शिबू सोरेन का जाना, एक युग का अंत, वहीं हेमन्त सोरेन की पितृभक्ति लोगों को आयेंगी याद
जब-जब झारखण्ड में शोषितों-पीड़ितों के पक्ष में मुखरता से आवाज बुलंद करनेवाले नामों की चर्चा होगी, तो निश्चय ही वहां दिशोम गुरु शिबू सोरेन का नाम शिखर पर होगा। शायद यही कारण है कि जब राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नहीं रहने की सूचना दी। तो ज्यादातर लोगों के मुख से यहीं निकला कि शिबू सोरेन का दुनिया से जाना – एक युग का अंत है।
झारखण्ड आज स्वयं को अनाथ महसूस कर रहा है। अब उनके जैसा कोई विकल्प भविष्य में फिलहाल देखने को नहीं मिल रहा। यहां हम बात राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की भी करेंगे। जिस प्रकार से उन्होंने अपने पिता व झारखण्ड के महान आंदोलनकारी शिबू सोरेन के स्वास्थ्य को लेकर सजग रहे हैं। जिस प्रकार से उन्होंने पुत्र-धर्म का पालन करते हुए, अपने पिता को अंत-अंत तक नहीं छोड़ा, उनके पास बने रहें। आज के युग में ऐसा पुत्र होना भी मुश्किल है।
नहीं तो, हमनें ऐसा भी देखा है कि जब व्यक्ति को सत्ता सुख मिलता है, तो वह सत्ता सुख में इतना मदान्ध हो जाता है कि उसे पिता के प्रति क्या धर्म निभाना है, भूल जाता है। लेकिन हेमन्त सोरेन ने जिस प्रकार अपने पिता की सेवा की और इस दौरान अपने राजधर्म का पालन किया। इसकी भी हमें प्रशंसा करनी होगी।
मेरी पत्रकारिता 40 वर्ष की हो चुकी है। इन 40 वर्षों में मैंने कई राजनीतिज्ञों को नजदीक से देखा है। लेकिन जो राजनीति दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने की। वो आजतक किसी ने नहीं की। उनकी राजनीति के केन्द्र में हमेशा शोषित-पीड़ित ही रहे। कई बार जेल गये। लेकिन जेल आने-जाने के क्रम में उनका जो केन्द्र-बिन्दु था, वो उनसे कभी नहीं छूटा।
अगर वे चाहते तो वे भी आजकल के नेताओं की तरह आराम से फाइव स्टार होटलों की तरह जिंदगी जी सकते थे। लेकिन उनकी ज्यादातर जिंदगी तो पहाड़ों व जंगलों में आदिवासियों, पीड़ितों, उपेक्षितों व शोषितों के लिए संघर्ष में ही बीत गई। शायद यही कारण रहा, कि जब वे एक बार जेल गये, तो उस समय में धनबाद में ईटीवी के लिए कार्य कर रहा था। अपने कैमरामैन शाहनवाज के साथ टुंडी के जंगलों में गया।
जहां बड़ी संख्या में आदिवासी रहा करते थे। कुछ धनबाद में भी थे। पता चला कि कई आदिवासियों के घर में कई दिनों से चूल्हें नहीं जले हैं। मैंने इसका कारण जानने के लिए उनके घरों का दरवाजा खटखटाने निकला, तो पता चला कि उनके घर में इसलिए चूल्हें नहीं जल रहे, क्योंकि वे दिशोम गुरु को अपना धर्म गुरु मानते हैं। उन्होंने हमें बताया कि जब वे जेल में हैं। तो निश्चय ही उन्हें कष्ट होता होगा। वे ऐसी हालत में, कैसे अपने घर में चूल्हें जलाएँ और आनन्द मनाएं।
इन आदिवासियों की इस सोच पर हमें राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का शिबू सोरेन के पक्ष में दिया गया वो बयान याद आ गया कि जब वे छोटे थे। तो गुरु जी का नाम खुब सुना करते थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि जैसी उस वक्त उनके बारे में वे सुना करते थे, अगर वे सक्रिय राजनीति में नहीं रहते तो वे आज भगवान की श्रेणी में आ गये होते। निश्चय ही उनका कद बहुत बड़ा था। लोग उनका नाम उस वक्त बड़ी आदर से लिया करते थे।
धनबाद में ही एक नेता थे ए के राय। जिनके चारित्रिक गुणों के आस-पास कोई नेता फटक भी नहीं सकता। कभी ए के राय और विनोद बिहारी महतो (शिबू सोरेन विनोद बिहारी महतो को अपना धर्म पिता मानते थे और कई बार भाषणों में इसका उल्लेख भी किया करते थे।) के साथ मिलकर इन्होंने धनबाद के ही गोल्फ ग्राउंड में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा नामक पार्टी का गठन किया था।
ए के राय ने हमें बताया था कि शिबू सोरेन पर लाख कोई भ्रष्टाचार का या अन्य अपराध का आरोप लगा दें। लेकिन मैं जहां तक शिबू सोरेन को जानता हूं। वह ऐसा अपराध कर ही नहीं सकता। क्योंकि शिबू सोरेन को मैं जानता हूं और कोई नहीं जान सकता। ए के राय का यह बयान, कोई साधारण बयान नहीं था। ए के राय के मुख से कोई ऐसा बयान अपने पक्ष में निकलवा भी नहीं सकता था। लेकिन जब मैंने उनसे शिबू सोरेन के बारे में कुछ पूछा तो उनके मुख से यही निकला था।
