याद रखो बेशर्मों, इस कालचक्र को समझो, नहीं तो कौड़ी के तीन हो जाओगे, ये धन बनाने का नहीं, सेवा का समय है

मैं बार-बार कह रहा हूं, यह समय किसी भी व्यक्ति या दल या सरकार में दोष ढूंढने का नहीं, बल्कि यह समय हैं – धैर्य पूर्वक, दृढ़ता के साथ उस संकट से लड़ने का, जो फिलहाल पूरी मानवता को नष्ट करने पर तूला है। यह चीन के वुहान से कोरोना के रुप में निकला जैविक हथियार बता रहा है कि ऐसे संकट अब बार-बार विश्व को झेलने पड़ेंगे, इसलिए इसके लिए आज से ही तैयार हो जाइये, क्योंकि चीन जैसा देश, जब अपने में आयेगा तो वह किसी को चैन से सोने नहीं देगा।

जैसे फिलहाल उसने अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान को छोड़कर सारे पड़ोसियों को तंग कर रहा है, हालांकि पाकिस्तान को वो तंग क्यों करेगा, जबकि पाकिस्तान खुद ही उसकी हां में हां मिला देता है, चीन जब जमीन मांगता हैं, तो वह अपनी जमीन बड़े ही प्यार से उपहार स्वरुप थमा देता है, हालांकि पाकिस्तान के जो बुद्धिजीवी हैं, उन्हें अब थोड़ा-थोड़ा आभास हो रहा हैं कि चीन किसी का नहीं, फिर भी जब तक पाकिस्तान पूर्ण रुपेन चीन का लिखित तौर पर गुलाम नहीं हो जाता, पाकिस्तान की सरकार चैन से नहीं बैठ सकती।

खैर ऐसे भी यह समय चीन और पाकिस्तान की राजनीति पर चर्चा करने का नहीं, ये तो मैं बता रहा हूं कि विश्व को यह नहीं भूलना चाहिए कि आज विश्व के कई देश जो इस कोरोना को झेल रहे हैं, उसका निर्माता कोई दूसरा नहीं, बल्कि चीन ही है। इसे गांठ बांधकर रख लेना चाहिए, और जो लोग सोच रहे है कि इसके बाद चीन दूसरा जैविक हथियार का इस्तेमाल नहीं करेगा, तो वे नितान्त महामूर्ख है।

ये वामपंथी चीन पूरे विश्व के देशों को निगलने के लिए तैयार हैं, पर इसका जवाब उसे एशिया महादेश के ही एक देश से मिलेगा, उसकी हेकड़ी सारी खत्म हो जायेगी, यह बात उसे भी पता है। इसलिए अभी आपस में लड़कर अपनी सरकार से कोई सवाल पूछने का नहीं, बल्कि जो सरकार कह रही हैं, उसके अनुरुप चलने का है तथा अपने मनोबल को बढ़ाए रखना है, क्योंकि मन के हारे हार हैं, मने के जीते जीत।

अगर कोरोना के इस दुसरी लहर में ज्यादातर बुरी खबरें आ रही हैं तो कुछ अच्छी खबरें भी हैं, बहुत सारे लोग अपने घरों में ही आइसोलेट होकर ठीक हो रहे हैं, कई विद्वानों का तो मत हैं कि ये कोरोना का दूसरा लहर जल्द ही एक सप्ताह के अंदर खत्म हो जायेगा, और इसके बाद कोई तीसरी लहर की संभावना नहीं हैं, यानी ठीक ब्रिटेन, इटली और अमेरिका की तरह हमारे देश की भी स्थिति हो जायेगी। बशर्तें हम मास्क का उपयोग करें, संयमित रहे, सरकार की दिशा-निर्देशों का पालन करें, वैक्सीन लगवाएं, क्योंकि जिन देशों में कोरोना की दुसरी लहर ने लोगों की जानें ली, उन देशों ने इन्हीं सभी चीजों को अपनाकर उस पर विजय प्राप्त किया।

