अपनी बात

तो क्या कोरोना वायरस जैसी बीमारी भारत और विश्व के देशों में कहर बरपायेगी, इसकी जानकारी भारतीय ज्योतिषियों को पूर्व से थी?

जब आजकल पूरे विश्व के देशों में कोरोना वायरस ने कोहराम मचा रखा है, जहां कई देशों में लॉकडाउन ने वहां की आर्थिक स्थिति को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया हैं, जहां कई देशों के राजे-महाराजे, प्रमुख शासक व उसके उत्तराधिकारी, व मंत्री तक इसके चपेट में हैं, ऐसी महामारी की जानकारी क्या भारतीय ज्योतिषियो को पूर्व में थी?

इस बात को लेकर पिछले कई दिनों से मेरे मन-मस्तिष्क में उथल-पुथल चल रही थी, इसकी टाइमिंग को लेकर भी उथल-पुथल थी, तथा भारतीय पंचागों में उद्धृत शब्दों को लेकर भी तरह-तरह के विचार आ रहे थे। आम-तौर पर भारतीय पंचाग हिन्दी मास चैत्र शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है और चैत्र कृष्णपक्ष की अमावस्या को समाप्त हो जाता है।

हम आपको यह भी बता दें कि आम तौर पर भारतीय महीना का पहला मास, अंग्रेजी महीने के मार्च-अप्रैल में शुरु होता है तथा मार्च-अप्रैल में ही खत्म हो जाता है। यह भारतीय पंचाग भारतीय बाजारों में हर साल अंग्रेजी महीने के सितम्बर या अक्टूबर में उपलब्ध हो जाता हैं, ऐसे में जिस वायरस का कही कोई अता-पता नहीं, उसके बारे में कई महीने पहले ही अनुमान लगा दिया जाना कि ऐसा होगा, सचमुच भारतीय ज्योतिषियों की विद्वता को उजागर कर देता है।

मैं हमेशा भारतीय पंचाग खरीदता हूं, अपने पास रखता हूं, क्योंकि इसके द्वारा विभिन्न भारतीय पर्व-त्योहारों, विभिन्न अनुष्ठानों, व मुहुर्तों-नक्षत्रों की सटीक जानकारी प्राप्त हो जाती हैं, चूंकि ब्राह्मण कुल में जन्म लिया तो ऐसे भी इन बातों के बारे में बचपन से ही मुझे जानकारी मिलती रही। मैट्रिक परीक्षा की समाप्ति के बाद तो मेरे पिताजी ने एक साल बैठा दिया और पं. धर्मनाथ शास्त्री एम.ए. (द्वय) के पास वेद-उपनिषद्, पुराणों-शास्त्रों को जानने व समझने के लिए भेज दिया।

मुझे यह बात कहते गर्व महसूस होता है कि पं.धर्मनाथ शास्त्री ने मुझसे बिना एक पैसे लिए इन सभी चीजों की जानकारी उपलब्ध कराई। उन्होंने ही मुझे संस्कृत भाषा में बोलना-लिखना-पढ़ना सिखाया, यानी जो मुझे संस्कृत में रुचि नहीं थी, उनमें रुचि जगा दी। आज भी मैं कह सकता हूं कि कोई बच्चा जो संस्कृत पढ़ना-लिखना जानना चाहता है, वह एक महीना मुझे समय दें, मैं उसे संस्कृत भाषा में पारंगत बना दूंगा। खैर, हम यहां बात कर रहे हैं, भारतीय ज्योतिषियों द्वारा कोरोना वायरस को लेकर दी गई जानकारी की।

विक्रमी संवत् 2076 शक संवत् 1941 जो 6 अप्रैल 2019 को प्रारम्भ हुआ और 24 मार्च 2020 को समाप्त हुआ, यानी यह पंचाग भारतीय बाजारों में सितम्बर 2018 में ही उपलब्ध हो गया था, जिसमें विश्व तथा भारत के भविष्य फल की 12 वीं पंक्ति में स्पष्ट लिखा है कि किसी विषाणु जनित महामारी का प्रकोप होगा, निश्चय ही कोरोना वायरस विषाणु ही तो है, जो महामारी बनकर पूरे विश्व को दबोच ली है।

इस साल यानी विक्रमी संवत् 2077 शक संवत 1942 में भी, जो 25 मार्च को प्रारम्भ हुआ हैं, उसमें भी विश्व तथा भारत का भविष्य फल की 11 वीं पंक्ति में महामारी के प्रकोप का जिक्र है, जबकि मासिक फल चैत्र शुक्ल से वैशाख कृष्ण यानी 25 मार्च से लेकर 23 अप्रैल 2020 के भविष्यफल की छःठी पंक्ति में साफ लिखा है कि किसी स्पर्शजन्य महामारी का प्रकोप होगा। हम आपको एक बार फिर बता दे कि विक्रमी संवत् 2077 का यह पंचाग बाजार में सितम्बर 2019 में आया, जबकि इसका प्रकाशन तो कई महीने पहले ही हो चुका होता है।

ये तो रही, भारतीय पंचागों की भविष्यवाणी, अब बात कोरोना वायरस के भारत और विश्व में उसके प्रभाव की बात। भारतीय पंचाग साफ कह रहा है कि किस माह में इसका प्रभाव दिखेगा, भारतीय पंचाग ने मार्च और अप्रैल माह में स्पर्श जन्य महामारी की बात लिखी है, जबकि अन्य माहों में इसका जिक्र तक नहीं, इसका मतलब है कि अप्रैल के बाद से यह महामारी धीरे-धीरे गौण होने लगेगी और पूरे विश्व से इसका सफाया हो जायेगा।

ऐसे में जब तक इससे पूर्ण मुक्ति नहीं मिल जाती, इससे जितना बचा जाय, उतना ही अच्छा है। हालांकि बहुत सारे लोग पंचाग के इस पृष्ठ का चित्र लेकर हर जगह वायरल कर रहे हैं, और अपने मन को संतोष कर रहे हैं कि कोरोना वायरस की तरह की बीमारी का जिक्र करनेवाला अगर यह पंचाग भविष्यवाणी कर रहा है कि इसका उदय होगा तो इसका अंत भी सुनिश्चित है, क्योंकि भारतीय पंचागों के अन्य माहों में इसकी जिक्र तक नहीं।

हां एक बात और भारतीय पंचाग ने इस साल किसी प्रतिष्ठित भारतीय के निधन की बात कही हैं, अब देखिये इसका क्या परिणाम निकलता है, लेकिन इस बात का लोहा तो मानना ही पड़ेगा कि भारतीय ज्योतिषियों ने कोरोना वायरस तरह की स्पर्श जन्य महामारी की भविष्यवाणी तो कई महीने पहले ही कर दी थी।