अपराध

समीर सिन्हा ने रघुवर सरकार, भाजपा नेताओं व प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार में संलिप्त होने का लगाया आरोप, दी चेतावनी कि वो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर किसी को नहीं छोड़ने जा रहे

रांची झारखंड आंदोलनकारी सह सामाजिक कार्यकर्ता (whistle blower) India Against Courruption के समीर कुमार सिन्हा ने आज रांची प्रेस क्लब में संवाददाता सम्मेलन कर भाजपा सरकार व वर्तमान सरकार तथा प्रवर्तन निदेशालय के भ्रष्ट अधिकारियों की नींद उड़ा दी। उन्होंने आज संवाददाता सम्मेलन में साफ कहा कि हमलोग झारखण्ड के आंदोलनकारी हैं। समीर के शब्दों में उनका घर धन, उनका घर, उनकी जमीन सब कुछ बर्बाद हो चुका, फिर भी जब तक शरीर रहेगा, वे किसी को छोड़ने नहीं जा रहे। समीर के शब्दों में ही पढ़िये, उनके संवाददाता सम्मेलन का यह अंश …

आज यह संवाददाता सम्मेलन झारखंड स्थित प्रवर्तन निदेशालय अधिकारियों के क्रियाकलापों के विरुद्ध आयोजित की गई है, जिसमें खनन घोटाले पूजा सिंघल प्रकरण और जमीन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय में एक शिकायत मेरे द्वारा दर्ज कराई थी, जिसमें दोनों प्रकरण में ईडी के द्वारा जांच चल रही थी। जमीन घोटाले में विष्णु अग्रवाल के यहां छापामारी के दौरान (नवम्बर-2022) रांची स्टेशन रोड स्थित सिरम टोली मे सेना के द्वारा अधिग्रहित जमीन (5.88 एकड़) के खरीद बिक्री के कागजात बरामद हुए थे, जिसमें कोलकाता निवासी संजय घोष एवं महुआ मित्रा द्वारा विष्णु अग्रवाल को जमीन 07.02.2018 को बेची गई थी।

इस प्रकरण में ईडी की कार्रवाई तेज होती गई जिसमें संजय घोष का घर भी शील किया गया था। समन और पूछताछ भी हुई थी मामले को आगे बढ़ता देख मैं इस प्रकरण में ईडी कार्यालय में शिकायत वाद दर्ज कराकर कई  बार कार्यालय भी गया और अधिकारियों से मिला भी। शिकायत में बताया गया कि संजय घोष और महुआ मित्रा को 2010 से जानता हूँ। यह लोग सेना का जमीन बेचना चाहता है। सन 2014 में इनलोगों ने संपर्क कर मुझे बताया कि बड़गाईं अंचल में मेरी काफी जमीन है, इसी क्रम में लालपुर के कुछ लोगों ने मुझसे संपर्क किया जिसको मैं पूर्व से जानता हूँ और वह रांची जिला के भाजपा के पदाधिकारी हैं।

मेरे माध्यम से दोनों पक्षों से जमीन खरीद बिक्री की बात हो गई। संजय घोष और इनलोगों को जमीन खरीद-बिक्री के कागजात में मैं गवाह बना, मगर मेरी ओर से शर्त थी कि जमीन के कागजात को वैध कराकर सरकार और माननीय उच्च न्यायालय से आदेश लेकर ही इस जमीन की बिक्री की जा सकती है। क्योंकि मेरी छवि झारखंड में एक आंदोलनकारी और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में है, और मैं गलत कार्यों में संलिप्त नहीं रहता हूँ। इन्हीं कारण से इनलोगों ने हमें इस प्रकरण से अलग कर दिया और मैं भी बड़े उलझन में व्यस्त था। इस कारण इस ओर ध्यान नहीं दिया।

इस जमीन की प्रकृति प्रतिबंधित सूची की सरकारी भूमि और सीएनटी एक्ट की भूमि थी और इनलोगों के पास 1934 का एक कागजात था मगर सरकार के यहाँ दर्ज नहीं था। सारी बातों को लिखित रूप से प्रवर्तन निदेशालय को बताया गया कि मौजा-तिरिल, बड़गाईं अंचल में 40 से 50 एकड़ जमीन इनलोगों ने अवैध तरीके से बेच दिया है, इसी जमीन में मेरा भी 6 डिसमिल  जमीन में मकान था, इसकी भी जानकारी मैंने लिखित रूप से दिनांक- 13/05/2023 को दिया था। जमीन मकान को इस कारण से मैं खाली भी कर दिया था और शिकायत झूठी पाए जाने पर जमीन मकान ले लेने की भी बात मैंने अधिकारियों को कही थी।

सभी बातें उस समय गोपनीय तरीके से प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के साथ साझा कर रहा था। तीन महीने बाद प्रवर्तन निदेशालय से यह जानकारी लीक हो गई और मीडिया में चला गया मीडिया वाले भी मुझसे संपर्क किये और खबर भी चला और कहीं दबा भी। मैं कार्रवाई का इंतजार करता रहा। विष्णु अग्रवाल का जब जमानत हुआ तो सारा माजरा मुझे समझ में आ गया। जब माननीय उच्च न्यायालय का आदेश मैंने देखा कि प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने इस मामले में अभियोजन शिकायत वाद दर्ज कराई है, मगर जमीन मालिक संजय घोष एवं महुआ मित्र को आरोपी नहीं बनाया गया।

