वारा बुलाये गये अनिश्चितकालीन बंद के एक ही दिन में हवा निकल जाने पर कई लोगों ने बड़ी राहत की सांस ली। जिसमें सरकारी पक्ष के अधिकारियों का समूह व विपक्षी दलों के नेता प्रमुख रुप से शामिल हैं। इन दोंनो को लग रहा था कि जितना दिन ये आंदोलन खींचेगा, उन दोनों का नुकसान होना तय है। इसमें ज्यादा नुकसान भाजपा का होना था। जो दिखा भी।

भाजपा के एक प्रमुख नेता जो मारवाड़ी संगठन से भी जुड़े हैं, बड़े व्यवसायी है। जिनका नाम कृष्णा अग्रवाल है। कृष्णा अग्रवाल ने भाजपा से ही स्वयं को अलग कर लिया तथा उन्होंने भाजपा के प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। भाजपा के जिलाध्यक्ष को अपना इस्तीफा भी सौंप दिया। जिसकी चर्चा पूरे धनबाद से लेकर रांची तक है।

हम आपको बता दें कि धनबाद में व्यवसायियों के साथ दुर्व्यवहार होना, उनसे रंगदारी मांगना, उनके साथ घटिया स्तर का व्यवहार करना अब सामान्य बात हो गई है। धनबाद के व्यवसायियों से केवल गुंडे या अपराधी ही नहीं, बल्कि मीडिया जगत के लोग भी रंगदारी मांगते है। आपने देखा होगा कि एक मामले में एक चैनल का मालिक धनबाद की जेल में नौ महीने तक पड़ा रहा और कुछ महीने पहले ही वो जेल से निकला है और फिर एक राजनीतिक दल का सहारा लेकर फिर से वो अपने आपको बेहतर स्थिति में लाने का प्रयास कर रहा है।

कहने का तात्पर्य है कि प्रशासनिक अधिकारी हो या विपक्ष या मीडिया। यहां किसी एक को दोष देना गलत होगा। सभी इसमें बराबर के हकदार है और इसमें सर्वाधिक अगर कोई दोषी है तो वह है भाजपा। जिसने कभी इन अपराधियों के खिलाफ बोलने की जहमत ही नहीं उठाई। याद करिये इसी धनबाद के लोग भाजपा के बाघमारा विधायक के खिलाफ धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर कई महीनों तक धरने पर बैठे रहे। कई रांची स्थित राजभवन के समक्ष अर्द्धनग्न प्रदर्शन तक किया और इन प्रदर्शनकारियों को क्या मिला, उलटे इन्हीं का शोषण हुआ।

आज के अनिश्चितकालीन बंद को देखते हुए ऐसा लगा था कि यहां के व्यवसायियों के आक्रोश और उनके द्वारा लिये गये अनिश्चितकालीन बंद के फैसले से कुछ धनबाद में नयापन दिखेगा। पर जिस प्रकार से स्थानीय प्रशासन ने व्यवसायियों पर अपना दबाव बनाया और व्यवसायी प्रशासन के आगे हमेशा की तरह टूटते नजर आये, उससे साफ पता चल गया कि धनबाद में कुछ भी बदलनेवाला नहीं है। इन व्यवसायियों का कुछ भी भला नहीं होनेवाला। ये इसी तरह रंगदारों-लूटेरों के चक्रव्यूह में फंसे रहेंगे, अपना शोषण कराते रहेंगे।  

उसका उदाहरण भी है कुछ दिन पहले ही धनबाद में कुछ असामाजिक तत्वों ने एक व्यवसायी को दुर्गा पूजा का चंदा काटने को लेकर जूते-चप्पल से पीटा, उसके घर में तोड़-फोड़ की। इस घटना के बाद सारे व्यवसायी आक्रोशित दिखे। थाना में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस अपराधियों को पकड़ने के लिए तैयार भी थी। लेकिन हुआ क्या? इन व्यवसायियों ने कुछ दिन बाद ही अपना शिकायत वापस भी ले लिया, क्योंकि भाजपा के सांसद पीएन सिंह का ऐसा इन पर दबाव पड़ा कि इन व्यवसायियों को यह भी याद नहीं रहा कि वे जूते-चप्पल से पीटे भी गये। शायद यही सब बात रही होगी, तभी कृष्णा अग्रवाल ने भाजपा से इस्तीफा भी दिया होगा।

