अपनी बात

श्रीराम और अयोध्या से संबंधित समाचारों से रांचीवासियों के हृदय में पनपी श्रीरामभक्ति की प्यास को तृप्त करने में आज सफल रहे रांची के दो अखबार ‘दैनिक भास्कर’ और ‘दैनिक जागरण’

कल सरयू तट पर बसी भगवान श्रीराम के बाल स्वरुप विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरा देश उत्सुक था। उत्सुक वे भी भारतीय थें जो विदेशों में रहते हैं। झारखण्ड की राजधानी तो कल अयोध्या का शक्ल ले चुकी थी। ऐसे भी रांची में भक्ति की ज्वार कुछ ज्यादा ही दिखती है और जब राम की बात हो तो यहां भक्ति का उफान कुछ अलग ही रुप ले लेता है।

ऐसे भी भगवान राम हैं ही ऐसे कि उनके बिना जीवन ही शून्य सा लगता है। शायद यही कारण था कि यहां के लोग कल इस बात को लेकर ज्यादा उत्सुक थे कि रांची से प्रकाशित होनेवाले प्रमुख अखबार भगवान श्रीराम व अयोध्या से संबंधित समाचारों को किस प्रकार 23 जनवरी को प्रस्तुत करेंगे।

जब आज रांचीवासियों के हाथों में अखबार आया तो सभी ने बड़े गौर से सारे अखबारों को देखा और तुलनात्मक विश्लेषण करने पर पाया कि अयोध्या और श्रीराम से संबंधित समाचारों को लेकर कुछ अखबार तो स्वयं को श्रीराम के चरणों में समर्पित कर दिया तो कुछ के लिए उनके लिए विज्ञापन ही प्रमुख था, वे विज्ञापन में ही श्रीराम को ढूंढ रहे थे और इसी चक्कर में भगवानश्रीराम और अयोध्या की खबरों को पांचवें पृष्ठ पर ठेल दिया।

रांची में खुद को सर्वाधिक प्रसारित होने की दावा करनेवाली अखबार प्रभात खबर को देख आज लोगों को गहरी निराशा हुई। इस अखबार ने श्रीराम और अयोध्या की खबरों को विज्ञापन के चक्कर में पांचवें पृष्ठ पर डाल दिया। पांचवे पृष्ठ पर भी इस समाचार को देने में इसने कंजूसी बरती और वहां भी विज्ञापन को उसने प्रकाशित करना जरुरी समझा तथा श्रीराम और अयोध्या से संबंधित समाचार को वो स्थान नहीं दिया, जैसा कि अन्य अखबारों ने दिया।

रांची से प्रकाशित हिन्दुस्तान ने प्रभात खबर से कुछ बेहतर ढंग से श्रीराम और अयोध्या से संबंधित समाचार प्रकाशित किये, जबकि दैनिक भास्कर ने तो आज के अखबार को श्रीराम के चरणों में ही समर्पित कर दिया। आज का अखबार दैनिक भास्कर के रुप में नहीं बल्कि रामचरित भास्कर के रुप में इस अखबार ने प्रकाशित किया। जिसकी सभी ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की।

ऐसे भी यह अखबार समय-समय पर समय की मांग को ध्यान में रखते हुए अपने रुप को बदलता रहा हैं। लेकिन आज के उसके अखबार ने जिस प्रकार से स्वयं को रामचरित भास्कर के रुप में प्रकाशित किया। इसकी आशा किसी को नहीं थी। इस अखबार ने भगवान राम के बाल विग्रह की एक सुन्दर पोस्टर भी अपने पाठकों के लिए उपलब्ध कराई। जिसे सभी पाठकों ने बड़े ही प्रेम से स्वीकार ही नहीं किया, बल्कि कई परिवारों ने इसे फ्रेम मेकर्स को देकर इसे मढ़वाने के लिए भी दे दिया। जिसकी चर्चा यहां जोरों पर हैं।

इससे अलग दैनिक जागरण ने इस बार बाजी मार ली। जिस प्रकार दैनिक जागरण ने अयोध्या व भगवान श्रीराम से संबंधित समाचार लोगों के समक्ष प्रस्तुत किये। वो प्रशंसनीय, सराहनीय व संग्रहनीय है। इस अखबार ने अयोध्या ही नहीं बल्कि भगवानश्रीराम से संबंधित उन सारी समाचारों को अपने पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किये, जिसकी कल्पना पाठकों को भी नहीं थी।

मतलब, इस अखबार ने अपने पाठकों के मर्म को समझकर वो सारी जानकारियां उपलब्ध कराई, जिसमें रांची से प्रकाशित होनेवाले सारे अखबार फेल रहे। चूंकि मैंने पहले ही कहा कि यहां से प्रकाशित होनेवाले एक अखबार की नजरों में विज्ञापन में ही राम दिखाई पड़ रहा था। तभी तो उसने भगवान राम से संबंधित समाचारों को पृष्ठ पांच पर ठेल दिया। लेकिन सराहना करनी होगी, दैनिक भास्कर और दैनिक जागरण की, जिसने रांचीवासियों के हृदय में पनपी श्रीराम भक्ति की प्यास को तृप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।