साथ ही माननीय उच्च न्यायालय को गुमराह कर मनी लॉन्ड्रिंग की बात को छुपाया गया। जिसमें इस जमीन में 15 करोड़ के सेल डीड में तीन करोड़ का ही भुगतान हुआ। 12 करोड़ फर्जी रकम दिखाया गया। स्पष्ट रूप से मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है तथा इस मामले में कोई पंजीकृत प्राथमिकी और शिकायत भी दर्ज नहीं की गई। इस कारण आरोपियों को माननीय उच्च न्यायालय से लाभ मिल गया। संजय घोष एवं महुआ मित्रा के साथ भारतीय जनता पार्टी के कई नेता सहभागी थे, जिन्होंने बड़गाईं अंचल  में व्यापक पैमाने पर गैरमजरूआ और सीएनटी एक्ट की जमीन को रांची रजिस्ट्री ऑफिस और अपने सरकार के सहयोग से बिक्री किया जो कि अवैध है।

साथ ही इनलोगों ने कांके अंचल स्थित मौज-संग्रामपुर में व्यापक पैमाने पर जमीन बेचा। सभी जमीनों में कुछ ना कुछ फर्जी कागजात संलग्न कर निबंध कराया गया है, जिसमें खाता नं.-27 के रसीद को इन लोगों ने खाता नं.-26 कर दिया। जाली खेवट एवं जाली खतियान का इनलोगों ने काफी उपयोग किया। सारी बात की जानकारी प्रवर्तन निदेशालय को लिखित और मौखिक रूप में दिया गया। मगर इन अधिकारियों ने इसपर कोई कार्रवाई नहीं की। अभी वर्तमान में गिरफ्तार प्रियरंजन सहाय के द्वारा रिम्स के पीछे एक बड़े प्लॉट की खरीद बिक्री की गई है।

यह जमीन भी संजय घोष एवं महुआ मित्रा के द्वारा अवैध रूप से बेचा गया है, जिसमें कई एक भाजपा नेता संलग्न है। सारे प्रकरण पर केंद्रीय सतर्कता आयोग ने मेरी शिकायत पर संज्ञान लेकर शिकायत वाद दर्ज कर इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हेतु संचिका मुख्य सतर्कता पदाधिकारी को अग्रसारित कर दिया है साथ ही दिनांक-17.05.2022 को खनन घोटाले में दर्ज शिकायत की भी जानकारी केंद्रीय सतर्कता आयोग को दी है, जिसमें पूजा सिंघल को गलत प्रोन्नति और खनन घोटाले में पूर्ववर्ती रघुवर सरकार की भी शामिल होने की बात कही गई है, जो कि प्रवर्तन निदेशालय के आरोप पत्र में भी दर्ज है।

लेकिन प्रवर्तन निदेशालय द्वारा इस संदर्भ में कार्रवाई नहीं की गई। इसी प्रकरण में हेमंत सोरेन की भी गिरफ्तारी होनी थी, मगर प्रवर्तन निदेशालय ने देखा कि वर्तमान और पूर्व दोनों सरकार शामिल है। तो इस मामले को मेरे हस्तक्षेप के कारण और कई राजनीतिक दलों ने भी इस मामले को उठाया, जिसमें सरयू राय प्रमुख थे, मगर भाजपा सरकार के संलग्न होने के कारण यह मामला दबा दिया गया और रघुवर दास को सहयोग कर राज्यपाल के पद पर इनलोगों ने सुशोभित किया। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार दलाल प्रेम प्रकाश, योगेंद्र तिवारी भाजपा सरकार से ही दलाली की शुरूआत किया है, मगर निदेशालय द्वारा वहाँ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

जेल में बंद योगेंद्र तिवारी द्वारा हाल के दिनों में एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। प्राथमिकी में बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक सलाहकार सुनील तिवारी को नाम दर्ज किया गया था। जिसमें दुबई में रहने वाले संजय चौधरी और बड़े शक्तिशाली गिरोह से संबंध होने की बात कही गई है। आखिर दुबई में कौन वह शक्तिशाली गिरोह हैं हमलोगों को शंका है कि यह गिरोह अंडरवर्ल्ड आतंकवाद गिरोह सरगना दाऊद इब्राहिम से सांठगांठ है जो पाकिस्तान से संचालित है। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का है और इसकी जांच राष्ट्रीय सुरक्षा जांच एजेंसी से करने की आवश्यकता है।

