अपनी बात

प्रभात खबर ने झूठी हेडिंग लगाकर RS के उपसभापति को भी झूठा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा

सावधान रहिये, ये नये युग की पत्रकारिता है, आप बोलेंगे कुछ और आपके नाम पर छाप दिया जायेगा कुछ, आप ढूंढते रह जायेंगे उक्त हेडिंग लगे समाचार में कि आखिर ये हेडिंग लग कैसे गई, आपको नहीं मिलेगा, पर वे लोग जो केवल हेडिंग पढ़कर ही अंदर के समाचार का अंदाजा लगाने के शौकीन है, उनके नजरों में तो आप गये, वो तो यही कहेंगे कि अब बड़े-बड़े लोग भी झूठ बोलने लगे, लोगों को भ्रामक सूचनाएं देने लगे, पर उक्त वक्ता को क्या पता कि इसमें उसकी कोई गलती नहीं, गलती तो हेडिंग लगानेवाले की हैं, उस अखबार की है, जिसने सारी मर्यादाओं को ठोकर मारने का ठेका लेकर बैठा है।

हम बात कर रहे हैं, गत पांच अगस्त की। पांच अगस्त को प्रभात खबर मेरे हाथों में था, प्रभात खबर के पृष्ठ संख्या आठ पर जैसे ही मेरी नजर पड़ी, मैं अवाक् रह गया। मैं सोचने लगा कि प्रभात खबर के प्रधान संपादक पद को सुशोभित कर चुके, तथा बिहार-उत्तरप्रदेश-झारखण्ड में ज्यादातर समय बिता चुके हरिवंश इतनी बड़ी गलती कैसे कर सकते हैं, वह भी उस वक्त जब पूरा देश महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने की ओर अग्रसर है।

प्रभात खबर ने पांच अगस्त को खबर छापा, जिसकी हेडिंग थी – “राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा, मोहनदास करमचंद गांधी को रांची ने महात्मा बनाया।” अब इस हेडिंग को देखकर कोई भी आदमी भ्रमित हो जायेगा कि भला रांची महात्मा गांधी को महात्मा कब और कैसे बना दिया? मैं जब हेडिंग के बाद समाचार को पढ़ने लगा तो उक्त समाचार में कही इस बात का जिक्र नहीं था कि हरिवंश ने ऐसी बाते कही हैं, तो फिर क्या हेडिंग लगानेवाले ने अपने मन से हेडिंग बना दिया, क्या कोई भी संपादक ऐसे ही हेडिंग बना देगा या समाचार के अनुरुप  हेडिंग बनती है।

जब हमने इस संबंध में दो दिन पूर्व हरिवंश जी से बातचीत की और पूछा कि क्या यह सही है कि प्रभात खबर द्वारा चार अगस्त को आयोजित पुस्तक लोकार्पण के कार्यक्रम में आपने यह कहा था कि मोहनदास करमचंद गांधी को रांची ने महात्मा बनाया। उनका कहना था कि उन्होंने ऐसी बातें कही ही नहीं, बल्कि मैंने इस संबंध में चम्पारण का जिक्र किया था।

अब सवाल उठता है कि क्या अब खबरों की हेडिंग ऐसी बनेगी, यानी जिस बात को वक्ता ने कहा ही नहीं, उस बातों  को भी वक्ता के मुंह से निकलवा दिया जायेगा। जो बात समाचार में उल्लेखित नहीं है, वह बातें हेडिंग में देखने को मिलेगी। क्या इससे उक्त अखबार के पाठक दिग्भ्रमित नहीं होंगे। जो युवा गांधी में दिलचस्पी लेते हैं, उनका ज्ञानवर्द्धन ऐसी झूठी खबरों से हो पायेगा? ये बातें तो प्रभात खबर के प्रबंधक, प्रधान संपादक, कार्यकारी संपादक, स्थानीय संपादक, उप-संपादक तथा यहां कार्यरत संवाददाताओं का समूह ही बेहतर बतायेगा।