अपनी बात

जमशेदपुर में रघुवर चालीसा पढ़ा गया और जिन्हें आचार संहिता का पालन कराना था, वे सोए रहे

कमाल की बात तो यह भी है कि हिन्दुस्तान अखबार ने अपने आज के रांची संस्करण में छापा है कि जमशेदपुर के एक कार्यक्रम में शनिवार को गायिका नेहा कक्कड़ ने कथित तौर पर रघुवर चालीसा का गायन किया था। इस गायन की जांच होगी। मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनय कुमार चौबे ने इस कार्यक्रम की सीडी उपलब्ध कराने को कहा है, इस सीडी का परीक्षण कर आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन होने या नहीं होने की तहकीकात होगी।

अब सवाल उठता है कि जैसे ही चुनाव आयोग किसी भी राज्य के विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी करता है, उसके बाद राज्य के सभी आइएएस/आइपीएस अधिकारियों के उपर इस बात का दबाव रहता है कि वह देखे कि कहीं कोई चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन तो नहीं कर रहा, पर यहां तो आश्चर्य हैं, शनिवार को नेहा कक्कड़ का प्रोग्राम होता हैं, उसे विभिन्न चैनल अपने यहां प्रसारित करते हैं, जिसमें रघुवर चालीसा का पुट भी लोगों को सुनाई देता हैं, पर जमेशदपुर के वैसे अधिकारी जिन पर आदर्श चुनाव आचार संहिता को पालन कराने का जिम्मा हैं, उन्हें यह सुनाई नहीं देता,  है न आश्चर्य।

यह सुनाई विपक्ष के नेताओं को पड़ता हैं और जब वे इसकी शिकायत मुख्य निर्वाचन अधिकारी तक पहुंचाते हैं, तब जाकर इस पर कुछ बातें सुनने को मिलती हैं, प्राथमिकी तो तब होगी, जब मुख्य निर्वाचन आयोग के पास सीडी आयेगी, सीडी की जांच होगी, और तब तक लगता है कि चुनाव भी समाप्त हो चुका होगा, क्योंकि  हमारे देश में तो जिसकी लाठी उसकी भैस वाली लोकोक्ति प्रचलित हैं। जो कमजोर हैं, वो झूलते रहे और जो मजबूत हैं, पेड़ा, दूध, मलाई खाकर स्वयं को मजबूत करते रहे और जैसे मन करें, कानून और कानून पालन करानेवाले अधिकारियों को झूलाते रहे।

हम आपको बता दें कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से राजनीतिक दलों की बैठक में कल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलोक दूबे ने यह मामला उठाया कि नेहा कक्कड़ ने रघुवर चालीसा  का गायन किया था, जिसे टीवी चैनलों ने लाइभ किया था, यह एक तरह से मतदाताओं को लूभाने की कोशिश है, इससे आदर्श आचार चुनाव संहिता का उल्लंघन हुआ है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भरोसा दिलाया कि वे इस मामले की जांच करा, इस पूरे मामले को भारत चुनाव आयोग के पास भेजेंगे।

आश्चर्य यह भी है कि इसी बीच आम जनता को जिलाधिकारियों द्वारा आदर्श चुनाव आचार संहिता के पालन के नाम पर डराने-धमकाने का काम शुरु हो गया हैं, और बड़े ही अच्छे बच्चे की तरह इससे संबंधित समाचार अखबारों ने लंबे-चौड़े तरीके से प्रकाशित किये हैं, पर इन बेशर्मों के पास सीएम रघुवर दास के खिलाफ सिदगोड़ा थाने में शिकायत दर्ज कराई गई, इस समाचार को प्रकाशित करने के लिए समय नहीं था और न कागज उपलब्ध थी, ऐसे होगा झारखण्ड में विधानसभा चुनाव, और जब इस प्रकार से चुनाव होंगे तो कौन सत्ता में आयेगा, जरा सोच कर बताइयेगा।

हम तो कहेंगे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को झारखण्ड के इस महान मुख्यमंत्री रघुवर दास से सबक लेनी चाहिए कि आइएएस और आइपीएस अधिकारियों से चुनाव के समय अपने हित में कैसे काम लेना चाहिए, ताकि आनेवाले समय में जब भी कभी विधानसभा या अन्य चुनाव हो, तो वे अपने भाजपाई मुख्यमंत्री को कहें कि सत्ता कैसे प्राप्त करनी हो, अगर वह सीखना हैं तो झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास की शरण में जाये, ताकि वे जब तक जीवित रहे, अपने पक्ष में सीएम का पद सदा के लिए निबंधित करवा लें