जो हमारे राज्य में भ्रष्टाचार कर लूटा हुआ धन इनलोगों के चरणों में समर्पित करते हैं। इस प्रकरण में वर्तमान झारखंड सरकार भी चुप है आखिर दोनों सरकार इन दलालों को संरक्षण क्यों दे रही है? भ्रष्टाचार पर बड़ी-बड़ी बातें कर आम जनता को बरगला कर सत्ता प्राप्ति ही इनका एक लक्ष्य है। जमीन घोटाले प्रकरण में सबसे संदेहास्पद सेना की भूमिका है। आखिर सेना के द्वारा सिरम टोली मामले में प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज कराई गई। प्राथमिकी दर्ज कराने हेतु सेना को भी मैं लिखित सूचना दिया था, साथ ही संबंधित थाना को भी लिखित दिया था।

चेशायर होम रोड जमीन मामले में आरोपी पुनित भार्गव से पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास से अच्छे संबंध थे तथा उनकी इनोवा गाड़ी भी रघुवर दास के यहां पाई गई। मगर निदेशालय यहाँ भी चुप रहा, झारखंड में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा एकपक्षीय कार्रवाई की जा रही है। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और सरकार में शामिल लोगों पर ही कार्रवाई हो रही है। इन्हीं लोगों ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को साथ में रखकर भ्रष्टाचार में सहभागी बनाए।

20 वर्षों तक झारखंड में भाजपा का शासनकाल रहा। जिसमें ट्रांसफर-पोस्टिंग, टेंडर मैनेज, जेपीएससी घोटाला, कंबल घोटाला, टॉफी, टी-शर्ट घोटाला, मैनहट घोटाला इत्यादि प्रमुख रहा। जिसने भी सरकार बनाई इनलोगों ने दोनों हाथों से झारखंड को लूटने का काम किया। यहाँ नेता अधिकारी-दलाल का एक गठजोड़ है, जो इस कार्य को अंजाम देते हैं। सन् 2014 में इसी हेमंत सोरेन सरकार की मैंने एक बड़ा स्टिंग ऑपरेशन दिनांक-11.09.2014 को किया था तथा इनको सत्ता से बेदखल करने में मेरी बड़ी भूमिका थी।

देश व झारखंड के चर्चित लव जिहाद मामले में मैं सीबीआई जांच कराया, मगर सीबीआई ने इस मामले को भी लीपा-पोती किया। तत्पश्चात् मोमेंटम घोटाला पूर्व मुख्य सचिव के क्रियाकलापों पर मैंने जांच  कमेटी का गठन प्रधानमंत्री कार्यालय के द्वारा कराया उसे समय कई दैनिक अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से दिया। हम लोग अब भ्रष्टाचार के विरुद्ध आर पार की लड़ाई लड़ने हेतु आज स्थानीय प्रेस क्लब में यह घोषणा कर रहे हैं।

हम लोग को अब अपनी कोई फिक्र नहीं है। इस राज को इन भ्रष्टाचारियों से मुक्त करना हम लोगों का अभियान है। इसके लिए हमलोग एक बड़ा जनहित याचिका दायर करने जा रहे हैं जिसमें- खनन भूमि घोटाला, शराब घोटाले, ट्रांसफर-पोस्टिंग, टेंडर मैनेज, नौकरी घोटाले इत्यादि प्रमुख रूप से रहेंगे। क्योंकि सभी का जड़ भ्रष्टाचार है ईडी मनी लॉन्ड्रिंग में कार्रवाई कर सकती है मगर भ्रष्टाचार के ऊपर नहीं। पर यहाँ इनके द्वारा एक पक्ष के आरोपियों को संरक्षण दिया जा रहा है लाभ पहुंचने का आरोप माननीय उच्च न्यायालय से सिद्ध भी हो जा रहा है इनकी इन गतिविधियों के कारण ही मैं प्रवर्तन निदेशालय के चार अधिकारियों को नामजद किया हूँ तथा भ्रष्टाचार में संलिप्त होने का आरोप लगाया गया है।

आखिर किन कारणों से यह लोग एक पक्ष के आरोपी को लाभ पहुंचा रहे हैं? आखिर कौन लोग हैं? जो इनको संरक्षण दे रहे हैं? हम लोग उनको बेनकाब करना चाहते हैं। झारखंड और देश की जनता भी उनके चेहरों को देखें जो बड़ी-बड़ी बातें कर भ्रष्टाचारी को संरक्षण दे रहे हैं। इन भ्रष्टाचारियों को जड़ से उखाड़ने के लिए इनके लिए माननीय उच्च न्यायालय के निगरानी में जांच हेतु हमलोगों का आग्रह रहेगा, क्योंकि केंद्रीय जांच एजेंसी भी निष्पक्ष कार्रवाई नहीं कर रही है। इसका प्रमाण भी हमलोगों ने पेश किया। जब तक ऊपर से नीचे तक सभी भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक कोई सुधार की आशा नहीं है। हमलोग झारखंड के आंदोलनकारी, मूलवासी, आदिवासी, झारखंड में रहने वाले निवासी के सहयोग से इस बड़ी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाएंगे। इस लड़ाई में मेरा धन, मेरा घर, जमीन सारा कुछ बर्बाद हो चुका है जब तक मेरा शरीर साथ रहेगा, मैं इन लोगों को छोड़ने वाला नहीं हूँ।