राजनीति

चाय बेचना, पकौड़ा बेचना सही और केला बेचना, स्कूटर बनाना गलत कैसे?

2014 लोकसभा चुनाव। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के कोने-कोने में जाकर चुनावी सभा को संबोधित कर रहे हैं। उस चुनावी सभा में बता रहे है कि वे कैसे अपने बचपन के दिनों में गरीबी देखी हैं। चाय बेचकर जीवन चलाया है। जनता इनके इस भाषण को सुनकर द्रवित होती है। वह समझती है कि कोई गरीब का बेटा, चाय बेचनेवाला आज प्रधानमंत्री बनने जा रहा है। इससे हमारी गरीबी दूर होगी। देश आगे बढ़ेगा, पर देश कितना आगे बढ़ा, गरीबी कितनी मिटी, वह सबको मालूम हैं।

हम आपको यह भी बता दे कि जब नरेन्द्र मोदी, गुजरात के कई बार मुख्यमंत्री बने, तब भी किसी को पता नहीं था कि उन्होंने चाय बेचने का कारोबार किया, हां लोग ये अवश्य जानते थे कि ये संघ के प्रचारक रहे, संघ को अपनी सेवाएं दी, पर जैसे ही पीएम बनने-बनाने की बात आई, तो उन्होंने बड़ी ही सुनियोजित ढंग से इस बात को अपनी ओर से फैलाया, क्योंकि वे अच्छी तरह जानते है कि भारत की जनता भावनाओं में बहकर अपना कुछ भी ऊच-नीच, फायदा-नुकसान नहीं देखती, बल्कि अपना सारा कुछ दांव पर लगा देती है, जैसा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में दिखा, उसका नतीजा क्या निकला? वह भी सबको मालूम हैं।

एक ओर हमारे प्रधानमंत्री चाय बेचने के काम को या पकौड़ा बेचने के काम को बुरा नहीं मानते। वे इसे रोजगार का सशक्त माध्यम बताते हैं, वे इसमें हुनर खोज लेते हैं, रोजगार ढूंढ लेते है पर हमारे झारखण्ड के मुख्यमंत्री को चाय बेचने के काम में तो हुनर दिखाई पड़ता है पर केले बेचने तथा स्कूटर बनाने के काम में उन्हें हुनर नहीं दिखता, इसे वे हेय दृष्टि से देखते हैं, तभी तो उन्होंने कल रांची में विभिन्न योजनाओं के ऑनलाइन शिलान्यास में कह डाला कि केला बेचने व स्कूटर बेचने के लिए जनसंख्या नहीं बढ़ाएं, अब सवाल उठता है कि जब लोग केला बेचने और स्कुटर के दुकान में काम करने के लिए जनसंख्या नहीं बढायेंगे तो फिर आपके उस सोच का क्या होगा? जो आपने कल तेली समाज में कहा कि सरकार जनसंख्या के आधार पर आरक्षण देने पर विचार कर रही हैं।

अरे मुख्यमंत्री रघुवर दास जी, आप कुछ बोलने के पहले सोचिये तो कि आप क्या कह रहे हैं, या थोड़ी देर पहले आपने किसी जगह पर क्या कहा हैं? आप तो अपने ही वक्तव्य की थोड़ी-थोड़ी देर पर आलोचना कर डालते हैं, जैसा कि कल देखने को मिला, ऐसे भी अब आप जो करिये, जातिवाद फैलाइये या केला बेचनेवालों या स्कूटर बेचनेवालों के सम्मान के साथ खेलिये, जनता ने तो निर्णय कर ही लिया है कि आने दीजिये 2019 की लोकसभा और विधानसभा चुनाव को, दोनों जगहों से आपलोगों की विदाई तय हैं।