खाद्य-आपूर्ति मंत्री सरयू राय के ब्रह्मास्त्र से राज्य के कथित होनहार CM रघुवर दास का बचना असंभव

भाजपा के वरिष्ठ नेता व राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय के स्वभाव व चरित्र के बारे में जो लोग जानते हैं, वे यह भी जानते है कि वे विपरीत परिस्थितियों में भी गलत को गलत बोलने से नहीं चूकते, चाहे उसके लिए उन्हें कुछ भी कुर्बानी ही देनी क्यों न पड़ें? राज्य गठन के बाद से लेकर अब तक उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ जब भी चोट की, उन्हें सफलता मिली, और इधर एक बार फिर उन्होंने भ्रष्टाचार पर प्रहार के क्रम में राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास को कटघरे में ला खड़ा किया है।

जिससे राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास की खुब किरकिरी हो रही है, पर भाजपा में ही रह रहे कुछ भाजपा विरोधी एवं रघुवर समर्थकों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा, लेकिन राजनीतिक पंडितों की मानें तो राजनीति में समय बलवान होता हैं न कि व्यक्ति विशेष। रघुवर दास का अब समय ढलान पर हैं, उन्होंने जितना भ्रष्टाचार का रिकार्ड बनाया हैं, उन रिकार्डों को देखा जाये तो उसका भुगतान उन्हें ही करना हैं, हांलांकि प्रशासन व अन्य स्थानों पर रह रहे रघुवर समर्थकों ने सरयू राय से निबटने की कई बार कोशिश की, पर सरयू राय ने अपने प्रयासों से सब को निबटा दिया और वे अब अपने किये की सजा भुगत रहे हैं, और अब बारी रघुवर दास की है।

सरयू राय ने ताल ठोककर इशारों ही इशारों में रघुवर दास के भ्रष्टाचार की ट्विवटर पर पोल खोलकर रख दी, जब उन्होंने लिखा कि प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। कुछ ही दिन बाद झारखण्ड विधानसभा चुनाव आ रहा है। जिनके दामन पर भ्रष्टाचार के नये-पुराने, छोटे-बड़े दाग हैं, जो जांच में साबित हो गये हैं, जिन पर कार्रवाई दबी पड़ी है, उन्हें समय रहते किनारा कर लेना चाहिए। समय बलवान होता है।

सरयू राय एक अन्य ट्विट कर साफ लिखते है कि अब तक मैंने भ्रष्टाचार के जितने आरोप लगाये हैं, जांच में वे सबके सब सही साबित हुए हैं, जिन पर कार्रवाई हो गई। आरोपी दंडित हो गये, उन्हें तो सब जानते हैं, पर जांच में आरोप साबित होने के बावजूद जिन पर कार्रवाई नहीं हुई है, जो दबा दिये गये हैं, दहाड़ते चल रहे हैं, वे आरोपी भी आज नहीं तो कल जरुर नपेंगे।

राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास पर सीधा-सीधा चोट करते हुए, उनके नेतृत्व को नकारते हुए वे साफ कहते है कि जब किसी समय संदर्भ में एक बौद्धिक, सर्वमान्य, जनप्रिय, जमीनी एवं संवेदनशील नेतृत्व उपलब्ध नहीं हो तो संसदीय लोकतंत्र में संगठन आधारित सामूहिक नेतृत्व ही सर्वश्रेष्ठ नेतृत्व माना जाता है, जिसमें ‘मैं नहीं हम’ यानी ‘मैं भी और तू भी’ का नैसर्गिक भाव निहित रहता है।

राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास जहां से चुनाव जीतकर आते हैंं, वहां इनके परिवार के सदस्यों ने किस प्रकार माहौल खराब किया हैं, कैसे इनके परिवार के लोग और लोगों का जीना हराम कर रखा हैं, उसकी एक बानगी सरयू राय के इस ट्विट में दिख जाती हैं। जब वह लिखते है कि राजनीति में परिवारवाद पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सतत प्रहार केवल पारिवारिक पदशृंखला तक ही नहीं रुके, बल्कि पुत्र, भाई, भतीजा, साला सदृश इनके परिवार के सदस्यों के अवैध आचरण को भी परखें। जब संविधान-कानून की शपथ लेनेवाले अधिकारी इनके अवैध कारनामों को खुला शह देते दिखने लगे।

राज्य में पीएम मोदी को नीचा दिखाने व स्वयं को ऊंचा दिखाने की मुख्यमंत्री की कवायद यानी घर-घर रघुवर अभियान पर भी ट्विटर के माध्यम से सरयू राय ने चोट की हैं, जिसमें उन्होंने साफ लिखा है कि घर-घर भाजपा, घर-घर कमल, बाद में मैं, पहले दल। सरयू राय करते है कि उनकी झारखण्ड प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ से दूरभाष पर बात हुई, उन्हें सलाह दिया कि चुनावी दृष्टि से जनसम्पर्क अभियान का नारा – ‘घर-घर कमल’ तय करें। यह वाक्य केवल नारा नहीं होगा बल्कि निष्ठा का प्रतीक भी होगा। मेरा यह सुझाव उन्हें अच्छा लगा, दिल्ली लौटते ही आज उनसे मिलूंगा।

पर सच्चाई क्या है? सूत्र बताते है कि नगर विकास मंत्री सी पी सिंह को हड़काकर कि कहीं उनका टिकट न कट जाये, इसलिए सी पी सिंह से आनन-फानन में घर-घर रघुवर अभियान की शुरुआत करवा दी गई, तथा इसके माध्यम से मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सरयू राय को एक तरह से नीचा दिखाते हुए चुनौती दे डाली।

हालांकि सूत्र बताते है कि अपने ढंग से राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय को निबटाने की कम कोशिश नहीं की, फिर भी सरयू राय के चिन्तन और मनन तथा भाजपा प्रेम पर कोई असर नहीं पड़ा, वे उन सभी से मुकाबला कर रहे हैं, जो उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश की हैं, यह ट्विट वहीं दिखाता है, जरा इसे पढ़िये – 

झारखण्ड स्टेट बार कांउसिल के अध्यक्ष 10 दिनों के भीतर बैठक बुलाकर मेरे विरुद्ध वांछित निन्दा का प्रस्ताव वापस लें, नहीं तो उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करुंगा, भ्रष्टाचार और मनमानी के खिलाफ आवाज उठाने पर निन्दा का प्रस्ताव, वह भी कानूनविदों की संस्था द्वारा घोर आश्चर्य, दुखद, अकल्पनीय।

राजनीतिक पंडित बताते है कि जो लोग सोच रहे है कि वे सरयू राय को मात दे रहे हैं, वे गलतफहमी में हैं, भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं को चाहिए कि सरयू राय के विचारों व चिन्तनों पर ध्यान दें, नहीं तो ओम प्रकाश माथुर-जे पी नड्डा ताल ठोकते रह जायेंगे और रघुवर दास की हरकतें भाजपा को राज्य में बर्बाद करके रख देगी, क्योंकि घर-घर रघुवर अभियान शुरु होने से भाजपा के कार्यकर्ता और ज्यादा नाराज हो गये।

क्योंकि उनका मानना है कि वे राज्य में भाजपा का झंडा ढो लेंगे, लेकिन किसी भी व्यक्ति विशेष के नाम से चल रहे अभियान का समर्थन नहीं करेंगे, यानी भाजपा में घर के महत्वपूर्ण स्थान पर आग भड़क चुकी हैं, बस उस आग को भभकने की देरी हैं, शायद भभकाने में खुद भाजपा के ही केन्द्रीय स्तर के नेता लग गये हैं, उन्हें पता ही नहीं कि राज्य में भाजपा की हालत किस तरह बद से बदतर हो गई है।