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राज्यपाल को मालूम होना चाहिए कि हमारे जवान सीमा पर कोई चीनियाबादाम नहीं फोड़ते कि इधर चीनियाबादाम फोड़े और उधर कोई सीमा से अंदर घुस गया – झामुमो

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन के उस बयान की तीखी आलोचना की है, जिसमें उन्होंने एक निजी न्यूज एजेंसी को अपने यहां बुलाकर वक्तव्य दिया और फिर उसे ट्विट भी किया। सुप्रियो ने कहा कि इन नौ वर्षों में भाजपा के जिस भी बड़े नेता को कोई नैरेटिव सेट करना पड़ता है, तो वह एक खास न्यूज एजेंसी को पसन्द करता है, जबकि भारत में कई ऐसी न्यूज एजेंसियां हैं, जिसका उपयोग इनके द्वारा कम किया जाता है।

उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने जिन बातों को कहा है, ये बाते परेशान करनेवाली है। राज्यपाल ने बांगलादेशी घुसपैठियों पर चर्चा की और अपना कन्सर्न जारी किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से भी अपनी बातों को अवगत करा दिया है। सुप्रियो ने कहा कि राज्यपाल की जानकारी के लिए वो यह बता देना चाहते है कि वो  डेमोग्रेफी की बात कर रहे थे, तो अब कुछ टोपोलॉजी की भी बात हो ही जाना चाहिए।

सुप्रियो ने कहा कि झारखण्ड के राज्यपाल को यह मालूम होना चाहिए कि राज्य का कोई भी सीमांचल बांगला देश से जुड़ा हुआ नहीं हैं। हां, पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, यूपी व ओड़िशा के साथ अवश्य जुड़ा है, लेकिन बांगलादेश के साथ नहीं है। जो सीमाएं हैं। वो चाहे भारत-बांगलादेश की सीमा हो, चाहे भारत-चीन की सीमा हो, चाहे भारत-म्यांमार की सीमा हो या भारत-श्रीलंका की सीमा हो। उन सभी सीमाओं पर प्रहरी के तौर पर भारतीय सेना, बीएसएफ व एसएसबी के जवान तैनात रहते हैं। जो देश की सुरक्षा व संप्रभुता की गारंटी देते हैं, और ये सेना व सुरक्षा बल का जिम्मा केन्द्र सरकार के जिम्मे हैं।

सुप्रियो ने कहा कि दरअसल राज्यपाल को तो ये बातें केन्द्र सरकार से पूछना चाहिए था कि इस भारी-भरकम, हजारों की संख्या में तैनात सुरक्षा बलों के सिपाहियों के होते ये घुसपैठ कैसे हो रहा है? सुप्रियो ने कहा कि जो सीमाएं होती हैं, उस सीमाओं में पन्द्रह किलोमीटर तक सिविल लॉ एंड आर्डर का भी दखल नहीं होता, वो पूरा दायरा, आर्मी व केद्रीय पुलिस बल के जिम्मे होता है तो राज्य सरकार इसमें क्या करेगी?

सुप्रियो ने कहा कि अगर डेमोग्रेफी बदल रहा हैं, तो राज्यपाल को ये भी बताना चाहिए कि कौन सा व्यक्ति किसके साथ शादी की, उसका बांगलादेश के साथ क्या संबंध है? केवल भाजपा नेताओं के बयान को महत्व देकर, आप उसे ही आधार मान लें तो फिर राज्यपाल झारखण्ड के अभिभावक कैसे हुए? सुप्रियो ने राज्यपाल पर आरोप लगाया कि चूंकि आगामी मानसून सत्र में सरकार मॉब लींचिग पर विधेयक लाने जा रही है, तो ऐसे में राज्यपाल भाजपा को एक मुद्दा थमाने जा रहे हैं।

अब भाजपा का मुद्दा राज्यपाल तय करेंगे क्या?

सुप्रियो ने कहा कि राज्यपाल को तकलीफ मॉब लींचिंग से नहीं है, इन्हें तकलीफ सरना, 1932 आदि से हैं। उन्होंने कहा कि अब राज्यपाल इस राज्य में मुद्दे तय करेंगे, ये कितनी विचित्र बात है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को मालूम होना चाहिए कि हमारे जवान सीमा पर कोई चीनियाबादाम नहीं फोड़ते कि इधर चीनियाबादाम फोड़े और उधर कोई सीमा से अंदर घुस गया।

सुप्रियो ने कहा कि उन्होंने कई बार बार्डर जाकर देखा है जहां बोर्ड में साफ-साफ लिखा रहता है कि आप चलते रहिये, नहीं तो आप बुलेट के टारगेट में हैं। आपको बार्डर पर कही रुकना नहीं है। बांगलादेश के साथ तो हमारा जमीन का जो हिस्सा है, वो पूरा इलाका कांटे के तारों से घिरा हुआ है। दोनों तरफ बीच में नो मैंस लैंड है। ये कहां से उनके पास जानकारी आ रही है। अब भाजपा का मुद्दा राज्यपाल तय करेंगे क्या?

राज्यपाल की मानसिकता आदिवासी-मूलवासी विरोधी

सुप्रियो ने कहा कि सच्चाई यह है कि यह आदिवासी विरोधी मानसिकता हैं। राज्यपाल मूलवासियों व अमन चैन के खिलाफ है। आज भी प्रधानमंत्री संसदीय दलों की बैठक में बातें की, तो उन्होंने कहा कि इस विरोधी दलों के इंडिया के नाम पर ईस्ट इंडिया कंपनी और इंडियन मुजाहिदीन भी है, मतलब वे किस प्रकार फ्रस्टेशन में आ गये। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को यह भी बताना चाहिए कि जो उन्होंने स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया, खेला इंडिया, जीतेगा इंडिया, पढ़ेगा इंडिया, टीम इंडिया जो नाम दिया था, वो भी क्या ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से प्रभावित था?

भाजपा का एक्सटेंडेड स्टेट ऑफिस कहीं और से रन करेगा तो दिक्कतें आयेंगी

सुप्रियो ने कहा कि आज भी मणिपुर जल रहा है। इतिहास व ट्रायबल स्टेट के गवर्नर होने के कारण, स्थानीय राज्यपाल को मणिपुर पर बोलना चाहिए था। वे तो झारखण्ड में गुजरात, महाराष्ट्र व बंगाल का स्थापना दिवस मना रहे थे। जब पूरा देश आपके कंसर्न में हैं तो मणिपुर पर भी बोलिये। सुप्रियो ने कहा कि ये सब स्थितियां बता रही है कि चीजें सही दिशा में नहीं जा रही है।

अगर भाजपा का एक्सटेंडेड स्टेट ऑफिस कही और से रन करेगा तब तो दिक्कतें आयेगी, और कम से कम जिस पद पर बैठे हैं, उस पद पर तो और दायित्व बढ़ जाता है। यदि इस प्रकार की घटना घटी होगी तो नाम पता तिथि के साथ यानी प्रमाण के साथ राज्यपाल को बताना चाहिए कि घुसपैठ कैसे हो रहा हैं और इन सारे प्रमाणों के साथ उन्हें मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को अपनी बाते साझा करनी चाहिए, नहीं तो यही समझा जायेगा कि ये आगामी विधानसभा के मुद्दे, मैं आज दावे के साथ कह रहा हूं, विधानसभा में मुद्दा बनकर उभरेगा, जो सारी चीजों का पर्दाफाश करेगा।