राजनीति

केन्द्र सरकार ऐसा कानून ला रही है कि लोगों से जमीन लेने पर पूछा नहीं जायेगा, ऐसे में जब जंगल ही नहीं बचेगा तो आदिवासी कैसे बचेगा? – हेमन्त सोरेन

अबुआ आवास योजना के अंतर्गत हम तीन कमरों का आवास जरूरतमंद लोगों को देने का काम शुरू कर रहे हैं। यह पीएम आवास से भी बड़ा होगा। जल, जंगल जमीन झारखण्ड की पहचान है। मगर केंद्र सरकार द्वारा ऐसा कानून लाया जा रहा है जिसमें अब लोगों से जमीन लेने पर पूछा नहीं जाएगा।

जब जंगल ही नहीं बचेगा तो आदिवासी कैसे बचेगा? इसलिए अभी हमें एक और लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन आज सिमडेगा जिले के कोलेबिरा में आयोजित “आपकी योजना- आपकी सरकार -आपके द्वार” के तीसरे चरण को लेकर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि इसीलिए हमने मिशन मोड के तहत अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान भी शुरू किया है जिसमें वनों पर निर्भर रहने वाले समुदायों को सामुदायिक और व्यक्तिगत वन अधिकार पट्टा दिया जाएगा। पढ़े-लिखे, कम पढ़े-लिखे नौजवान और जो नहीं पढ़ पाए हैं उनके लिए अलग-अलग योजनाएं शुरू की गयी हैं जिससे वह अपने पैरों पर खड़ा हो सकें। क्योंकि गरीब को तो बैंक भी लोन नहीं देता है।

उन्होंने कहा कि आज रोजगार सृजन योजना से हजारों युवाओं को आगे बढ़ने का मौका मिला है। खुद का मालिक बनने का मौका मिला है। सावित्रीबाई फुले समृद्धि योजना के अंतर्गत लाखों बेटियों को जोड़ा गया है। हमारे गांव में गरीबी इतनी है कि परिवार वाले बहुत जल्द बेटियों की शादी करने की सोचने लगते हैं। मगर अब यह चिंता छोड़ दीजिए। सरकार आपके साथ है। बेटी पढ़ेगी तो राज्य भी आगे बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि बच्चों की पढ़ाई का खर्चा भी सरकार उठा रही है। साईकिल डीबीटी की राशि भी लाखों बच्चों के खातों में भेजी जा रही है। जेपीएससी का वैकेंसी निकालने वाले हैं। जेएसएससी की भी नियुक्तियां निकली हुई हैं, साथ ही और नियुक्तियां निकलने वाली हैं। झारखण्ड की जड़ें गांव में ही है। गांव मजबूत होगा तो राज्य भी मजबूत होगा। हमारी सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि ग्रामीणों और किसानों के लिए बिरसा हरित ग्राम और पशुधन जैसी योजनाएं शुरू की हैं। पशुधन ही ग्रामीणों का धन होता है। परिवारों के पास पशुधन रहता तो समाज कुपोषण की ओर नहीं बढ़ रहा होता। आज लोग राशन के अनाज पर निर्भर रहने को विवश हैं। पूर्व सरकार में ही सिमडेगा जिले में संतोषी हाथ में राशन कार्ड लेकर भूख से मरने को मजबूर हुई।

आपने देखा कोरोना काल में भी आपकी सरकार ने दीदी-बहनों के सहयोग से अपने राज्य के लोगों को पौष्टिक भोजन करवाया। मैं सलाम करता हूं उन सभी दीदी-बहनों को जिन्होंने कोरोना के समय अपनी जान की परवाह किए बगैर सरकार की मदद की और गांव में खाना बना कर ग्रामीणों और श्रमिकों को मुफ्त में खाना खिलाया।

उन्होंने कहा कि पहले के दो चरणों मे लाखों आवेदन आये। इससे स्पष्ट था कि हमारे ब्लॉक और जिला कार्यालय काम नहीं कर रहे थे। पूर्व की सरकारों ने उन्हें सिर्फ अपनी सेवा में लगा रखा था। आज पदाधिकारी आपके पास आ रहे हैं। योजनाओं से लोगों को आच्छादित करने के क्रम में सबसे पहले हमने जरूरतमंद लोगों को सामाजिक सुरक्षा से जोड़ने का काम किया। लोग सामाजिक रूप से सुरक्षित रहेंगे तभी मजबूती से आगे बढ़ पाएंगे।

