अपनी बात

होनहार CM रघुवर की बड़ी उपलब्धि, भीख मांगने के लिए पारा टीचर ने मांगा एक दिन का अवकाश

गिरिडीह जिले के पीरटाड़ प्रखंड के पालगंज पंचायत स्थित .प्रा. विद्यालय सुगवाटांड़ के एक बहुत ही मजबूर पारा शिक्षक रवि रंजन सिन्हा ने अपने यहां के प्रखण्ड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को भीख मांगने के लिए एक दिन की छुट्टी मांगी है। ये आवेदन उन्होंने 17 मार्च को दिया है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि वे पिछले 17 वर्षों से अपने विद्यालय में पढ़ा रहे हैं, लेकिन इधर छह महीनों से वेतन नहीं दिये जाने के कारण, उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो गई है। 

स्थिति ऐसी है कि अब उन्हें कर्जदार भी कर्ज देने से इनकार कर रहे हैं, इसलिए ऐसी स्थिति में वे परिवार के लिए भोजन और बीमार के लिए दवा लाने की स्थिति में भी नहीं है, और इधर होली भी सर पर हैं, ऐसी स्थिति में परिवार के भरणपोषण के लिए भिक्षाटन करना उनकी मजबूरी हो गई है, अतः आपसे अनुरोध है कि मुझे होली से दो दिन पूर्व एक कार्यदिवस का अवकाश भिक्षाटन हेतु प्रदान करने की कृपा करें। रवि रंजन सिन्हा के लिखे ये दर्दनाक आवेदन ने, राज्य के पारा शिक्षकों की खतरनाक दास्तां बयां कर रही है।

दुसरी ओर बड़कागांव हजारीबाग के .प्रा. विद्यालय असनाटांड़ के एक पारा शिक्षक बालेश्वर कुमार साव ने छह माह से वेतन नहीं मिलने के कारण आत्महत्या तक करने की धमकी दे डाली है और इसके लिए राज्य सरकार को दोषी भी ठहरा दिया है। कमाल है कि राज्य सरकार खुद के लिए तो बहुत ही अच्छी व्यवस्था कर ली है, अपने वेतन और नेतागिरी खत्म होने के बाद पेंशन तक की बेहतर व्यवस्था कर ली, पर अन्य जो उनके मातहत काम करते हैं, उनके लिए क्या किया?

उन्हें भीख मांगने पर मजबूर कर दिया, और जब इन्हें किसी मंच पर भाषण देने के लिए कह दीजिये, तो ये विकासविकास चिल्लाकर माइक और लाउडस्पीकर तक को फाड़ देंगे, पर रवि रंजन और बालेश्वर कुमार साव के लिखे आवेदन ने राज्य की सारी स्थिति स्पष्ट कर दी है कि यहां शासन कैसे चल रहा हैं, पारा टीचरों का क्या हाल कर के इस रघुवर सरकार ने धर दिया है, और इस नारकीय स्थिति में भी वे लोकसभा की 14 सीटों पर कब्जा जमाने का दंभ भी भरने से नहीं चूक रहे।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो राज्य सरकार ने राज्य के सभी विभागों का बंटाधार कर दिया है, सबसे खराब स्थिति तो पारा टीचरों की हैं, एक तरफ भूख और गरीबी से बेहाल, तो दूसरी और राज्य सरकार के दमनात्मक नीतियों से परेशान, ऐसे में यहां कभी कोई अमानवीय घटना इनके परिवार में घट जाये, तो इसके लिए जिम्मेवार कौन होगा, सरकार, प्रशासन या खुद पारा टीचर, इस सवाल का जवाब, राज्य के होनहार मुख्यमंत्री को जल्द ढूंढ लेना चाहिए।