राजनीतिक पंडितों की माने तो उनका कहना है कि व्यवसायी कब से आंदोलन करने लगा, वो तो सिर्फ व्यवसाय करना जानता है। आंदोलन उसके वश की बात नहीं। हां, आवेश में आंदोलन की बात उन्होंने कर दी होगी। एक दिन दिखा दिया और बस हो गया। दूसरे दिन सभी दुकान खुल जायेंगे और वे सब भूल जायेंगे कि कुछ दिन पहले कुछ हुआ भी था। उसी प्रकार पुलिस व जिला प्रशासन भी अपने काम में लग जायेंगे। सारा मामला खत्म। रही बात आम आदमी की तो वो कल भी चक्की में पीस रहा था और आगे भी पीसेगा। उसको इस प्रकार की बंदी और राजनीति से क्या मतलब?

भाजपा का एक कार्यकर्ता कृष्णा अग्रवाल ने जो अपने जिलाध्यक्ष को भेजे इस्तीफा पत्र में जो बातें लिखी है। वो गलत नहीं है। उसने साफ लिखा है कि “मैं भारतीय जनता पार्टी में जिला कार्यसमिति के सदस्य एवं पार्टी के प्रारंभिक सदस्यता से अत्यंत कष्ट और पीड़ा के साथ मैं अपना इस्तीफा दे रहा हूँ। साथ ही वर्तमान समय मे आप संगठन के नेतृत्वकर्ता है आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं पार्टी का एक साधारण समर्थक के रूप में संगठन एवं अपने जनप्रतिनिधियों को समय समय पर अपनी भावनाओं एवं विचारों से अवश्य अवगत भी करता रहूँगा। पार्टी के सदस्य के रूप में मैं अपनी बात या विचार खुले रूप से बोलने को स्वतंत्र नही हूँ और न ही पार्टी प्रोटोकॉल इसकी इजाजत देता है।

मैं भारतीय जनता पार्टी रूपी अपने संगठन में एक साधारण सदस्य के रूप में 1997 में माननीय श्री विजय कुमार झा जी के नेतृत्व में सदस्यता ग्रहण किया था। सदस्यता ग्रहण के पश्चात मैं संगठन में बूथ से लेकर जिला एवं राज्य स्तर तक मे कई अलग अलग जिम्मेवारियों का सफलता पूर्वक निर्वाहन किया। पिछले दो लोकसभा चुनाव 2014 एवं 2019 ओर पिछले कई विधानसभा चुनाव 1999, 2004, 2009, 2014 में मुझे पूरा झरिया विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्रों के कुल 266 बूथों की जिम्मवारी दी जाती रही है और मैंने अपने पूरे विवेक, निष्ठा ओर मेहनत से सफलता पूर्वक चुनावी कार्यो का निष्पादन किया। जिसकी पुष्टि माननीय सांसद एवं झरिया के सभी पूर्व विधायकों से की जा सकती है।

कृष्णा अग्रवाल द्वारा धनबाद के भाजपा जिलाध्यक्ष को लिखा गया इस्तीफा पत्र

अध्यक्ष जी, आज जो अपने धनबाद जिले में भय, आतंक एवं अराजक का माहौल है उसमे अपनी संगठन एवं अपने जनप्रतिनिधियों की रहस्यमय चुप्पी, उनकी भूमिका काफी संदेहास्पद एवं चिंतनीय है। खुलेआम अपने वोटरों के साथ पिटाई की जाती है, रंगदारी मांगी जा रही है, खुलेआम धमकियां दी जाती है ओर नही देने पर गोलियाँ भी चलाई जाती है।

शासन-प्रशासन पूरी तरह विफल है ओर विपक्ष में रहते हुए अपन संगठन अपनी जिम्मेदारियों के निष्पादन करने में पूरी तरह फ़ेल है, ऐसे में मैं काफी घुटन एवं शर्मिंदगी महसूस कर रहा हूँ, जबकि सच्चाई यह है की पिछले तीन दशक से लगातार धनबाद के मतदाता का आशीर्वाद बीजेपी को मिलता रहा है किंतु धनबाद की जनता को भय मुक्त माहौल देने में पार्टी को जिस तरह का आंदोलन एवं धारदार विपक्ष की भूमिका निभानी थी वो आश्चर्यजनक रूप से नही हो पाई जिसके कारण हर स्तर पे आज पार्टी की किरकिरी हो रही है। आपसे आग्रह है मेरा इस्तीफा स्वीकार कर मेरे मन मस्तिष्क का बोझ कम करने का कृपा करें।”