राजनीति

रघुवर दास ने भाजपा छोड़ लालू यादव की जातिवादी पैटर्न पर कदम बढ़ाया…

ये है भाजपा। ये है भाजपा का नेता। ये है झारखण्ड का मुख्यमंत्री रघुवर दास। कहा जाता है कि भाजपा जातिरहित समता-ममतामूलक समाज की बात करती है, पर इन दिनों भाजपा के नेता जातिवादी समाज बनाने को लेकर कुछ ज्यादा ही दिमाग लगा रहे है, वे अपनी जाति द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे है और अपने दिवंगत नेताओं के सम्मान पर कीचड़ उछाल रहे हैं। याद करिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को, पिछले बिहार विधानसभा चुनावों में क्या भाषण दिया करते थे?  वे बिहार के पिछड़ापन के लिए, वहां के नेताओं द्वारा फैलाये जा रहे जातीय उन्माद को जिम्मेवार ठहराया करते थे, उनका इशारा लालू प्रसाद यादव की यादव राजनीति को लेकर था, पर जब रघुवर दास भी लालू पैटर्न पर चलकर स्वयं को वैश्यों का बड़ा नेता शो करने लगे, और वे खुलकर वैश्यों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में, वह भी संवैधानिक पदों पर रहकर आने-जाने लगे, तो अन्य जातियां क्या सोचेगी? यहीं न, कि जैसे अन्य पार्टियां है, उसी तरह भाजपा है। लालू यादवों के नेता, नीतीश कुर्मियों के नेता और नरेन्द्र मोदी-रघुवर दास वैश्यों के नेता, तो फिर दिक्कत क्यों?  जब जाति की ही राजनीति करनी है, तो अन्य को लालू और नीतीश से वैर क्यों?

जयप्रकाश आंदोलन की उपज जातिवाद के रास्ते पर

याद करिये 1974, लोकनायक जयप्रकाश आंदोलन की सप्तक्रांति की शुरुआत। जिसमें जाति तोड़ों-बंधन तोड़ों का नारा लगा करता था। याद करिये, केवल जयप्रकाश के आह्वान पर सैकड़ों छात्र-छात्राएं, युवा-युवतियों ने जाति तोड़े-बंधन तोड़े। आज भी रांची में कई लोग ऐसे है, जो जाति तोड़कर-बंधन तोड़कर  जातिरहित समाज का बीजारोपण किया और जरा इन्हें देखिये, ये क्या कर रहे है?  ये स्वयं भी लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन की उपज है और देखिये लोकनायक जयप्रकाश नारायण आंदोलन के इस चिराग ने, क्या अंधेरा मचा रखा है? वह भूल चुका है, कि वह 1974 के आंदोलन में, जेल जा चुका है, उसने संकल्प लिया था, सप्तक्रांति के माध्यम से अपना जीवन चलायेंगे, आदर्श सुनिश्चित करेंगे, आदर्श समाज बनायेंगे, पर सत्ता मिलते ही, उसे अब ये सारे संकल्प याद नहीं, केवल उसे यह याद हैं कि वैश्य सम्मेलन, तेली-साहू सम्मेलन में भाग लेना है, चाहे समय न भी हो, फिर भी इसके लिए समय निकाल लेना है। जरा देखिये, झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अब तक अपनी जाति के द्वारा आयोजित कितने सम्मेलन में भाग लिये है…

  • 15 फरवरी 2015 – गुमला में आयोजित तेली महाजतरा में भाग लिया।
  • 2 अगस्त 2015 – बिहार के पटना स्थित श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित बिहार राज्य तेली साहू समाज के कार्यक्रम में भाग लिया।
  • 16 जनवरी 2017 – छतीसगढ़ के राजानंदगांव में साहू समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया।
  • 11 फरवरी 2017 – गुमला में आयोजित तेली जतरा में भाग लिया।
  • 10 अप्रैल 2017 – खूंटी के कचहरी मैदान में आयोजित छोटानागपुरिया तेली उत्थान समाज कार्यक्रम में भाग लिया।
  • 23 जुलाई 2017 – पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित तेली साहू समाज कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं।

आज जनाब, बिहार के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में तेली साहू समाज के कार्यक्रम में भाग ले रहे है। उनके समाज के लोगों ने उन्हें चांदी का मुकुट पहनाया है, मुकुट पहनकर वे खुब मुस्कुरा रहे है, फोटो खींचा रहे है। वे यह भी बता रहे है कि उन्होंने झारखण्ड में चार-चांद लगा दिये है, पर कितने चांद लगाये है, वह तो झारखण्ड की जनता ही जानती है, वो तो मौके की तलाश में हैं, आज अगर विधानसभा का चुनाव हो जाये, तो ये भी आज के अर्जुन मुंडा, सुदेश महतो, बाबू लाल मरांडी की श्रेणी में आ जायेंगे, पर चूंकि सत्ता का घमंड ही कुछ ऐसा होता है कि जब व्यक्ति सत्ता में रहता है, तो उसे आस-पास कुछ नहीं दिखाई देता।

जाति सम्मेलन में भाग ले रहे सीएम की ब्रांडिग में जुटा आइपीआरडी

बिहार में हो रहे इस जाति सम्मेलन में मुख्यमंत्री रघुवर दास का कार्यक्रम झारखण्ड के अखबारों में प्रमुखता से छपे, इसके लिए झारखण्ड का सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग बड़ी ईमानदारी से लगा है, पर भाजपा के बड़े पदाधिकारी और संघ के लोग जान लें कि अब भाजपा के लोगों से आम लोगों का मोह बहुत तेजी से भंग हो रहा है, और जिस प्रकार से भाजपा में जातीयता का बीज बोया जा रहा है, कहीं ऐसा नहीं कि जो जातियां स्वयं को अकेला महसूस कर रही है, भाजपा से छला महसूस कर रही है,  वह भाजपा से दूर जाकर, कहीं दूसरे दलों का दामन न थाम लें, अगर ऐसा हुआ, जैसा कि शत प्रतिशत दिखाई पड़ रहा है, तो फिर चुनाव परिणाम क्या आयेगा? समझ रहे हैं न? इसलिए वक्त की नजाकत को समझिये, मुख्यमंत्री रघुवर दास को कहिये कि जातिवादी सम्मेलन से दूर रहे, क्योंकि उन्हें मुख्यमंत्री बनाने में केवल उनकी ही जाति के लोगों का नहीं, बल्कि उन सारी जातियों के लोगों का भी समर्थन प्राप्त है, जिनकी जातियों के लोग कभी भी सत्ता के शीर्ष पर नहीं पहुंच पायेंगे, कम से कम उनकी इज्जत अवश्य रखें। यह समय की मांग है, यहीं इंसानियत है और यहीं भारत के महान नेताओं को सच्ची श्रद्धांजलि भी।

One thought on “रघुवर दास ने भाजपा छोड़ लालू यादव की जातिवादी पैटर्न पर कदम बढ़ाया…

  • Umesh singh

    BJP raghuvar das ko turant barkhast Kare, nahi to sabka Sath sabka vikash ki hawa nikalne me der nahi lagega

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