अपनी बात

सरयू को जमशेदपुर पूर्व में मिल रहे अपार समर्थन से घबराए रघुवर समर्थकों ने खड़ा किया हंगामा, सरयू ने उठाए सवाल

कमाल है, शायद ही झारखण्डवासियों को पता होगा कि इस राज्य में मुख्यमंत्री रघुवर दास के नाम पर एक रघुवर नगर भी बसा है, अब सवाल उठता है कि इस राज्य में तो रघुवर दास से भी बड़े-बड़े नेता हुए, जो आज भी जीवित हैं पर उनके नाम पर कोई नगर नहीं बसा और न ही दिखता है, आखिर रघुवर दास में कौन सी बात है भाई, कि उनके नाम पर नगर बसा दिया गया? जमशेदपुर में तो भाजपा नेता अर्जुन मुंडा भी रहते हैं, उनके नाम पर नगर क्यों नहीं, ये रघुवर नगर के नाम पर क्यों? क्या ये भी जमशेदजी टाटा हो गये?

यह मैं इसलिए लिख रहा हूं कि जहां हंगामा हुआ है, उस इलाके का नाम है – ऱघुवर नगर। रघुवर नगर के मुख्य द्वार पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है – रघुवर नगर, इसी इलाके में चुनाव प्रचार के लिए सरयू राय अपने समर्थकों के साथ निकल पड़े, जहां लोगों ने उनका शानदार स्वागत किया तथा उन्हें समर्थन देने की बात भी कही, फिर क्या था, ये बात रघुवर समर्थकों को नागवार गुजरी, वे तुरन्त विरोध के लिए निकल पड़े पर उनकी संख्या हाथों की अंगूलियों पर गिनने लायक थी।

खुद सरयू राय कहते है कि वे रघुवर नगर में चुनाव प्रचार के लिए आये थे, जहां गिनती के दो-चार लोग मौजूद थे, जो उनका विरोध कर रहे थे, जिनमें एक- दो नशे में थे, पर चूंकि उनका मानना है कि देश में लोकतंत्र हैं, कोई भी प्रत्याशी कही पर जाकर, किसी भी इलाके में मतदाताओं से सम्पर्क कर सकता है, पर प्रत्याशी को मतदाताओं से संपर्क नहीं करने देना, उनके सम्पर्क में रुकावटें डालना पता नहीं लोगों ने कहा से सीख लिया?

उन्होंने कहा कि वे इस प्रकार की होनेवाली छिटपुट रुकावट की घटनाओं को नोटिस नहीं लेते, क्योंकि उनका सिद्धांत है, न मारेंगे, न मानेंगे। लेकिन जिस प्रकार की गुंडई उन्होंने यहां देखी, उससे लोगों द्वारा यह कहा जाना कि यहां गुंडई बड़े पैमाने पर हैं, आज उसकी झलक उन्हें देखने को मिल गई। ये लोग जो उन्हें डरा रहे हैं कि खुद डर रहे हैं, उन्हें समझ नहीं आ रहा, कोई (रघुवर दास) अपने जीते जी स्मारक बना लें और कहे कि उस नगर में हम जाने नहीं देंगे, ये यहां सब नहीं चलनेवाला, क्योंकि ये जगह किसी की जागीर नहीं, ये बुद्धि की बलिहारी है।

उन्होंने कहा कि वे देख रहे है कि रोजगार के नाम पर कुछ नहीं, फिर भी कुछ लोगों के पास आलीशान मकान कहां से आ गये, और ये टूटते क्यों नहीं, सिर्फ गरीबों के ही मकान क्यों टूटते हैं? अपने साथ युवाओं की एक सशक्त टीम चलने तथा बड़े पैमाने पर मिल रहे जनसमर्थन के सवाल पर वे कहते है कि उनका चुनाव प्रचार जनता ही संभाल रखी है, ये स्वतः स्फूर्त है, चुनाव आया है, लोग जगे हैं, वे चाहते हैं कि जमशेदपुर पूर्व से गुंडाराज समाप्त हो, भ्रष्टाचार समाप्त हो, जिसका परिणाम सामने हैं, लोग मेरे साथ है और विरोधियों की हवा निकल रही है।