अपनी बात

सावन महीने में रांची में रहकर, रांची के इक्कीसो महादेव के दर्शन अगर नहीं किये, तो फिर क्या किये?

रांची जंक्शन से करीब चार किलोमीटर की दूरी पर नामकुम के स्वर्णरेखा नदी के तट पर है इक्कीसो महादेव। यह इक्कीसो महादेव नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि यहां के भूतल चट्टानों पर इक्कीस शिवलिंग उकेरित किये गये हैं, जिसमें कुछ तो अब दिखाई नहीं पड़ते, पर कुछ आज भी दिखाई पड़ रहे हैं।

कार्तिक शुक्लपक्ष की पूर्णिमा के दिन इस जगह पर बड़ा भव्य मेला लगता है, बड़ी संख्या में लोग यहां इस अवसर पर ईख खरीदते हैं, और उसका सेवन करते हैं, पर आज तक इन इक्कीसो महादेव के संरक्षण और संवर्द्धन के साथ-साथ पर्यटन के दृष्टिकोण से राज्य के पर्यटन विभाग का ध्यान ही नहीं गया, जो हम जैसे लोगों को आश्चर्य में डालता है।

अगर पर्यटन विभाग इस ओर ध्यान देता है तो रांची का यह महत्वपूर्ण इलाका काफी समृद्ध और स्वच्छ हो सकता है, क्योंकि यहां वर्तमान में स्वच्छता का घोर अभाव है, वो इसलिए कि पूरी रांची की गंदगी हरमू नदी से होते हुए, स्वर्णरेखा में यहीं पर मिलती है, जो बदबू से अटी-पटी रहती है, वर्षाकाल में भारी बारिश के कारण वो बदबू वर्षा के दिनों में कम पर अन्य दिनों में खूब दुर्गंध फैलाती रहती है।

यहीं पर एक छोटा सा मंदिर हैं, जो स्वर्णकार समुदायों द्वारा संरक्षित है, इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह मंदिर दक्षिण के रामेश्वरम् का बोध कराती है, इस मंदिर में भगवान राम, अपने प्रिय भाई लक्ष्मण तथा हनुमान के साथ विराजमान हैं और सभी एक साथ भगवान शिव का जलाभिषेक कर रहे हैं। यह दृश्य सचमुच देखनेलायक हैं।

जिस किसी ने इस भाव को यहां उकेरित किया है, वो दक्षिण को उत्तर में लाने का प्रयास किया है, ऐसे तो मंदिर और भगवान भाव के कारण ही जाने जाते हैं, इसलिए अगर ये दृश्य आपके सामने हैं तो बस समझ लीजिये कि जिस व्यक्ति ने यह दृश्य आपके सामने लाने की कोशिश की है, उसका कितना सुंदर भाव होगा।

हमारे विचार से झारखण्ड सरकार के पर्यटन विभाग को चाहिए कि इक्कीसो महादेव के संरक्षण और संवर्द्धन में अपना विशेष योगदान दें, ताकि लोग इस दृश्य से भविष्य में वंचित न हो, क्योंकि शायद ही रांची में कोई ऐसा स्थान है, जहां एक साथ इक्कीस शिवलिंग के दर्शन, वह भी किसी पवित्र नदी के तट पर दिखाई दें। श्रावण मास में तो शिवलिंग की महत्ता ऐसे भी और बढ़ जाती हैं, अगर इक्कीसो महादेव का भी, रांची के पहाड़ी मंदिर की तरह सज्जा की जाती, तो निश्चय ही यह इलाका, रांची के पर्यटन मानचित्र पर सर्वोपरि होता, इसमें कोई संशय की बात भी नहीं।