चतरा में भाजपा कैंडिडेट सुनील सिंह का भारी विरोध, भाजपा लूज कर सकती है सीट

भाजपा के लिए चतरा से अच्छी खबर नहीं है। भाजपा द्वारा इस बार फिर सुनील सिंह को उम्मीदवार बनाया है, भाजपा को लगता है कि मोदी के राष्ट्रवाद की इस लहर में सुनील सिंह फिर से संसद में पहुंच जायेंगे, पर जो चतरा की तस्वीर दिखाई पड़ रही हैं, या जो चतरा के राजनीतिक पंडित हैं, वे बता रहे हैं कि भाजपा के लिए स्थिति ठीक नहीं है, अगर उम्मीदवार बदल जाता तो भाजपा के लिए जीत का रास्ता खुल सकता था, पर सुनील सिंह के फिर से उम्मीदवार बना दिये जाने से स्थिति ही बदल गई है।

भाजपा प्रत्याशी सुनील सिंह का विरोध केवल वहां की बहुसंख्यक जनता ही नहीं कर रही, बल्कि वे भाजपा कार्यकर्ता भी कर रहे हैं, जो 2014 में इनके जीताने के लिए कड़ी मेहनत किये थे, पर वे ही अब खुलकर विरोध में आ गये हैं। बताया जाता है कि आज सुनील सिंह नामांकन करनेवाले है, और इस नामांकन में भी भाजपा कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल होंगे, इसकी संभावना कम दीख रही है, भाजपा कार्यकर्ताओं की भारी नाराजगी का भान सुनील सिंह को भी है, इसलिए उन्होंने पिछले दो दिनों से भाजपा कार्यकर्ताओं को मनाने में लगे हैं, पर सूत्र बता रहे हैं कि नाराजगी इतनी है, कि भाजपा कार्यकर्ता शायद ही उनके मनाने से माने।

इधर सोशल साइट पर भी जमकर सुनील सिंह का भारी विरोध हो रहा है। राजनीतिक पंडितों की माने, सुनील सिंह का व्यवहार और जनता के प्रति उनका अविश्वास तथा चुनाव जीतने के बाद चतरा की जनता को सदा के लिए भूल जाना ही, भाजपा कार्यकर्ताओं और यहां की जनता की नाराजगी का मूल कारण है।

सन्नी शुक्ला तो फेसबुक पर लिखते है कि उनके गांव में चतरा लोकसभा के सांसद सुनील सिंह के विरोध में ग्रामीण एकजुट हुए हैं। कहा जाता है कि जनता जनार्दन होती है, पर यहां जनार्दन के दर्शन को तो छोड़ दीजिये, रोड़ीदाना भी नसीब नहीं हो रहा। भगवान रुपी जनता अपने चुने हुए भक्त यानी सांसद के दर्शन के आस में पांच साल गुजार दिये। लोकतंत्र में पक्ष और विपक्ष दोनों जरुरी है। हमलोग किसी पार्टी या विचारधारा के खिलाफ नहीं है। सड़क की मांग लगातार की गई, परन्तु आज भी एक बड़ा सा इलाका सड़क के बिना ऐसी ही पड़ा हुआ है। अन्य मुलभूत सुविधाएं तो दूर की कौड़ी हैं।

सन्नी शुक्ला कहते है कि सांसद तो क्षेत्र से गायब रहने के लिए प्रसिद्ध है और गांव की तस्वीर उनके द्वारा किये गये विकास की पोल खोलकर रख दे रही है। ऐसे में विरोध के बावजूद, इन्हें ही उम्मीदवार बनाया गया है, अब ग्रामीणों द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से किया जा रहा जायज विरोध झेलना तो पड़ेगा ही। सन्नी शुक्ला के अनुसार यह तो अभी वार्निंग है, जनता फूल का माला पहनाती है तो अप्रैल फूल बनने पर, … का माला पहनाने से भी परहेज नहीं करेगी। ऐसे नेताओं और पार्टियों को सबक है कि ये पैराशूट उम्मीदवारों को थोपना बंद करें।