शिबू सोरेन, दिशोम गुरु ऐसे ही नहीं बन गये थे। दरअसल वे आदिवासी समाज में पल रहे कुछ कुरीतियों और गड़बड़ियों को दूर भी करना चाहते थे। वे समझते थे कि जब तक उन कुरीतियों से ये दूर नहीं होंगे। इनका भला नहीं हो सकता। वे सभी से नशा से दूर रहने को कहते थे। वे चाहते थे कि आदिवासी समाज हड़िया-शराब से दूर रहे। शायद यही कारण है कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने भी अपने पिता के इस स्वप्न को पूरा करने के लिए राज्य में हड़िया-दारू के व्यवसाय में लगी महिलाओं को अपना नया व्यवसाय खोलने के लिए पूंजी की व्यवस्था शुरू करा दी, जिसका लाभ उन्हें मिल रहा है।
मैं जब भी टुंडी के जंगलों में गया, तो पाया कि गुरुजी को आदिवासी लोग भगवान से कम नहीं माना करते थे। बुजुर्ग बताया करते थे कि उनके द्वारा लगाई जानेवाली जन-अदालत काफी सुर्खियां बटोरती थी। जब भी किसी को समस्या होती, वे शिबू सोरेन के पास ही जाते। एक समय था कि जमींदार और सूदखोर तो उनके नाम से ही कांपते थे। कई जमीन विवादों को तो उन्होंने चुटकियों में समाप्त कर दिया।
कुछ जमीदार तो आदिवासियों को कुछ समझते ही नहीं थे, उनकी फसलों को जबरन खेत में ही लूट लेते थे, यह कहकर की ये उनके कर्ज की वसूली है। शिबू सोरेन को जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने ऐसे जमीदारों और साहूकारों को अच्छा सबक सिखाया। धीरे-धीरे प्रशासन में रहनेवाले अच्छे अधिकारियों को जब इस बात का पता चला तो वे भी शिबू सोरेन की मदद के लिए आगे बढ़े।
धीरे-धीरे इनकी लोकप्रियता बढ़ती चली गई और वो रुकने का नाम नहीं ली। देखते ही देखते ये पहले तो अपने इलाके, फिर संथाल परगना, उसके बाद पूरा राज्य और फिर पूरे देश में अपने क्रिया कलापों से एक छाप छोड़ दी। ऐसी छाप की आज झारखण्ड राज्य का सपना साकार हुआ है। जो पार्टी कभी सत्ता के लिए संघर्ष करती थी, आज वो सत्ता में है।
गत् 2019 से उनकी पार्टी झारखण्ड में सत्ता में हैं। कई दलों के साथ मिलकर झारखण्ड को लीड कर रही है। खुद हेमन्त सोरेन आज अपने पिता के आशीर्वाद से स्वयं को देश में स्थापित कर चुके हैं। निश्चय ही, हेमन्त सोरेन के लिए आज का दिन बहुत कष्टप्रद है, क्योंकि कल तक वो जो भी काम करने के लिए निकलते, तो दिशोम गुरु शिबू सोरेन का आशीर्वाद लिये बिना नहीं निकलते। काम छोटा हो या बड़ा, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, वे ऐसे मौके पर गुरुजी का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते। अब जबकि गुरुजी ने देहत्याग कर दिया, ऐसे में आज उन्हें ये बात जरुर सालता होगा कि अब गुरुजी का आशीर्वाद कैसे मिलेगा?
झारखंड आंदोलन के प्रणेता और आदिवासी समाज की बुलंद आवाज़, गुरुजी शिबूसोरेन जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है।
उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज के वंचित, शोषित और आदिवासी समुदाय के हक़ और सम्मान के लिए समर्पित कर दिया।
उनकी राजनीतिक दूरदृष्टि, संघर्षशीलता और सेवा भावना को देश हमेशा याद रखेगा।
ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और श्री हेमंत सोरेन सहित सभी परिजनों, शुभचिंतकों को इस दुख की घड़ी में संबल दें।
सीएम हेमंत जी ने जिस तरह राजधर्म का निर्वाह करते हुए पुत्रधर्म का पालन किया, वह प्रशंसनीय और प्रेरणादायक है।
ॐ शांति। 🙏
गुरुजी दिशोम गुरु शिबू सोरेन नहीं रहे.सी एम हेमंत सोरेन ने एक्स पर दी जानकारी…एक युग का अंत…झारखंड की राजनीति और समाज में दिशोम गुरु का स्थान भगवान से कम नहीं है.ऐसे जननायक बहुत कम हैं जिन्हें जनता पूजती है.हाशिए पर पड़े और साहुकारों के चंगुल में फंसे व सबसे निचले पैदान पर मौजूद समुदाय के लिए उनका संघर्ष व योगदान अतुलनीय है.विनम्र श्रद्धाजलि…
अन्नी अमृता