राजनीति

CM रघुवर को कौन समझाये? मेला लगाने से निवेश नहीं होता, माहौल बनाने से निवेश होता हैं…

बीएनआर होटल का विशेष कक्ष, जहां एसोचैम का लीडरशिप समिट कार्यक्रम चल रहा है। वहां पहुंची है, झारखण्ड की राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, जरा देखिये वह कह क्या रही हैं? उन्होंने कहा है कि अच्छे लीडर में विजन, हौसला, ईमानदारी के साथ-साथ टीम को सहयोग करने की भावना  होनी चाहिए। एक अच्छा बिजनेस लीडर अपने आस-पास ऐसे माहौल तैयार करता है, जिसका फायदा लोगों को हो। एक अच्छे लीडर से सफलता की पूरी संभावना नहीं होते हुए भी रिस्क लेने की क्षमता होती है, एक अच्छा लीडर वहीं होता है, जो कठोर निर्णय लेता है, लेकिन विनम्र होता है, कठोर निर्णय उसके उद्यम को आगे बढ़ाने में मदद करता है, वह हमेशा सकारात्मक सोच रखता है और आसपास के माहौल को भी सकारात्मक बनाता है।

राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का यह वक्तव्य केवल व्यवसाय के लिए ही नहीं बल्कि राजनीतिक फलक पर भी यह वक्तव्य काफी मायने रखता है, क्या राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का यह वक्तव्य़ झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास से मेल खाता है, उत्तर होगा – नहीं, अगर उत्तर ही नहीं हैं, तो फिर झारखण्ड का हित कैसे सधेगा?

झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास न तो विनम्र है, न इनके पास विजन है, न ही हौसला है, ईमानदारी तो भूल ही जाइये, ये टीम भावना से कम, पर कनफूंकवों की भावनाओं का ज्यादा सम्मान करते हैं, शायद यहीं कारण है कि झारखण्ड में बेहतर निवेश की संभावनाओं के होते हुए भी न तो यहां निवेश ही हो रहा है और न ही झारखण्ड को यश प्राप्त हो रहा है।

मोमेंटम झारखण्ड की विफलता के बाद झारखण्ड माइनिंग शो का फ्लॉप हो जाना इसी बात को इंगित करता है। जिस दिन झारखण्ड माइनिंग शो का उद्घाटन हो रहा था, उसी दिन सीएम के भाषण में लोग अपने-अपने सीटों पर बैठे रहे, इसके लिए अधिकारियों ने गेट को ही ब्लॉक कर दिया, स्थिति ऐसी हो गई कि लोग लघुंशका तक के लिए परेशान रहे। जिस राज्य में सीएम की भाषण सुनने को लोग तैयार नहीं हो, वहां निवेश की हालत क्या होगी?

खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने ठीक ही कहा कि झारखण्ड में 40 फीसदी खान-खनिज है। इसके बावजूद पिछले 17 सालों में राज्य की चुनौतियां कम नहीं हुई हैं, बल्कि बढ़ी हैं। बिजनेस व्यापार के साथ-साथ राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य भी जरुरी है। सरयू राय ने स्पष्ट कहा कि झारखण्ड में करीब 2500 उद्योग हैं, लेकिन यह कब और कहां से आये, किसी को पता ही नहीं। असल में घर-आंगन को लीप-पोत कर रखने की जरुरत है। आमंत्रण देने से कोई उद्यमी नहीं आयेंगे, माहौल बेहतर होगा, तो उद्यमी खुद आयेंगे। सरयू राय ने कहा कि उद्योग मर जाते हैं, लेकिन उद्योगपति नहीं मरते। राज्य में बेचैनी का माहौल है, इस असंतोष को संतोष में बदलने की जरुरत है। इस कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती है।

कमाल है, रघुवर सरकार के इस मंत्री ने खुलकर राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास को आगाह किया कि माहौल को बेहतर बनाइये, पर कनफूंकवों से घिरे मुख्यमंत्री रघुवर दास को इससे अलग, केवल मेला लगाने में ही आनन्द लग रहा है, जिसका परिणाम हैं कि न तो राज्य में निवेश हो रहा और न ही रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे, पर इस मेले के आयोजन से, मेला लगानेवालों का कारोबार खुब फल-फूल रहा है, जिससे सीएम की झूठी वाहवाही तो हो रही है, पर झारखण्ड रसातल में चला जा रहा हैं।