हमारे देश की सबसे बुरी बिमारी है कि हम देखकर भी नहीं सीखते और हर बात के लिए सरकार पर दोष मढ़ देते हैं, और इसी दौरान बेसिर-पैर की बातें करने लगते हैं। जैसे एक मूर्ख ने यह लिख दिया “हमने अस्पतालों के लिए तो कभी वोट दिया नहीं, हमेशा मंदिर-मस्जिद पर वोट करते रहे, अगर अस्पताल होते तो ये दिन देखने नहीं पड़ते।” अब उस मूर्ख को कौन समझाएं कि जहां ये वायरस पैदा हुआ, यानी चीन। उस चीन में कौन सरकार मंदिर-मस्जिद के लिए वोट मांग रही थी? जिस अमेरिका, इटली, ब्रिटेन, ब्राजील आदि देशों में इस कोरोना ने कहर ढाया, उस देश की जनता ने मंदिर-मस्जिद पर वोट किये थे क्या? क्या वहां भी सिस्टम फेल है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग मर गये।

दुसरी बेसिर-पैर की बात देखिये, “बंगाल में चुनाव हो रहा है, वहां चुनाव के बाद कोरोना फैल जायेगा, फिर से महामारी रौद्र रुप दिखायेगी”, तो भाई मेरे यह भी बता दो कि महाराष्ट्र या गुजरात में जो कोरोना अपना कहर बरपा रही हैं, वहां चुनाव हुए थे क्या? भाई, ये प्रकृतिजन्य बीमारी नहीं है। यह शोध की देन है। यह जैविक हथियार है, इसलिए अपना कमाल दिखा रहा है, पर दुनिया में ऐसा कोई जैविक हथियार नहीं बना, जो काल के गाल में न समाया हो, बस थोड़ा धैर्य रखिये।

इधर झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपने राज्य के नागरिकों की हिफाजत के लिए कुछ फैसले लिये, इस फैसलें में भी कई लोगों ने नुक्स निकाल लिये, जबकि होना यह चाहिए कि हमें सरकार के बताए आदेशों का पालन करें। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने आज ही फैसला लिया है कि 22 से 29 अप्रैल तक राज्य में लॉकडाउन रहेगा। इस दौरान जीवन और जीविका, दोनों को सुरक्षित रखने के लिए – 22 से 29 अप्रैल तक राज्य में स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह मनाया जायेगा। परमावश्यक दुकानों को छोड़, सारी दुकानें रहेंगी बंद रहेंगी। कृषि, उद्योग, निर्माण, एवं खनन से जुड़े कार्य चालू रहेंगे। धार्मिक स्थल खुले रहेंगे पर वहां भीड़ लगाने पर रोक हैं। कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति के घर से नहीं निकलेंगे, पांच से अधिक व्यक्ति एक स्थान पर नहीं रहेंगे। यह तो अच्छी बात है। इसे भी अगर आप नहीं मानेंगे तो आप झक पारिये। आपको कौन रोक रहा है?

क्या आपको मालूम नहीं कि इस कोरोना ने अमीर-गरीब का भेद ही मिटा दिया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के राहुल गांधी तक पोजिटिव हो रहे हैं। कई प्रशासनिक अधिकारियों को इस बात का घमंड था कि उन्होंने दो नंबर के तरीके अपनाकर, अफरात धन कमा लिये हैं, कई मकान बना लिये हैं, उनका कोई क्या उखाड़ लेगा? पर इस कोरोना ने उनके सारे घमंड चूर-चूर कर दिये। धन मुंह देखता रह गया, एक आक्सीजन की सिलिण्डर के लिए तरस गये, कई तो एक बेड के लिए तरस गये।

जिन पर उनको घमंड था कि फलां प्रशासनिक अधिकारी उनका है। जिस पत्नी पर उनको घमंड था कि वो हमारी मदद करेगी। जिन बेटे-बेटियों के लिए धन अर्ज कर रखा था। अरे मरने तो दूर, उनके शवों तक ये लोग पहुंचने से परहेज किये। इतने के बावजूद भी जिन्दा लोगों को अक्ल नहीं आई है। कुछ लोगों ने इसे कोरोना त्यौहार बना दिया है। रांची के नामकुम महिलौंग के पास एक निजी अस्पताल ने एक लाख रुपये के एक ही दिन में बिल बना दिये, जैसे लगता है कि मरने के बाद वो सारे रुपये लेकर स्वर्ग जायेगा और वहां भी कारोबार करेगा।