उन्होंने कहा कि पहले 40 साल से अधिक उम्र की विधवा महिला को ही पेंशन मिलता था। माताएं-बहन 18 वर्ष से ऊपर कभी भी विधवा हो सकती थी। गरीबी में तो यह और दुखदायी था। हमने लाभ लेने की उम्र घटाकर 18 साल की, आज सभी जरूरतमंद माताओं-बहनों को पेंशन मिल रहा है।

लाखों बुजुर्गों को भी पेंशन मिल रहा है। आपकी सरकार में लाखों जरूरतमंद लोगों को धोती-साड़ी भी मिल रही है। पूर्व की सरकार ने यह योजना बंद कर दी थी। वह नहीं चाहते थे कि गरीब के तन पर कपड़ा रहे। आज इस योजना से मान-सम्मान से लोग रह रहे हैं। त्योहार-उत्सव में वह नया कपड़ा पहन रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पूर्वजों ने जिस उद्देश्य से लड़कर राज्य अलग कर हमें दिया वह पूरा नहीं हुआ। बल्कि यहां से लोग पलायन करने को मजबूर हुए और यहां पर बाहर से आकर लोग हमारे राज्य के खनिज संपदा पर टूट पड़े। हमारे गांव-गांव से लोग विस्थापित होते चले गए। हमारे ग्रामीणों को बदले में क्या मिला यह सभी को पता है। यह राज्य गलत लोगों के हाथ में चले गया था। फिर 2019  में आपके आशीर्वाद से पूरी कमर कस कर हम चुनाव लड़े और 20 साल की जमात को हम लोगों ने उखाड़ फेंकने का काम किया।

उन्होंने कहा कि क्या कभी आप लोग सोचते थे कि आपके गांव में पदाधिकारी जाएंगे? क्या कभी आप सोचते थे बीडीओ, सीओ, डीसी, एसपी आपके गांव आयेंगे? लेकिन आज गांव-गांव में, पंचायत-पंचायत में, जहां सड़क नहीं है, आने-जाने का रास्ता नहीं है, वहां पर भी पदाधिकारी आपकी समस्या का समाधान कर रहे हैं।

हेमन्त सोरेन ने कहा कि झारखण्ड अमर वीर शहीदों की धरती है। आदिवासी-मूलवासियों की धरती है जहां सदियों से अपने हक-अधिकार की लड़ाई लड़ते-लड़ते हमारे वीर पुरुखों ने अपने प्राणों की आहुति दी। अन्तोगत्वा आदरणीय दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी के नेतृत्व में अलग राज्य की लड़ाई शुरू हुई। जब आदरणीय गुरुजी ने यह लड़ाई शुरू की तब उनकी उम्र तेरह-चौदह वर्ष की थी, और आज वह बुजुर्ग हो गए हैं।

उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में अनगिनत आंदोलनकारी संघर्ष करते हुए शहीद हुए तब जाकर राज्य हमें मिला। कई समय हो गया राज्य को अलग हुए। लेकिन राज्य को दिशा देकर विकास के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए 20 वर्षों तक जिन्हें जिम्मेवारी मिली उन लोगों ने राज्य को खोखला करना शुरू कर दिया। बड़ी चतुराई से उन्हीं लोगों के हाथ यह राज्य चल गया जो राज्य को अलग करने के घोर विरोधी रहे।

उन्होंने कहा कि आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम से हमारे राज्य के लाखों जरूरतमंद लोगों को योजनाओं का लाभ मिल रहा है। विगत 2 साल से हमने सरकार आपके द्वार के अंतर्गत शिविर लगाना शुरू किया, अभी यह तीसरा साल चल रहा है। इससे पहले कोरोना के कारण यह शिविर नहीं लगा पाए थे।

कोरोना के समय हुए लॉकडाउन में ही हमें पता चला कि राज्य से हमारे लाखों श्रमिक बाहर काम करने जाते हैं। लॉकडाउन हुआ, जो मजदूर बाहर थे वह वहीं फंस गए। बहुत डरावना मंजर था वह। लेकिन उस समय किसी ने श्रमिक के बारे में नहीं सोचा, यह आपकी झारखण्ड सरकार ही थी जिसने पहले प्लेन और पहली ट्रेन से श्रमिकों को राज्य वापस लाने का काम किया।