आश्चर्य देखिये कि जैसे ही मामला सोशल साइट में उठा, सरकार हरकत में आई। उस निजी अस्पताल को लगा कि अब कार्रवाई हो जायेगी। वो पैसा लौटाया, माफी मांगी। काम हो गया, मतलब प्राथमिकी दर्ज नहीं हो पाई। अब सवाल तो राज्य के मुख्यमंत्री और सचिव से भी हैं कि क्या कोई इस कोरोना काल में गुंडागर्दी करेगा और माफी मांग लेगा तो उसकी माफी हो जायेगी, तो फिर ऐसी सरकार पर हम क्यों भरोसा करें? भाई प्राथमिकी दर्ज करो, और ये पेंडेमिक में जो धाराएं लगती है, लगाओ, किसने रोक रखा है?

आश्चर्य है, इस कोरोना काल में कई लोग ऐसे हैं, जो अपनी दुकानदारी चला रखी है, वहीं कई ऐसे भी सामाजिक संगठन और लोग हैं, जो मानवता की सेवा के लिए निकल पड़े हैं। हमेशा की तरह मारवाड़ी समाज मानवता की सेवा के लिए सबसे आगे हैं। वो ऑक्सीजन के सिलिण्डर को देने के लिए आगे बढ़ा है। रांची के सांसद संजय सेठ वंचितों तक पौष्टिक भोजन को लेकर दौड़ रहे हैं। पलामू के के एन त्रिपाठी ने अपने भवन कोरोना काल में प्रशासन को सौंप चुके हैं।

राष्ट्रीय युवा शक्ति के सदस्य भी लोगों की सेवा के लिए निकल पड़े हैं। उधर धनबाद का अंकित राजगढ़िया तथा जमशेदपुर की पत्रकार अन्नी अमृता स्वयं बीमार हैं, फिर भी अपनी ओर से सेवा कार्य में लगी है। ऐसे और कई असंख्य लोग हैं, जो मानवता की सेवा के लिए निकल पड़े हैं। ऐसे लोगों को मैं प्रणाम करता हूं। मुझे पता है कि आप लोग जब तक रहोगे, देश नहीं मर सकता, भारत नहीं मर सकता, क्योंकि आप जैसे के लोगों के हृदय में, सेवा भाव में ही तो भारत बसता है।

एक घटना याद आई, मैं उसका जिक्र करना चाहता हूं। मैं उस वक्त मात्र आठ साल का था। पटना में बाढ़ आ गई। उस बाढ़ में ऐसा लगा कि कोई नहीं बचेगा, लेकिन सभी ने मिलकर हाथ बढ़ाया। कोई भोजन, तो कोई कपड़े तो कोई तिरपाल लेकर दौड़ा। हमें याद है कि उस वक्त भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी थी। उन्होंने पटना के बाढ़-पीड़ितों की जमकर मदद की। पटना को बाढ़ से बचाने के लिए, उन्होंने तटबंधों का निर्माण करवाया। जिसे देखना है, वो तटबंध तो पटना से दानापुर तक का दौरा कर लें, उसे दिख जायेगा।

उस काल में भी जिन्होंने मानवता की सेवा की। मैं आज भी देख रहा हूं कि वे और उनका परिवार फल-फूल रहे हैं, पर जिन्होंने भी दगाबाजी की, बाढ़-पीड़ितों के अनाजों, कपड़ों, तिरपालों तथा सेवाकार्यों में धोखाधड़ी की, सभी कौड़ी के तीन हो गये। इसलिए इस कोरोना काल में भी अगर किसी ने थोड़ी भी गलती की, कोरोना पीड़ितों की सेवा न कर, उनके धनों पर कुंडली मारकर बैठा तो याद रखों, सुख का उपभोग नहीं कर पाओगे, कौड़ी के तीन हो जाओगे, क्योंकि काल के मार से कभी कोई बच ही नहीं पाया। इस कोरोना काल में जिस प्रकार राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन एवं राज्य सचिव सुखदेव सिंह ने इतने अभावों के बावजूद भी जो कार्य अपनी ओर से इन्होंने करने की कोशिश की है, वो काबिले तारीफ हैं।